फ्रांस में पढ़ी जाएगी झरिया के साहित्यकार इलियास की कहानी
गोविन्द नाथ शर्मा झरिया काले हीरे की प्राचीन नगरी झरिया का नाम साहित्य के क्षेत्र में भी ब
गोविन्द नाथ शर्मा, झरिया : काले हीरे की प्राचीन नगरी झरिया का नाम साहित्य के क्षेत्र में भी बड़े अदब के साथ लिया जाता है। यहां के कई साहित्यकारों ने अपनी कृति से देश में अपनी पहचान बनाई है। झरिया में 1932 को साधारण गद्दी परिवार में जन्मे इलियास अहमद गद्दी को झरिया के मजदूरों पर लिखे गए उर्दू उपन्यास फायर एरिया के लिए साहित्य अकादमी का पुरस्कार 1996 में मिला था। इलियास की कहानी दास्तां फ्रेंच भाषा में जल्द प्रकाशित होने जा रही है। इसे फ्रांस के लोग भी अब पढ़ सकेंगे। जामिया मिलिया विवि नई दिल्ली के फ्रेंच भाषा के एसोसिएट प्रोफेसर डाक्टर मोहम्म्द फैजुल्लाह ने उर्दू से इलियास अहमद गद्दी की प्रमुख कहानी दास्तां को फ्रांस की भाषा फ्रेंच में अनुवाद किया है। कहानी संग्रह पुस्तक की संपादक जेएनयू की एसोसिएट प्रोफेसर डा शोभा शिवशंकरण हैं।
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भैंस चराते-चराते इलियास ने लिख डाला था फायर एरिया पर उपन्यास
गद्दी बिरादरी से जुड़े अहमद गद्दी के पुत्र इलियास अहमद की पहली कहानी 1948 में अजायब सिंह पत्रिका में आई। इसके बाद कई कहानियां व उपन्यास लिखे। इनमें फायर एरिया, जख्म, मरहम, थका हुआ दिन, आदमी, बगैर आसमान की जमीन, सफरनामा आदि प्रमुख हैं। फायर एरिया 14 भाषा में प्रकाशित होने वाली है। जीवन के अंतिम वर्षों में इलियास ने दूध के कारोबार के दौरान भैस चराते समय ही दो साल में फायर एरिया उपन्यास लिख डाले।
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संषर्षमय रहा इलियास का जीवन :
इलियास की पुत्री साइस्ता गद्दी, पोता शादाब गद्दी, नायाब गद्दी व इश्तियाक गद्दी ने कहा कि उनका जीवन काफी संघर्षमय रहा। परिवार के भरण-पोषण के लिए शुरुआत में उन्होंने बस में कंडक्टर का काम किया। इसके कई वर्षों बाद मटकुरिया धनबाद में लेथ मशीन की दुकान की। जीवन के अंतिम वर्षों में दूध का कारोबार किया। इलियास उर्दू के प्रसिद्ध अफसाना निगार गयास अहमद गद्दी के छोटे भाई थे। वे जनवादी लेखक संघ झरिया से भी जुड़े थे। 27 जुलाई 1997 को झरिया में इलियास का निधन हो गया।
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सरकार ने साहित्यकार के परिवार पर नहीं दिया ध्यान
इलियास अहमद गद्दी के परिवार वालों ने कहा कि साहित्य रत्न प्राप्त करनेवाले साहित्यकार के परिवार के लोगों पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया। इनकी कृतियों को सुरक्षित रखने की पहल नहीं की गई। सरकार की ओर से इस परिवार को कोई सहयोग नहीं किया गया। इसक कारण हमलोग जैसे-तैसे जीवन गुजारा कर रहे हैं।