धनबाद के SNMMCH में खुलेगा Jharkhand का सबसे बड़ा टीबी जांच लैब

धनबाद सहित आठ जिलों के टीबी के मरीजों की राहत भरी खबर है। संक्रमित मरीजों की कल्चर व ड्रग रेसिस्टेंट जांच के लिए अब रांची इटकी पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। इन मरीजों की जांच अब शहीद निर्मल महतो मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में ही जांच हो पाएगी।

By Atul SinghEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 09:59 AM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 10:06 AM (IST)
धनबाद के  SNMMCH में खुलेगा Jharkhand का सबसे बड़ा टीबी जांच लैब
धनबाद सहित आठ जिलों के टीबी के मरीजों की राहत भरी खबर है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

मोहन गोप, धनबाद: धनबाद सहित आठ जिलों के टीबी के मरीजों की राहत भरी खबर है। संक्रमित मरीजों की कल्चर व ड्रग रेसिस्टेंट जांच के लिए अब रांची इटकी पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। इन मरीजों की जांच अब शहीद निर्मल महतो मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में ही जांच हो पाएगी। जिला यक्ष्मा विभाग ने एसएनएमएमसीएच से मिलकर इसकी तैयारी शुरू कर दी है।

सेवा शुरू होने से रांची इटकी के बाद धऩबाद झारखंड का दूसरा लैब वाला जिला बन जाएगा। जानकारी देते हुए जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डा. एसएम जफरूल्लाह ने बताया कि सेवा शुरू होने से धनबाद सहित आठ जिलों के मरीजों को सहूलियत होगी। इसमें धनबाद के अलावा, बोकारो, गिरिडीह, कोडरमा, हजारीबाग, देवघर, जामताड़ा, गोड्डा, साहिबगंज आदि जिलों के मरीज की जांच यहां हो पाएगी, इसमें और दूसरे जिलों को भी जोड़ा जाएगा। लैब बनाने के लिए विभाग को बीस लाख रुपए आवंटित हुए हैं। इसके लिए तमाम मशीनें दिल्ली व दूसरे जगहों से पहुंच गई है। अब भवन प्रमंडल विभाग को इसका प्रपोजल बनाने का जिम्मा दिया गया है। यह काम शुरू कर दिया गया है। धनबाद में फिलहाल टीबी के तीन हजार मरीज हैं।

हर संक्रमित मरीज की करनी होती है सेंसिविटी व कल्चर जांच

धनबाद में टीबी की जांच सीबीनेट मशीन से फिलहाल हो रही है। जब कोई संक्रमित मरीज मिलता है, तो वह दो प्रकार के होते हैं, एक सेंसिविटी और दूसरा रेसिस्टेंट। सेंसिविटी वाले मरीज को एलपीए वन व रेसिस्टेंट वाले मरीज को एलपीए टू जांच होती है। लेकिन यह जांच अभी तक झारखंड में केवल इटकी आरोग्य शाला (रांची) में ही होती है। ऐसे में तमाम जिलों से मरीजों के सैंपल जांच के लिए यहां भजे जाते हैं। इस कारण सामान्य रिपोर्ट भी कई बार एक माह तक लग जाते हैं। इस वजह से समय पर कई मरीजों की जांच शुरू नहीं हो पाती है। अब धनबाद में लैब स्थापित होने के बाद ऐसे मरीजों को राहत मिलेगी।

जानें टीबी के बारे में

टीबी, क्षय रोग या यक्ष्मा एक ही नाम है। टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होता है। यह फेफड़ों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। फेफड़े के बाद यह शरीर के दूसरे भाग को भी प्रभावित करता है। टीबी एक घातक संक्रामक रोग है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसी, छींकने या थूकने के दौरान हवा के माध्यम से या फिर संक्रमित सतह को छूने से फैलता है। टीबी से पीड़ित मरीज के लगातार बलगम के साथ खांसी आना, सीने में दर्द, कमजोरी, वजन कम होना तथा बुखार आदि लक्षण होते हैं। सामान्य टीबी मरीजों को छह से आठ माह तक दवाइयां चलती हैं। वहीं केस रेसिस्टेंट होने या दवा बीच में छूटने पर मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट (एमडीआर) में बदल जाता है। ऐसे मरीजों को दो वर्ष दस दवा खानी पड़ती है। यह टीबी बेहद जानलेवा होती है।

टीबी के मरीजों के लिए लैब का काम शुरू हो गया है। इससे लाभुकों को काफी राहत मिलेगी। झारखंड का यह दूसरा लैब होगा, जहां कल्चर व सेंसिविटी की जांच हो पाएगी।

डा. एसएम जफरूल्लाह, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी. धनबाद।

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