संजीव सिंह के दुमका जेल जाते ही लोदना क्षेत्र में रघुकुल समर्थकों की सक्रियता बढ़ी
संस अलकडीहा झरिया धनबाद जेल से झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह के दुमका जेल शिफ्ट ह
संस, अलकडीहा, झरिया : धनबाद जेल से झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह के दुमका जेल शिफ्ट होते ही रघुकुल के समर्थकों ने लोदना क्षेत्र में अपना वर्चस्व बढ़ाना शुरू कर दिया है। क्षेत्र में जमसं कुंती गुट व बच्चा गुट समर्थकों में खूनी टकराव के आसार बढ़ गए हैं। मालूम हो कि लोदना क्षेत्र सिंह मेंशन के लिए हमेशा से ही हॉट केक रहा है। क्षेत्र के एनटीएसटी, जीनागोरा लोडिग पॉइंट, डिस्पैच, लोडिग विभाग, कांटा घर समेत सभी मलाईदार विभागों में जमसं कुंती गुट का वर्चस्व है। इसके अलावा क्षेत्र की आउटसोर्सिंग परियोजनाओं पर भी कुंती गुट का ही अभी तक दबदबा है।
पांच साल पहले पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह ने जमसं बच्चा गुट के नेतृत्व में असंगठित मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दिलाकर आउटसोर्सिंग से लेकर साइडिग तक अपनी यूनियन की साख बढ़ाई थी। लगातार आंदोलन करने के कारण नीरज सिंह ने बच्चा गुट को लोदना क्षेत्र में स्थापित करने में काफी हद तक सफलता प्राप्त की थी। कुंती गुट के वर्चस्व को खत्म करने में उन्हें सफलता नहीं मिली।
नीरज सिंह की हत्या के बाद सिंह मेंशन के लिए काम कर रहे दबंग सतीश महतो को किसी तरह बच्चा गुट के संयुक्त महामंत्री अभिषेक सिंह ने अपने पाले में कर साउथ व नॉर्थ तिसरा, जीनागोरा लोडिग प्वाइंट में तो वर्चस्व कायम कर लिया, लेकिन यह खुशी बच्चा गुट में ज्यादा दिनों तक नहीं रही। सतीश ने मतभेदों के चलते अपने को बच्चा गुट की गतिविधियों से अलग कर लिया। अंदर ही अंदर फिर से सिंह मेंशन के हो गए। सत्ता परिवर्तन व संजीव सिंह के दुमका जेल शिफ्ट होने के बाद बच्चा गुट समर्थकों का मनोबल फिर यहां बढ़ा है। सिंह मेंशन व दबंग सतीश महतो के खिलाफ मोर्चा लेने को सिदरी के दबंग कहे जानेवाले बच्चा गुट के वेद प्रकाश को आगे कर मलाईदार जगहों पर वर्चस्व कायम करने में लगे हैं।
चार माह पूर्व नॉर्थ तिसरा में वर्चस्व के लिए रघुकुल के वेद प्रकाश और सिंह मेंशन समर्थक सतीश के समर्थकों के बीच भिड़ंत की घटना घट चुकी है। हालांकि बच्चा गुट समर्थक कांटा घर पर भी वर्चस्व के लिए छह माह पहले तैयारी की थी, लेकिन सिंह मेंशन समर्थकों की मुस्तैदी के चलते रघुकुल समर्थकों की दाल नहीं गली। धनबाद जेल में संजीव सिंह के रहने के कारण कार्यकर्ताओं का मनोबल काफी बढ़ा हुआ था। संजीव लगातार जेल से मॉनीटरिग कर रहे थे। इस कारण बच्चा गुट यानी रघुकुल के लोग अबतक अपने मंसूबे में विफल रहे हैं। संजीव के दुमका जेल जाते ही यहां बच्चा गुट समर्थकों की बांछे खिल गई हैं।