कोरोना से बच जाएंगे पर पानी के बिना क्या होगा

कोरोना से बच जाएंगे पर पीने के पानी के बिना क्या होगा। गांव के चापानल और डीप बोरिग में पानी नहीं आता। कुआं सूख चुका है। चुआं के पानी से खाना-पीना हो रहा है तो तालाब के पानी से नहाना व धोना। ऐसी स्थिति के बावजूद भी इस गांव के लोगों को अब तक कोरोना छू नहीं पाया है। यह गांव है निरसा प्रखंड का उदयपुर। गांव में किसी को कोरोना नहीं हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 06:35 AM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 06:35 AM (IST)
कोरोना से बच जाएंगे पर पानी के बिना क्या होगा
कोरोना से बच जाएंगे पर पानी के बिना क्या होगा

बलवंत कुमार, धनबाद : कोरोना से बच जाएंगे पर पीने के पानी के बिना क्या होगा। गांव के चापानल और डीप बोरिग में पानी नहीं आता। कुआं सूख चुका है। चुआं के पानी से खाना-पीना हो रहा है तो तालाब के पानी से नहाना व धोना। ऐसी स्थिति के बावजूद भी इस गांव के लोगों को अब तक कोरोना छू नहीं पाया है। यह गांव है निरसा प्रखंड का उदयपुर। गांव में किसी को कोरोना नहीं हुआ है। लोग खेती कर अपनी कमाई कर रहे हैं, लेकिन खुशहाल और संपन्न इस गांव की दुर्दशा का यह आलम है कि यहां के लोग जमीन के चुआं से निकले वाले पानी का उपयोग अपने पीने और खाना बनाने के लिए कर रहे हैं।

टोपा टांड गांव से उदयपुर जाने के रास्ते में सड़क किनारे काफी बर्तन रखे हुए थे। एक महिला एक छोटे से गड्ढे में खड़ी थी और कटोरे से पानी निकाल रही थी। जबकि दूसरी महिला उस पानी को कपड़े से छान कर अपने बर्तनों में भर रही थी। पास जाकर देखने पर पता चला कि वहां को नल या फटी हुई पाइपलाइन नहीं है, बल्कि चुआं हैं। जहां जमीन का पानी छन कर आ रहा था और महिलाएं उसे अपने बर्तनों में रख रही थी। यहां ऐसे दर्जनों चुआं है, जहां से लोग पीने का पानी लेते हैं। पूछने पर पता चला कि गांव में पीने के पानी के सभी स्त्रोत सुख चुके हैं। इसलिए चुआं के पानी का उपयोग खाना बनाने और पीने के लिए किया जाता है। यहां से आगे बढ़ने पर उदयपुर गांव है। गांव में प्रवेश करने पर ही एक सरकारी राशि से स्थापित सोलर पंप मिला, लेकिन यह भी ठप पड़ा है। एक व्यक्ति ने बताया कि बोरिग बैठ चुका है यानी पानी नहीं है। पांच हजार आबादी, पीने को पानी नहीं : टोपाटांड और उदयपुर की आबादी पांच हजार से अधिक है। यहां संपन्न लोगों के घरों में कुआं है, लेकिन अधिकांश सार्वजनिक चापानल अथवा कुआं पर ही निर्भर हैं। लेकिन अब दोनों सूख गए हैं। ग्रामीण महिला सावित्री गोराई ने बताया कि इस गांव में सड़क, बिजली तो है बस पानी नहीं है। नहाने-धोने के लिए तालाब पर पूरा गांव निर्भर है। गांव में कोरोना नहीं : गांव के एक घर के सामने दर्जन भर लोग बैठे हुए थे। एक बुजुर्ग ने मास्क पहन रखा था। जबकि अन्य ने नहीं। इन लोगों ने बताया कि उनका मुख्य पेशा खेती है। सब्जियों की खेती के बल पर यह गांव चल रहा है। लोग मेहनती हैं। ऐसे में अभी तक किसी को कोरोना नहीं हुआ है। पिछले साल 50 लोग में संक्रमण पाया गया था। ये वे लोग थे जो बाहर से आए थे। इस बार कोई भी बाहर से नहीं आया है। गांव सुरक्षित है। लोग सीधे तौर पर कहते हैं कोरोना से तो बच जाएंगे, लेकिन पानी के बिना जीना मुश्किल है।

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