Weekly News Roundup Dhanbad: गलती भी, मुआवजा भी झटका... यही है सड़का का कानून
मवेशी को सड़क पर घूमने के लिए छोडऩा अपराध है मगर उसे कोई शर्म नहीं थी। सीना तानकर मुआवजे लेने को अड़ा था। पुलिस ने समझाया मगर हौले हौले उनके तेवरों में भी दम नहीं था। यह देख डॉक्टर साहब ने कुछ हजार रुपये देकर बला टाली।
धनबाद [ आशीष झा ]। बंगाल से डॉक्टर साहब कार से धनबाद आ रहे थे। वे बहुत नम्र स्वभाव के हैं। अचानक निरसा में हाईवे पर कार के सामने एक मवेशी आ गया। जब तक ब्रेक मारते तब तक कार जा टकराई। बेचारे डॉक्टर की जान पर बन आई। लोग पास के अस्पताल में ले जाकर इलाज कराए। टक्कर में मवेशी भी जख्मी हो गया। इस बीच मवेशी मालिक आ गया। थाना पहुंच गया। कहने लगा मुआवजा दिलाओ। डॉक्टर साहब की जान पर बन आई, इससे उसे क्या। मवेशी को सड़क पर घूमने के लिए छोडऩा अपराध है, मगर उसे कोई शर्म नहीं थी। सीना तानकर मुआवजे लेने को अड़ा था। पुलिस ने समझाया, मगर हौले हौले, उनके तेवरों में भी दम नहीं था। यह देख डॉक्टर साहब ने कुछ हजार रुपये देकर बला टाली। यह कहते हुए कि जान बची यही क्या कम है, अब लफड़ा क्यों मोल लें।
अफवाह खतरनाक वायरस
टीकाकरण की गति बढ़ाने को प्रशासन रेस है। जहां शहरी क्षेत्रों में टीका लेने के लिए भीड़ उमड़ रही है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति उलट। यहां अफवाह का वायरस गश्त कर रहा है। अफवाह यह कि टीका लिया तो कुछ हो जाएगा। यह वायरस ऐसा फैला है कि टीकाकरण की रफ्तार यहां धीमी है। हालांकि अब प्रशासन ने नए अंदाज में मोर्चा संभाला है। मोबाइल वैन गांव-गांव घूम रही है। अभियान चलाकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। कोशिश यही है कि गांव का हर ग्रामीण भी टीका लगवा ले। गांव वालों को बताया जा रहा है कि भैया अफवाह में न पड़ो। पहले जान बचाओ। टीका लगवा कर ही कोरोना से बच सकोगे। गांव वालों को भी समझ में आ रहा है। तभी तो टुंडी में अफवाह फैलाने वाले एक नशेबाज को गांव की महिलाओं ने दिन में तारे दिखा दिए।
मनरेगा का बूस्टर डोज
कोविड को हराने में भले ही जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की टीम शिद्दत से लगी हो, लेकिन मनरेगा कर्मी भी कम सक्रिय नहीं हैं। कोरोना ने अधिकतर का रोजगार छीन लिया है। घर में खाने के भी लाले पड़ रहे हैं, ऐसे वक्त में लोगों को मनरेगा से रोजगार मिल रहा है। लोगों को गांव में रोजगार मिल रहा है, इससे घर की आॢथक सेहत भी सुधार रही है। एग्यारकुंड, टुंडी से लेकर बलियापुर तक सभी प्रखंडों में मजदूरों की संख्या बढ़ी है। तालाब, कुआं व अन्य योजनाएं तेजी से मनरेगा में ली जा रही हैं। ताकि किसी को भी रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़े। कुआं से जहां पानी की किल्लत दूर हो रही है, वहीं तालाब बनने से लोगों को स्वरोजगार में मदद मिल रही है। बारिश कुछ परेशान कर रही है, मगर मजदूर डटे हैं। यही तो है मनरेगा का बूस्टर डोज।
दफ्तर में कम लोग थे नहीं तो...
कोरोना की रोकथाम को पूरी सरकारी मशीनरी लगी है। लोगों को जागरूक किया जा रहा है। बिना काम घर से नहीं निकलें। शारीरिक दूरी का पालन कर मास्क लगाएं। मगर कुछ ऐसे चिकने घड़े हैं, जिन्होंने नियम न मानने की कसम खाई है। अब एग्यारकुंड प्रखंड का ही मामला लें। एक महाशय को टीबी है। उनकी कोरोना जांच भी करवाई गई। नसीहत दी गई कि भैया घर में ही रहना। पर, साहब को घर में रहना पसंद नहीं। बस बिना किसी को बताए पहुंच गए प्रखंड कार्यालय। तभी उनके मोबाइल पर संदेश आया। आप कोरोना पाजिटिव हो। बावजूद यह युवक घर जाने की जगह वहीं डटा रहा। बीडीओ से मिलने की बात कहकर गेट खुलवाया। शान से बेंच पर बैठ गया। ये तो शुक्र मनाओ कि उस समय दफ्तर में कम लोग थे, नहीं तो कितने लोगों में ये संक्रमण फैलाते, समझ सकते हैं।