Weekly News Roundup Dhanbad: तेरा क्या होगा पीके ! जानिए सिंफर में छिड़े घपले-घाटोले के पीछे का सच

सिंफर में ऐसे और भी लोग हैैं जो निदेशक की कुर्सी के ख्वाब देख रहे हैैं। दिल्ली परिक्रमा शुरू है। विज्ञानियों में बौद्धिक शुल्क के वितरण के माह भर पुराने मसले को नए सिरे से जिंदा किया गया। इंटरनेट मीडिया में भी गंदा खेल हो रहा है।

By MritunjayEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 11:39 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 11:39 AM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: तेरा क्या होगा पीके ! जानिए सिंफर में छिड़े घपले-घाटोले के पीछे का सच
सिंफर और निदेश पीके सिंह ( फाइल फोटो)।

धनबाद [ अश्विनी रघुवंशी ]। सिंफर यानी केंद्रीय ईंधन एवं खनन अनुसंधान संस्थान के निदेशक का कार्यकाल छह साल है। वर्तमान निदेशक डाक्टर प्रदीप सिंह का कार्यकाल दिसंबर में समाप्त होगा। उपलब्धियों की फेहरिस्त लंबी है। प्रधानमंत्री कई दफा पीठ थपथपा चुके हैैं। संभव है कि उनके कार्यकाल का विस्तार हो जाए। वैसे, सिंफर में ऐसे और भी लोग हैैं जो निदेशक की कुर्सी के ख्वाब देख रहे हैैं। दिल्ली परिक्रमा शुरू है। विज्ञानियों में बौद्धिक शुल्क के वितरण के माह भर पुराने मसले को नए सिरे से जिंदा किया गया। इंटरनेट मीडिया में भी गंदा खेल हो रहा है। वर्तमान निदेशक को संघ परिवार का समर्थन है। विरोधी भी आरएसएस की प्रार्थना नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे गा रहे हैैं। चार पांव की कुर्सी के लिए दो पैर वाले लोगों को 'छह पांवÓ वाली अजीब प्रजाति बनने में भी गुरेज नहीं है। कुर्सी के लिए कुछ भी करने को तैयार हैैं।

बंगाल जैसी सियासत यहां भी

बंगाल के सीमावर्ती जिला धनबाद को भाजपा ने संगठनात्मक दृष्टिकोण से दो भाग में बांटा है, महानगर भाजपा और भाजपा ग्रामीण। यह पहली बार हुआ है। भाजपा जिलाध्यक्ष ज्ञान रंजन सिन्हा बनाए गए हैैं। वे झाविमो में थे। टुंडी से निर्दलीय चुनाव लड़े थे। साढ़े सात हजार मत मिले थे। बाबूलाल मरांडी भाजपा में शामिल हुए तो उनके पीछे वे आए। जिलाध्यक्ष की कुर्सी पाए। खूब विरोध हुआ। फिर सब कुछ शांत। भाजपा ग्रामीण जिले का भाजयुमो जिलाध्यक्ष बाप्पी चक्रवर्ती को बनाया गया है। वे निरसा से निर्दल चुनाव लड़े थे। सिर्फ दो हजार मत पाए थे। विधानसभा चुनाव में सियासी औकात को नाप लिए तो भाजपा में आ गए। संगठन के युवाओं के मुखिया भी बना दिए गए। पुराना जख्म भरा नहीं कि नया मिल गया। भड़के पुराने भाजपाई बोल रहे हैैं, 'बंगाल का किस्सा यहां भी दोहराया जा रहा है। धोखा होगा ही।Ó

फिर लट्ठ लेकर तैयार पीके

पीके। इंस्पेक्टर डाक्टर प्रमोद कुमार सिंह को पुलिस महकमे ने उपनाम दिया है। ये वही पीके हैैं जिन्होंने पलामू में कई माओवादियों को सरेआम भूना है। ऐसी दिलेरी दिखाई कि राष्ट्रपति पदक पा चुके हैैं। झरिया थानेदार थे तो दबंग सियासी घराने सिंह मेंशन और रघुकुल के लोगों की दबंगई नहीं चलने दी। कहीं चूं चप्पड़ हुई तो हाथ में लट्ठ लेकर हाजिर। अवैध संबंध में जान गंवाने वाले को मुआवजा दिलाने के नाम पर एना कोलियरी में बवाल करने की कोशिश हुई तो पीके ने लट्ठ चलाया। वीडियो वायरल हुआ। पुलिस कप्तान ने क्लीनचिट दी तो भी बोकारो आईजी प्रिया दुबे ने निलंबित कर दिया। खैर, सच जानने के बाद निलंबन खत्म कर दिया। पीके थानेदार बन जाएंगे तो फिर छा जाएंगे। सो, कुछ पुलिसवाले ही उनकी घेराबंदी में लगे हैैं, रांची के पुलिस हाउस तक। खाकी वालों की आपसी सियासत वाकई गंदी है।

एयरपोर्ट गया, जोनल आफिस भी

पहले घोषणा हुई थी कि कोयलांचल में हवाई अड्डा बनेगा। हवाई अड्डा यहां नहीं बना। बाबा के धाम देवघर चला गया। हवाई अड्डा नहीं बनने का गम खत्म नहीं हुआ था कि स्टेट बैैंक आफ इंडिया का जोनल कार्यालय भी कोयलांचल से उठकर बाबा धाम चला गया है। बैैंक मोड़ में जोनल कार्यालय होता था तो उद्यमी और कारोबारी के कामकाज फौरन निपट जाते थे। अब जोनल आफिस में मामला फंसेगा तो गोविंदपुर साहिबगंज पथ के रास्ते देवघर की दौड़ लगानी होगी। जोनल आफिस के देवघर जाने के पीछे भी सियासत है। गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे हवाई अड्डा और एसबीआइ के जोनल कार्यालय को देवघर ले जाने में लगे थे। दोनों में कामयाब हो गए। धनबाद के सांसद पीएन सिंह भी भाजपा से हैैं। विरोधी दलों के साथ अपने भी पीएन को आईना दिखाने लगे हैैं। सियासत में सचमुच कोई भी अपना नहीं।

chat bot
आपका साथी