पौधे की जगह दे दी टहनी नतीजा सूख गए सारे पौधे
जिले में राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वाकांक्षी बिरसा हरित ग्राम योजना में कई गड़बड़ियां सामने आई है। इस योजना के तहत राज्य व जिले में लॉकडाउन के दौरान बाहर से लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए जिला प्रशासन द्वारा पौधारोपण करवाना था। इसके लिए बंगाल के एक सप्लायर को पौधों की आपूर्ति करनी थी। लेकिन उसने तैयार पौधों की जगह आम के पेड़ की टहनी ही किसानों व प्रवासी मजदूरों को बांट दी। नतीजा सारे पौधे सूख गए।
अजय कुमार पांडेय, धनबाद
जिले में राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वाकांक्षी बिरसा हरित ग्राम योजना में कई गड़बड़ियां सामने आई है। इस योजना के तहत राज्य व जिले में लॉकडाउन के दौरान बाहर से लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए जिला प्रशासन द्वारा पौधारोपण करवाना था। इसके पीछे उद्देश्य था कि इससे न सिर्फ पर्यावरण हरा-भरा रहेगा वहीं उन लोगों को रोजगार भी मिलेगा। इसके लिए सिर्फ किसानों को अपनी जमीन देनी थी। इसके लिए बंगाल के एक सप्लायर को पौधों की आपूर्ति करनी थी। लेकिन उसने तैयार पौधों की जगह आम के पेड़ की टहनी ही किसानों व प्रवासी मजदूरों को बांट दी। नतीजा सारे पौधे सूख गए। कई ग्रामीणों ने जब इसकी शिकायत की तो मामले का खुलासा हुआ। इसके बाद जिला प्रशासन ने फिर से उसी आपूर्तिकर्ता को पौधे सप्लाई करने का निर्देश दिया है। 834 एकड़ में लगाए जाने थे पौधे
प्रशासन की मानें तो जिले के 834 एकड़ जमीन पर 75 हजार के लगभग पौधे लगाये जाने थे। इस योजना में ग्रामीणों को सिर्फ जमीन देनी थी। इसके अलावा बीज, खाद ओर सुरक्षा की जवाबदेही राज्य सरकार खुद वहन करती। जितने पौधे लगाए सभी सूख गए
लेदाटांड पंचायत के कामता गांव के रहने वाले प्रदीप महतो बताते हैं कि उन्होंने लगभग 50 पेड़ लगाये थे। लेकिन सभी सूख गये। कारण बताते हुए वे कहते हैं कि अब भला टहनी भी कभी पौधे का रूप ले सकती है। उन्होंने बताया कि इसकी शिकायत प्रखंड से लेकर जिला स्तर के अधिकारियों तक की लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं सदर प्रखंड के बरडुभी पंचायत के किसान रामलखन सिंह ने बताया कि उन्होंने 224 पौधे लगाए थे लेकिन अब एक भी पौधा जिंदा नहीं रहा। प्रशासन के पास नहीं है डाटा
यही नहीं जिला प्रशासन के पास इस योजना के लाभुकों से संबंधित डाटा भी नहीं है। उपविकास आयुक्त ने बताया कि इसका डाटा अलग से नहीं बना कर मनरेगा वके डाटा के साथ ही बनाया गया है।
योजना में सप्लायर द्वारा गड़बड़ी की गई है। आपूर्तिकर्ता को फिर से नए और स्वस्थ पौधे किसानों को देने का निर्देश दिया गया है।
दशरथ चंद्र दास, उपविकास आयुक्त