टाटा स्टील झरिया ने दी कई खिलाड़ियों को पहचान

गोविन्द नाथ शर्मा झरिया पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब खेलोगे कूदोगे होगे खराब। बुजुर्गों की यह क

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Aug 2021 06:54 AM (IST) Updated:Mon, 30 Aug 2021 06:54 AM (IST)
टाटा स्टील झरिया ने दी कई खिलाड़ियों को पहचान
टाटा स्टील झरिया ने दी कई खिलाड़ियों को पहचान

गोविन्द नाथ शर्मा, झरिया : पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे होगे खराब। बुजुर्गों की यह कहावत आज झूठी साबित हो रही है। खेल के दम पर कई खिलाड़ी आज राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परचम लहरा कर अपने शहर, राज्य व देश का नाम रोशन कर रहे हैं। खेल के बल पर अपने भविष्य को भी संवार रहे हैं। हम बात कर रहे हैं झरिया के डिगवाडीह मैदान में स्थापित टाटा स्टील झरिया डिवीजन की आर्चरी यानी धनुष-बाण चलाने के प्रशिक्षण केंद्र का। एक दशक में इस आर्चरी से दर्जनों खिलाड़ी राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन कर अपना लोहा मनवा चुके हैं। खिलाड़ियों को यहां तक पहुंचाने में आर्चरी के राष्ट्रीय स्तर के कोच डिप्लोमा टू धारी राष्ट्रीय खिलाड़ी रहे सिजुआ के मोहम्मद शमशाद का बहुत योगदान रहा है। वर्ष 2008 में आर्चरी की स्थापना टाटा स्टील जमशेदपुर के स्पो‌र्ट्स हेड रहे संजीव सिंह ने उद्घाटन कर की थी।

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सुलेखा ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में लहराया था परचम

महुदा की सुलेखा सिंह इस आर्चरी में प्रशिक्षण प्राप्त कर वर्ष 2013 में शंघाई चीन में आयोजित यूथ व‌र्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिप में भाग लेकर परचम लहराई थी। इसी आर्चरी की मधु कुमारी, नेहा कुमारी, अलीशा परवीन, लक्ष्मी कुमारी महतो, सिमरन महतो, नाजिया परवीन, सोनी खातून पिटू कुमार राणा, दीपा कुमारी, श्वेता कुमारी, संगीता कुमारी, मोनिका मोदी, मनीष चौधरी, मुकेश गोस्वामी, मो आदिल, पंकज कुमार, विशाल चौधरी, रंजीत गोराई सहित लगभग 40 खिलाड़ी आर्चरी की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में परचम लहरा चुके हैं।

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खेल के दम पर मिली सरकारी नौकरी

1994 में आर्चरी प्रतियोगिता के नेशनल मेडलिस्ट रहे पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी मो शमशाद से निश्शुल्क प्रशिक्षण प्राप्त अपने खेल के दम पर कई खिलाड़ी आज सरकारी नौकरी कर रहे हैं। करण कुमार, महेंद्र करमाली, रंजीत गोराई, सोनी कुमारी, पूजा कुमारी, पिटू राणा, ममता टुडू, नमिता टुडू आदि शामिल हैं।

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मोहम्मद शमशाद ने धनबाद में आर्चरी को दी नई पहचान :

धनबाद जिला में आर्चरी खेल को कोच मो शमशाद ने एक नई पहचान दी। कहा कि 1996 से 2007 तक जामाडोबा, भौंरा, डुमरी, जोड़ापोखर, महुदा, टुंडी, गोविदपुर, झरिया, बलियापुर आदि जगहों में जाकर खिलाड़ियों को निश्शुल्क प्रशिक्षण देते थे। वर्ष 2008 में टाटा कंपनी के सहयोग से डिगवाडीह में आर्चरी खुलने से खिलाड़ियों को बहुत मदद मिली।

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टाटा स्टील झरिया डिवीजन संचालन में करता सहयोग

आर्चरी के बारे में कोच मो. शमशाद ने कहा कि इसका संचालन टाटा स्टील झरिया डिवीजन करता है। खिलाड़ियों को हर जरूरत के सामान उपलब्ध कराता है। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण आर्चरी भी प्रभावित हुआ। मार्च 2020 से अभी तक यह बंद है। शमशाद ने उम्मीद जताई कि सरकार का निर्देश मिलते ही टाटा स्टील प्रबंधन इस आर्चरी को खोल देंगे।

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