Jharkhand Lockdown: भूखे मर रहे कोचिंग शिक्षक, अब तक 20 की माैत; धनबाद के सांसद-विधायकों से लगाई मदद की गुहार

वर्तमान परिस्थितियों के कारण शिक्षा की सुविधा के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जा रहा है लेकिन यह केवल मेट्रो शहरों में प्रभावी है और केवल समाज के आर्थिक रूप से संपन्न वर्ग के लिए है। प्रशासन के आदेश से स्कूलों एवं कोचिंग संस्थानों को बंद करना पड़ा।

By MritunjayEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 05:50 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 07:11 PM (IST)
Jharkhand Lockdown: भूखे मर रहे कोचिंग शिक्षक, अब तक 20 की माैत; धनबाद के सांसद-विधायकों से लगाई मदद की गुहार
धनबाद के सांसद पीएन सिंह को मांग पत्र साैंपते कोचिंक शिक्षक।

धनबाद, जेएनएन। कोविड की सबसे अधिक मार शिक्षण संस्थानों पर पड़ी है। कई कोचिंग संस्थान और स्कूल तो बंद भी हो गए। कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष सह धनबाद कोचिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह के नेतृत्व में कोचिंग संचालकों का एक प्रतिनिधिमंडल सांसद पीएन सिंह, निरसा विधायक अपर्णा सेनगुप्ता और धनबाद विधायक राज सिन्हा ने मिला। सभी को कोचिंग खुलवाने के लिए आग्रह पत्र सौंपा। पत्र के माध्यम से कहा गया कि प्राइवेट शिक्षकों की आर्थिक एवं मानसिक परेशानी को देखते हुए कोचिंग खुलवाने में पहल करें। पिछले वर्ष से वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण शिक्षा क्षेत्र को सर्वाधिक नुकसान उठाना पड़ा है। सभी हितधारक, यानी छात्र, उनके माता-पिता और शिक्षक प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए हैं। अब तक झारखंड में 20 शिक्षकों की माैत हो चुकी है।

ऑनलाइन शिक्षा झारखंड जैसे राज्य के लिए सही नहीं

वर्तमान परिस्थितियों के कारण शिक्षा की सुविधा के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन यह केवल मेट्रो शहरों में प्रभावी है और केवल समाज के आर्थिक रूप से संपन्न वर्ग के लिए है। प्रशासन के आदेश से स्कूलों एवं कोचिंग संस्थानों को बंद करना पड़ा। इससे न तो नए एडमिशन हो रहे हैं न ही पहले से पढ़ रहे छात्रों की ट्यूशन फीस मिल पा रही है। इसके विपरीत संस्थानों को किराया, बिजली के बिल देने का बोझ बढ़ गया है और अपने कर्मचारियों को उनके दैनिक जीवन को सुनिश्चित करने के लिए वेतन का भुगतान करना पड़ रहा है। स्थिति चिंताजनक है। कई शिक्षकों ने आत्महत्या कर ली है। सरकार ने अभी तक शिक्षा क्षेत्र को कोई राहत या पैकेज सहायता नहीं दी है, जबकि सभी क्षेत्रों को राहत दी गई है।

कोचिंग से रोजगार के अवसर पैदा होते

कोचिंग के माध्यम से बहुत सारे लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो रहा था। उम्मीद करते हैं कि उचित दिशा-निर्देशों और एसओपी के तहत शारीरिक रूप से संचालित करने की अनुमति भी देंगे। इस मौके पर कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह, प्रदेश उपसचिव विकास तिवारी, विनय शर्मा, नीतू शंकर, सोनी उपस्थित थे।

        एसोसिएशन की प्रमुख मांगें कोचिंग संस्थानों को दोबारा खोलने की अनुमति प्रदान मिले। दुकान, शॉपिंग मॉल, मनोरंजन पार्क, होटेल, रेस्तरां और बार, विवाह समारोह आदि जैसी विभिन्न गतिविधियों के लिए सरकार पहले ही दिशानिर्देश जारी कर चुकी है। अनुरोध करते हैं कि कृपया इस कोचिंग संस्थानों को उचित दिशा-निर्देशों और एसओपी के साथ खोलने की अनुमति दें, जिससे शिक्षकों की आजीविका पटरी पर आए एवं छात्र मानसिक तनाव से बाहर निकलें एवं भविष्य निर्माण सुनिश्चित हो।  शिक्षकों को ऑनलाइन सत्र आयोजित करने, परीक्षाओं का मूल्यांकन करने और शिक्षाविदों से संबंधित विभिन्न अन्य प्रशासनिक कार्यों के लिए स्कूल-कोचिंग जाना पड़ता है, इसलिए शिक्षकों को फ्रंटलाइन कार्यकर्ता घोषित किया जाना चाहिए और उन्हें टीकाकरण कार्यक्रम में वरीयता दी जानी चाहिए। स्थिति सामान्य होने तक प्रति परिवार 20 हजार रुपये की मासिक सहायता मिले। शिक्षकों पर तत्काल प्रभाव से ईएमआइ की मोहलत मिले। कोविड-19 बेलआउट पैकेज के हिस्से के रूप में कोचिंग एवं प्राइवेट स्कूल शिक्षकों को पांच लाख रुपये तक की सीमा के लिए आसान बैंक ऋण प्रदान किया जाए। कोचिंग मालिकों के लिए कोविड-19 बेलआउट पैकेज के हिस्से के रूप में रियायती ब्याज़ दरों पर दो करोड़ का ऋण दिलाया जाए।  कोविड अवधि का कोचिंग परिसरों के बिजली बिल माफ किए जाएं। 18 फीसद की वर्तमान जीएसटी स्लैब दर लक्ज़री वर्ग की सेवा का टैक्स है जबकि शिक्षा जरूरी सेवा है। इससे 95 फीसद छात्रों एवं अभिवावकों के लिए अत्यधिक आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ता है। जीएसटी दर को केंद्र सरकार के सहयोग से 5 फीसद स्लैब दर में संशोधित करें।

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