प्रसिद्ध मजदूर नेता एसके बक्शी नहीं रहे, आपातकाल में एके राय के साथ गए थे जेल
गोविन्द नाथ शर्मा झरिया कोयला उद्योग के प्रसिद्ध मजदूर नेता अमलापाड़ा झरिया निवासी प्रसिद्ध सीटू
गोविन्द नाथ शर्मा, झरिया : कोयला उद्योग के प्रसिद्ध मजदूर नेता अमलापाड़ा झरिया निवासी प्रसिद्ध सीटू नेता 85 वर्षीय एसके बक्शी का शुक्रवार को निधन हो गया। वे कई दिनों से बीमार चल रहे थे। सांस लेने में उन्हें दिक्कत होने पर उन्हें कुछ दिन पूर्व केंद्रीय अस्पताल धनबाद में भर्ती कराया था। चिकित्सक ने बेहतर इलाज के लिए शनिवार को उन्हें दुर्गापुर अस्पताल रेफर कर दिया। दुर्गापुर ले जाने के दौरान ही उनकी मौत हो गई। एसके बक्शी के निधन से कोयला जगत व झरिया कोयलांचल के मजदूरों, विभिन्न यूनियनों में शोक की लहर छा गई है। जमींदार परिवार से जुड़े एसके बक्शी बंग विद्यालय से प्राथमिक शिक्षा व राज स्कूल से मैट्रिक की शिक्षा प्राप्त की। बांकुड़ा क्रिश्चियन कॉलेज इंटर व वर्धमान राज कॉलेज से स्नातक बीएससी की परीक्षा पास करने के बाद डेमोस्टेटर व शिक्षक भी रहे। इनके पूर्वजों ने जमीन दान देकर झरिया में केसी बालिका विद्यालय की स्थापना की। धनबाद के एक कारखाना में काम करने के बाद मजदूरों की व्यथा देखी। इसके बाद साठ के दशक में मजदूर आंदोलन में कूद पड़े। इनका विवाह संध्या बक्शी से हुआ। दो पुत्र व एक पुत्री हैं।
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कोयला मजदूरों का शोषण देख कर बीसीकेयू का किया गठन
1960 के दशक में झरिया कोयलांचल में कोयला मजदूरों के शोषण को देखकर एसके बक्शी काफी मर्माहत हुए। मजदूरों को शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया। उन्होंने बिहार कोलियरी कामगार यूनियन का गठन किया। यह यूनियन आज भी चल रही है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी समन्वय समिति व वामपंथी संगठन के लोग बीसीकेयू से जुड़े हैं।
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माफियाओं ने लोदना में एसके बक्शी पर किया था हमला
बिहार कोलियरी कामगार यूनियन गठन के दौरान माफियाओं ने एसके बख्शी पर एनएस लोदना में 70 के दशक में जानलेवा हमला किया था, लेकिन वे बाल-बाल बच गए थे। एसके बक्शी माफियाओं के खिलाफ लगातार आग उगलते रहे। अंत तक वे मजदूरों की सभाओं में माफियाओं को निशाना बनाते रहे। मजदूरों को माफियाओं के खिलाफ आंदोलन करने के लिए ललकारते रहे। लगातार 60 वर्षों तक मजदूरों के लिए लड़कर उनका हक दिलाया।
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आपातकाल में पूर्व सांसद एके राय के साथ जेल भी गए एसके बक्शी
देश में आपातकाल के दौरान हुए युवा-छात्र आंदोलन में एसके बक्शी ने भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। पूर्व सांसद एके राय के साथ मिलकर आपातकाल का तीव्र विरोध किया था। इमरजेंसी के दौरान एसके बक्शी जेल भी गए। काफी समय तक पूर्व सांसद एके राय व अन्य साथियों के साथ जेल में रहे। जेल से बाहर आने के बाद मजदूरों को अधिकार दिलाने के लिए अंतिम समय तक लड़ते रहे। उनके निधन से कोयला उद्योग के मजदूरों में शोक की लहर है।