Shaharnama Dhanbad: चांदी है लोभ की बांदी... मथुरा के कारोबारियों ने सोनारों को ठीक से समझा दिया

Shaharnama Dhanbad आभूषण जगत में चांदी की कीमत टंच के आधार पर लगती है। जितना प्रतिशत चांदी होती उसी आधार पर टंच का निर्धारण होता है। झरिया के सोनार ने कम टंच की चांदी को अधिक बताकर मथुरा में बेचा था। मथुरा से कुछ चांदी वापस आ गई।

By MritunjayEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 07:19 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 09:02 AM (IST)
Shaharnama Dhanbad: चांदी है लोभ की बांदी... मथुरा के कारोबारियों ने सोनारों को ठीक से समझा दिया
चांदी की कीमत टंच के आधार पर लगती ( सांकेतिक फोटो)।

अश्विनी रघुवंशी, धनबाद। झरिया में धरती तले आग है तो भी बड़ी आबादी हटना नहीं चाहती। बड़ा कारण है, सहज जीविकोपार्जन। उसी झरिया में दीपावली के पहले एक सोनार ने ऐसा खेल किया कि मथुरा के कारोबारी दंग रह गए। वो सोनार लोगों से सोना और चांदी खरीदता है। चांदी को गला कर बाहर के कारोबारियों को बेचते हैं। मथुरा में उस चांदी से फिर आभूषण तैयार हुए। आभूषण जगत में चांदी की कीमत टंच के आधार पर लगती है। जितना प्रतिशत चांदी होती, उसी आधार पर टंच का निर्धारण होता है। झरिया के सोनार ने कम टंच की चांदी को अधिक बताकर मथुरा में बेचा था। मथुरा से कुछ चांदी वापस आ गई। झरिया के आभूषण कारोबारियों तक संदेश आ गया कि कारोबार में ऐसा गोलमाल ठीक नहीं। एक की गलती सबको भुगतनी होगी। अब सारे सोनार बोल रहे हैं, चांदी वास्तव में लोभ की बांदी है।

पीएमओ ने सुखा दिया हलक

दो दशक पहले झरिया कोल फील्ड के अग्नि प्रभावित क्षेत्रों से लोगों के पुनर्वास परियोजना की शुरुआत हुई थी। दो दशक गुजर चुके हैैं। न अग्नि पर काबू पाया जा सका, न एक हजार आबादी का भी कायदे से पुनर्वास हो सका है। तीन बार संशोधन करते हुए पुनर्वास परियोजना का अवधि विस्तार किया जा चुका है। बजट बढ़ रहा है, हजारों करोड़ में। न आग पर बसे लोगों को फायदा हुआ है न बीसीसीएल को। एक हजार करोड़ से अधिक खर्च हो चुके हैं तो किसी न किसी को तो लाभ जरूर हुआ है। पुनर्वास परियोजना में फिर संशोधन की संचिका गई तो प्रधानमंत्री कार्यालय ने हस्तक्षेप किया है। नीति आयोग को लगा दिया है। भारत सरकार का उच्चस्तरीय दल भी यहां बार-बार आ रहा है। जो अधिकारी करोड़ों का गोलमाल किए हैैं, उनके हलक सूख रहे हैैं कि कहीं पोल न खुल जाए।

प्राक्कलन घोटाला या चुनावी घेराबंदी

हेमंत सरकार बनने के बाद धनबाद नगर निगम की पुरानी योजनाओं की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने जांच पड़ताल शुरू की। निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म होना था। कुछ महीने में हो भी गया। चुनाव होना था कि कोरोना के कारण टल गया। हल्ला हो गया कि तत्कालीन मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल के कार्यकाल में ली गई करोड़ों की योजनाओं के प्राक्कलन में गोलमाल किया गया। ठेकेदारी भाषा में बढ़ाकर इस्टीमेट बनाया गया। आरोप लगा कि रघुवर सरकार के तथाकथित रणनीतिकार चंद्रशेखर अग्रवाल ने करोड़ों बनाए हैैं। एसीबी ने नोटिस भेज-भेज कर भाजपा नेता चंद्रशेखर की सारी चल-अचल संपत्ति की जांच की। खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली कहावत सामने आने लगी है। खैर, अब निगम का चुनाव होने को है। चंद्रशेखर फिर मेयर के दावेदार है। वे सबको समझा रहे हैैं कि इतनी योजनाएं लाई हैं कि दूसरा सोच भी नहीं सकता। चुनावी घेराबंदी जारी है।

आटो से हवाई जहाज तक

न्यायाधीश उत्तम आनंद को सुबह की सैर के दौरान आटो ने ऐसा मारा कि जान चली गई। सीसीटीवी फुटेज में दिखा कि उन्हें आटो से इरादतन मारा गया। रांची और दिल्ली दरबार हिल गया। एडीजी संजय आनंद लाठकर के नेतृत्व में झारखंड सरकार के विशेष जांच दल ने पाथरडीह के लखन वर्मा और राहुल वर्मा को दबोचा। लखन आटो चला रहा था। राहुल साथ में बैठा था। जांच में आया कि रात में नशे की दवाएं ली थी। खूब शराब भी पी थी। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआइ जांच शुरू हुई। नार्को टेस्ट के लिए दोनों को ट्रेन से ले जाया गया। दोनों आरोपितों की सुरक्षा का ख्याल आया तो उन्हें हवाई जहाज से लाया गया। इसे किस्मत कहा जाए या बदकिस्मती कि आटो से हवाई जहाज तक पहुंच गए। न्यायाधीश हत्याकांड का सच सामने नहीं आया है। सीबीआइ का भी दुर्योग है।

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