कोरोना काल में शिवडंगाल उप स्वास्थ्य केंद्र को स्वयं इलाज की जरूरत Dhanbad News
एग्यारकुंड प्रखंड स्थित गोपीनाथपुर पंचायत के शिवडंगाल में वर्ष 1997 में बना उप स्वास्थय केंद्र को स्वयं इलाज की जरूरत है। यह उप स्वास्थय केंद्र सिर्फ दो एएनएम के भरोसे चल रहा है। उप स्वास्थय केंद्र बनने के बाद से आज तक चिकित्सक बैठा ही नहीं है।
गलफरबाड़ी, जेएनएन : एग्यारकुंड प्रखंड स्थित गोपीनाथपुर पंचायत के शिवडंगाल में वर्ष 1997 में बना उप स्वास्थय केंद्र को स्वयं इलाज की जरूरत है। यह उप स्वास्थय केंद्र सिर्फ दो एएनएम के भरोसे चल रहा है। उप स्वास्थय केंद्र बनने के बाद से आज तक चिकित्सक बैठा ही नहीं है।
इलाज की उचित व्यवस्था नहीं होने से लोगों को निजी अस्पतालों में जाना पता है। उप स्वास्थ्य केंद्र का भवन इतना जर्जर अवस्था में है कि चारो ओर से छज्जा और छत का किनारा टूट कर गिर रहा है। इस उप स्वास्थय केंद्र मैं प्रतिनियुक्त एएनएम दो ए को 14 गांव को देखना पड़ता है जिसकी आबादी लगभग 30 हजार है। ग्रामीणों का कहना है कि इस उप स्वास्थय केंद्र में आज तक कभी भी चिकित्सक नहीं बैठे है।
दो एएनएम को कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए मुगमा डाक बंगला में ड्यूटी करनी पड़ती है। इस कारण भी उप स्वास्थय केंद्र अक्सर बंद रहता है। उप स्वास्थय केंद्र से ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं हो रहा है। यहां 2 वर्ष तक के बच्चे का टीका भी उपलब्ध नहीं है। बच्चों का टीका लगवाने के लिए दूसरे स्वास्थ केंद्र जाना पड़ता है। इस संबंध में गोपीनाथपुर पंचायत के मुखिया रामदेव पासवान कहते हैं कि तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा वर्ष 1997 में ग्रामीणों के लाभ के लिए उप स्वास्थय केंद्र बनाया गया। साल 2000 में झारखंड अलग राज्य बना। उसके बाद से धनबाद तो दूर निरसा सीएचसी के अधिकारी भी कभी इस उप स्वास्थय केंद्र की कोई सुध नहीं ले रहे हैं । यदि सरकार द्वारा इस महामारी के इस समय में एक चिकित्सक की तैनाती कर दी जाए तो 14 गांव के ग्रामीण को निरसा व चिरकुंडा न जाकर यहां इलाज करा सकते हैं । सरकार द्वारा गांव पर विशेष रूप से जांच चलाने की बात कही जा रही है। ऐसे में इस उप स्वास्थ्य केंद्र पर ध्यान देने की जरूरत है।