DMC: न तो कभी जमीन मिली और न डीपीआर बना; नौ वर्षों से हवा में तैर रहा निगम का सीवरेज-ड्रेनेज प्लांट
2012 से ही नगर निगम पदाधिकारी यह बोलकर बरगलाते रहे कि जेएनएनयूआरएम के तहत सीवरेज-ड्रेनेज प्लांट बनाने के लिए जगह का चयन कर लिया गया है। इस पर लगभग 400 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यहां इकट्ठा होने वाले पानी का ट्रीटमेंट कर दुबारा प्रयोग में भी लाया जाएगा।
धनबाद, जेएनएन : 2012 से ही नगर निगम पदाधिकारी यह बोलकर बरगलाते रहे कि जेएनएनयूआरएम के तहत सीवरेज-ड्रेनेज प्लांट बनाने के लिए जगह का चयन कर लिया गया है। इस पर लगभग 400 करोड़ रुपये खर्च होंगे। शहर भर के छोटे-बड़े नालों का पानी अंडर ग्राउंड टनल के जरिए इस सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में जोड़ा जाएगा। यहां इकट्ठा होने वाले पानी का ट्रीटमेंट कर दुबारा प्रयोग में भी लाया जाएगा। ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। पिछले नौ वर्षों से धनबाद की जनता की आंखों में धूल झोंकते हुए मुंगेरीलाल के सपने दिखाए जाते रहे। सोमवार को नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार ने स्पष्ट कर दिया कि सीवरेज-ड्रेनेज प्लांट के लिए न तो जमीन की अधियाचना हुई है और न ही इसका कोई डीपीआर बना है। उनके यहां आने से पहले इसपर मीटिंग जरूर हुई थी, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी। नगर आयुक्त यह जरूर कहते हैं कि धनबाद में सीवरेज-ड्रेनेज प्लांट की अत्यधिक आवश्यकता है। इसके लिए 15वें वित्त आयोग की राशि में प्रावधान कर नए सिरे से इसे बनाने का प्लान करेंगे।
अभी तक यही बताया जाता रहा
नगर निगम की ओर से अभी तक यही बताया जाता रहा है कि जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिनुअल मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत 2012 में ही इन नालों का पानी एक जगह एकत्रित करने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की योजना बनी है। मटकुरिया में प्लांट बनना था। शहर भर के छोटे-बड़े नालों का पानी अंडर ग्राउंड टनल के जरिए इस सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में जोड़ने की योजना थी। शहर में छोटे-बड़े 56 नाले हैं।