24 सितंबर को सुनवाई की तिथि, एसडीओ कार्यालय ने 12 अक्टूबर को भेजा पत्र

किसी के पक्ष को नहीं सुनना हो या सवालों का जवाब न देना हो तो सबसे अच्छा तरीका है कि स्पीड पोस्ट से मैसेज भेज दीजिए। मिला तो ठीक नहीं मिला तो जवाब देने से बच गए। ऐसा ही एक अजीब वाक्या हुआ है जिसमें एसडीओ कार्यालय ने सुनवाई की तिथि के 18 दिन बाद पत्र भेजा। मतलब सुनवाई की तिथि बीत गई और पत्र अब जाकर मिला। दरअसल मामला एक आरटीआइ का है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 05:06 AM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 05:06 AM (IST)
24 सितंबर को सुनवाई की तिथि, एसडीओ कार्यालय ने 12 अक्टूबर को भेजा पत्र
24 सितंबर को सुनवाई की तिथि, एसडीओ कार्यालय ने 12 अक्टूबर को भेजा पत्र

जागरण संवाददाता, धनबाद : किसी के पक्ष को नहीं सुनना हो या सवालों का जवाब न देना हो तो सबसे अच्छा तरीका है कि स्पीड पोस्ट से मैसेज भेज दीजिए। मिला तो ठीक, नहीं मिला तो जवाब देने से बच गए। ऐसा ही एक अजीब वाक्या हुआ है, जिसमें एसडीओ कार्यालय ने सुनवाई की तिथि के 18 दिन बाद पत्र भेजा। मतलब सुनवाई की तिथि बीत गई और पत्र अब जाकर मिला। दरअसल मामला एक आरटीआइ का है। बाघमारा प्रखंड के कतरास के कुछ प्लाट में जमीन के अवैध दखल-कब्जा आदि से संबंधित सूचनाओं की प्राप्ति के लिए इसी वर्ष 22 जून को आरटीआइ कार्यकर्ता अरविद सिन्हा ने एसडीओ कार्यालय में आरटीआइ दाखिल किया। निर्धारित तिथि में सूचना उपलब्ध नहीं होने पर उन्होंने अपर समाहर्ता कार्यालय धनबाद के प्रथम अपीलीय अधिकारी सह अपर समाहर्ता को प्रथम अपील आवेदन प्रेषित किया। अपर समाहर्ता ने 13 सितंबर को चिट्ठी लिखी और दोनों पक्षों को 24 सितंबर को एसडीओ कार्यालय में सुनवाई के लिए उपस्थित होने का आदेश जारी किया। मजेदार बात यह है कि यह चिट्ठी अरविद को रजिस्ट्री पोस्ट से 12 अक्टूबर को प्राप्त हुआ। जिसे 11 अक्टूबर को दोपहर 1:51 में पोस्ट आफिस से पोस्ट किया गया था। अरविद इस मामले में कहते हैं कि आरटीआइ का जवाब देने से बचने के लिए अधिकारी तरह तरह का हथकंडा अपनाते हैं। तय समय सीमा में आरटीआइ का जवाब नहीं देना इस बात का साफ संकेत करता है कि कहीं न कहीं गड़बड़ी जरूर है। इसके उजागर होने से बड़े बड़े अधिकारी भी नप सकते है। उन्होंने सूचनाओं को रोके जाने का कड़ा विरोध जताया है।

----------------------

इससे पहले मोहर्रम के दिन भी रख दी थी सुनवाई

अरविद ने बताया कि इससे पहले भी एक अन्य मामले में 20 अगस्त को मोहर्रम की छुट्टी के दिन सुनवाई के लिए बुलाकर बेवजह परेशान किया गया था। आरटीआइ कार्यकर्ता ने इसकी शिकायत सूचना आयोग से की है। अरविद ने बताया कि कई सूचनाओं की जानकारी आज तक विभाग से नहीं मिली है, जबकि सूचना मांगे हुए एक वर्ष बीत गया।

chat bot
आपका साथी