बच्चों की पढ़ाई तो बंद हुई ही दोपहर का भोजन भी हुआ गोल

पारा शिक्षकों के हड़ताल पर जाने के बाद से शिक्षा विभाग की ओर से डीएलएड प्रशिक्षुओं को पढ़ाने की जिम्मेवारी सौंपी गई। लेकिन अधिकतर जगह डीएलएड प्रशिक्षुओं ने योगदान ही नहीं दिया।

By mritunjayEdited By: Publish:Fri, 07 Dec 2018 05:08 PM (IST) Updated:Fri, 07 Dec 2018 05:08 PM (IST)
बच्चों की पढ़ाई तो बंद हुई ही दोपहर का भोजन भी हुआ गोल
बच्चों की पढ़ाई तो बंद हुई ही दोपहर का भोजन भी हुआ गोल

धनबाद, जेएनएन। स्थायीकरण समेत अन्य मांगों को लेकर पिछले 22 दिनों से पारा शिक्षक हड़ताल पर हैं। विभागीय आंकड़े पर गौर करें तो हड़ताल पर जाने वाले पारा शिक्षकों की संख्या 2766 है, जिले में कुल 2869 पारा शिक्षक कार्यरत हैं। हड़ताल की वजह से सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। सबसे बुरे हालात 664 नया प्राथमिक विद्यालयों की है। ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में नया प्राथमिक विद्यालय हैं और यहां स्थायी शिक्षकों की जगह पारा शिक्षकों के भरोसे ही पठन-पाठन है। पिछले 22 दिनों से इन विद्यालयों में पढ़ाई नहीं हो रही है, मध्याह्न भोजन पूरी तरह से ठप है। कई स्कूलों में बच्चे आते तो हैं, लेकिन खेलकूद कर वापस घर चले जाते हैं। इन्हें दोपहर का भोजन भी नहीं मिल रहा है। लगभग 80 हजार बच्चे पिछले 22 दिनों से एमडीएम से वंचित हैं। जबकि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग का स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी सूरत में एमडीएम बंद नहीं होना है। अगर ऐसी स्थिति बनती भी है तो छात्रों को उस दिन का क्षतिपूर्ति देय होगा।

डीएलएड प्रशिक्षुओं ने नहीं दिया योगदानः पारा शिक्षकों के हड़ताल पर जाने के बाद से शिक्षा विभाग की ओर से डीएलएड प्रशिक्षुओं को पढ़ाने की जिम्मेवारी सौंपी गई। लेकिन अधिकतर जगह डीएलएड प्रशिक्षुओं ने योगदान ही नहीं दिया। कई जगह योगदान करने भी गए तो पारा शिक्षकों एवं स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के चलते वापस लौटना पड़ा। कुल मिलाकर शिक्षकों एवं सरकार की लड़ाई में खामियाजा बच्चों को उठाना पड़ रहा है। शिक्षक नेता नंद किशोर सिंह कहते हैं कि बच्चों को शिक्षा से वंचित करना अपराध है। सरकार को भी पारा शिक्षकों की बात सुननी चाहिए। बच्चों के भविष्य को देखते हुए सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है। 

तोपचांची, निरसा, राजगंज, टुंडी के स्कूलों के सबसे बुरे हालातः हड़ताल की वजह से अधिकतर स्कूलों में ताले लटके हैं, फिर चाहे वह तोपचांची प्रखंड के चितरपुर पंचायत का नया प्राथमिक विद्यालय हरिजन टोला हो, प्राथमिक विद्यालय खमारडीह, राजगंज इलाके का नया प्राथमिक विद्यालय बरवाडीह, कारीटांड़, झिरकीबाद, निमकीटांड़, बरडार, गोमोह का नया प्राथमिक विद्यालय चंद्रसाइडीह, निरसा प्रखंड के विद्यालय या फिर बाघमारा प्रखंड का नया प्राथमिक विद्यालय तेतुलमारी हो, न तो बच्चे आ रहे हैं और न ही यहां एमडीएम बन रहा है। प्रखंडों के बीईईओ जिले को रिपोर्ट भेजकर यह बता रहे हैं कि स्कूल खुले हैं और एमडीएम का संचालन हो रहा है। जमीनी सच्चाई इससे इतर है। 

यहां लटके मिले ताले

- राजगंज : नया प्राथमिक विद्यालय बरवाडीह, कारीटांड़, झिरकीबाद, निमकीटांड़, बरडार, हिरघुटु, लेडोडीह, बरटांड़, मुर्गाबेड़ा, बांसमुड़ी।

- तोपचांची : नया प्राथमिक विद्यालय हरिजन टोला, प्राथमिक विद्यालय खमारडीह, प्राथमिक विद्यालय हीरापुर पांडेयडीह।

- गोमो : नया प्राथमिक विद्यालय चंद्रसाईडीह, राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय खेड़ाबेडा। 

- तेतुलमारी : नया प्राथमिक विद्यालय, नया प्राथमिक विद्यालय हरिजन टोला।

- झरिया : नया प्राथमिक विद्यालय चार नंबर सब्जी बागान, चांदमारी खास झरिया, खपड़ा धौड़ा सिंह नगर, चासनाला ओझा बस्ती, हुसैन नगर मुंडा पट्टी, डोमगढ़, सात नंबर डुमरी आदि। 

- टुंडी : नया प्राथमिक विद्यालय पतरो गांव दक्षिणी टुंडी।

अधिकतर नया प्राथमिक विद्यालयों में हड़ताल के समय से ही एमडीएम का संचालन बंद है। विभाग की ओर से वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है, लेकिन उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अगले निर्देश का इंतजार है, इसके बाद ही कुछ कह पाएंगे।

- विनीत कुमार, जिला शिक्षा अधीक्षक

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