डीएवी की छात्रा शुब्रोनीता ने देश में पाया पहला स्थान

फोटो मनीष उपलब्धि- इसरो के ऑनलाइन प्रोजेक्ट कंप्टीशन में बनाया जीएसएलवी एमके थ्री रॉकेट क

By JagranEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 09:48 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 09:48 PM (IST)
डीएवी की छात्रा शुब्रोनीता ने देश में पाया पहला स्थान
डीएवी की छात्रा शुब्रोनीता ने देश में पाया पहला स्थान

फोटो मनीष

उपलब्धि- इसरो के ऑनलाइन प्रोजेक्ट कंप्टीशन में बनाया जीएसएलवी एमके थ्री रॉकेट का मॉडल

देशभर के स्कूली छात्रों ने लिया था हिस्सा, डेढ़ महीने पहले आयोजित की गई थी प्रतियोगिता

डीएवी कोयलानगर में आठवीं की छात्रा हैं शुब्रोनीता,

जागरण संवाददाता, धनबाद : डीएवी पब्लिक स्कूल कोयला नगर की छात्रा शुब्रोनीता कुमारी ने स्कूल का नाम देश के मानचित्र पर रोशन किया है। कक्षा आठवीं की छात्रा सुब्रोनीता ने इसरो की ओर से आयोजित प्रतियोगिता में पूरे भारत में प्रथम स्थान हासिल किया है। करीब एक डेढ़ महीने पहले इसरो के द्वारा ऑनलाइन प्रोजेक्ट कंप्टीशन आयोजित किया गया था, जिसमें शुब्रोनीता ने भाग लिया। प्रतियोगिता का विषय अंतरिक्ष एवं उससे संबंधित साइबर स्पेस टेक्नोलॉजी पर आधारित था, जिसमें प्रतिभागियों को साइबर स्पेस से संबंधित विभिन्न मॉडल प्रारूप तैयार करना था। इसरो द्वारा आयोजित परीक्षा में कक्षा छह से कक्षा आठवीं तक के बच्चों को कैटेगरी के आधार पर भाग लेना था। विद्यालय की छात्रा शुब्रोनीता ने अंतरिक्ष यान जीएसएलवी एमके थ्री रॉकेट का मॉडल बनाया था। बीसीसीएल में कार्यरत महावीर प्रसाद की पुत्री शुब्रोनीता की माता प्रभा देवी गृहणी है। बेटी की उपलब्धि पर उन्होंने कहा कि इस मॉडल के लिए मेरी पुत्री ने काफी मेहनत की। उसकी इस उपलब्धि पर हम गौरवान्वित है। स्कूल में संचालित अटल टिकरिग लैब के समन्वयक वीके सिंह के कुशल नेतृत्व में बच्चे बेहतर कर रहे हैं। डीएवी झारखंड जॉन सी के रीजनल ऑफिसर डा. केसी श्रीवास्तव एवं स्कूल के प्राचार्य आरके सिंह ने छात्रा को उसकी उपलब्धि के लिए बधाई दी है। पीआरओ अनिल कुमार ने जानकारी देते हुए कहा कि शुब्रोनीता ने बेहतर प्रदर्शन कर स्कूल का नाम रौशन किया है। क्या है मॉडल में

जीएसएलवी एमके थ्री रॉकेट का यक मॉडल अभी तक का सबसे कम वजन वाला एवं अत्यंत प्रभावी साबित हुआ। इसमें तीन स्टेज के बाद सैटेलाइट अपने पोजिशन पर आ जाता है। मॉडल के द्वारा भविष्य में सेना एवं वैज्ञानिकों को बहुत सारी एडवांस टेक्नोलॉजी से संबंधित कार्यों को पूरा करने में सहयोग मिलेगा। सेटेलाइट की सहायता से दूरदराज के इलाकों में जहां यातायात एवं संचार के संसाधन काम करना बंद कर देते हैं, वहां पर इसकी टेक्नोलॉजी से सेना दुश्मनों को आसानी से ट्रैकिग एवं उसके ऊपर हमला करने में भी सफल तथा कारगर होगी। खासतौर पर आतंकवादियों की घुसपैठ और गतिविधियों पर लगाम लगाया जा सकेगा। इससे आम लोगों को कम से कम नुकसान होने की संभावना रहेगी। साथ ही अंतरिक्ष में इस यान से अत्याधुनिक सेवाओं का निष्पादन किया जा सकेगा।

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