22 से सत्याग्रह पर नहीं जाएंगे Multi Purpose Worker, झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री से मिला यह आश्वासन
झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के महामंत्री सुनील कुमार साह के नेतृत्व में झारखण्ड राज्य एम पीडब्ल्यू कर्मचारी संघ का प्रतिनिधि मंडल स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से रांची में मिला। बैठक में राज्य में कार्यरत एमपीडब्ल्यू को समायोजित करने पर चर्चा हुई।
जागरण संवाददाता धनबाद। समायोजन वेतन वृद्धि की मांग को लेकर पिछले 5 महीने से आंदोलन कर रहे मल्टी परपस वर्कर एमपीडब्ल्यू ने 22 सितंबर को होने वाले सत्याग्रह आंदोलन को स्थगित कर दिया है। यह निर्णय स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के आश्वासन के बाद एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने लिया है। एसोसिएशन के सुजीत कुमार ने बताया स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने सभी एमपीडब्ल्यू को समायोजित करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहां है जो भी समस्याएं हैं, उसका शीघ्र निराकरण कर लिया जाएगा। मंत्री के आश्वासन के बाद 22 सितंबर को होने वाले सत्याग्रह को स्थगित कर दिया गया है। अब एमपीडब्ल्यू सरकार के अगले कदम का इंतजार करेंगे।
समायोजन और 20 हजार रुपए प्रतिमाह देने का निर्णय
इससे पहले झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के महामंत्री सुनील कुमार साह के नेतृत्व में झारखण्ड राज्य एम पीडब्ल्यू कर्मचारी संघ का प्रतिनिधि मंडल स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से रांची में मिला। बैठक में राज्य में कार्यरत एमपीडब्ल्यू को समायोजित करने पर चर्चा हुई, समायोजित होने तक राज्य में कार्यरत एमपीडब्ल्यू को एक मुश्त वेतन वृद्धि बढ़ाकर अब 20, 500 ( बीस हजार पांच सौ रुपए) देने पर सहमति बनी। इस पर मंत्री ने उपस्थित विभागीय अधिकारियों को स्पष्ट आदेश दिए कि 10 दिनों के अंदर संचिका का निष्पादन कर दिया जाय। मंत्री के इस कदम से सत्याग्रह को वापस ले लिया गया।
ड्यूटी के साथ ही विरोध कर रहे थे एमपीडब्ल्यू कर्मचारी
कोरोना संक्रमण काल के दौरान मल्टी परपस वर्कर एक ओर रेलवे स्टेशन बस स्टैंड समेत विभिन्न ग्रामीण और शहरी इलाकों में लोगों की जांच कर रहे है, तो दूसरी ओर अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं। इसको लेकर मल्टी परपस वर्कर कई बार काला बिल्ला, बैनर, पोस्टर आदि लगाकर विरोध प्रदर्शन किया है। सरकार के विरोध में नारे भी लगाए। हालांकि मल्टी परपस वर्कर का कहना था महामारी के इस समय में ड्यूटी नहीं छोड़ सकते हैं, लेकिन ड्यूटी के दौरान अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन करते रहे हैं। इसी विरोध को देखते हुए अब सरकार ने भी इनकी सुधी लेना शुरू किया है।