Mohan Bhagwat Dhanbad Visit: स्वयंसेवकों को शताब्दी वर्ष का विजन दिखा रवाना हुए आरएसएस प्रमुख, भाजपा के मिशन-2024 को मिली उर्जा

Mohan Bhagwat Dhanbad Visit आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का तीन दिवसीय धनबाद दाैरा पूरा हो गया है। इस दाैरान उन्होंने झारखंड के स्वयंसेवकों को शताब्दी वर्ष का विजन समझाया और पूरा करने का टास्क दिया। इसके बाद धनबाद रेलवे स्टेशन से राजधानी एक्सप्रेस पकड़ कर दिल्ली रवाना हुए।

By MritunjayEdited By: Publish:Sun, 12 Sep 2021 10:33 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 07:53 PM (IST)
Mohan Bhagwat Dhanbad Visit: स्वयंसेवकों को शताब्दी वर्ष का विजन दिखा रवाना हुए आरएसएस प्रमुख, भाजपा के मिशन-2024 को मिली उर्जा
राजधानी एक्सप्रेस पकड़ने के लिए धनबाद स्टेशन के प्लेटफार्म पर जाते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ( फोटो अमित सिन्हा)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। 27 सितंबर, 1925 को Rashtriya Swayamsevak Sangh की स्थापना हुई थी। वर्ष 2025 में स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे। शताब्दी वर्ष पर राष्ट्र, राष्ट्र की सत्ता, हिंदू समाज और संगठन को लेकर  संघ परिवार का एक विजन और सपना है। संघ का शीर्ष नेतृत्व चाहता है कि शताब्दी वर्ष से पहले ही शाखाओं को शहर और गांव की अंतिम इकाई तक पहुंचा दिया जाय। जंहा ने पहुंचे वहां मिलन कार्यक्रम का आयोजन हो। अभी मंडल और पंचायत स्तर तक ही शाखाएं संचालित हो रही हैं। इस फलक को विस्तार देने पर सारा जोर है। इस निमित आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत निरंतर देश के विभिन्न राज्यों में प्रवास कर रहे हैं। इसी कड़ी में धनबाद में आयोजित झारखंड प्रांत के तीन दिवसीय कार्यकर्ता बैठक में आरएसएस प्रमुख की तीनों दिन उपस्थिति रही। उन्होंने आरएसएस के मिशन-2025 का टास्क दिया। साथ ही भाजपा के मिशन-2024 पर पदाधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। इसके बाद रविवार की रात धनबाद रेलवे स्टेशन से राजधानी एक्सप्रेस पकड़कर नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए। 

पटना से आए, नई दिल्ली गए

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पटना से गंगा-दामोदर एक्सप्रेस पर सवार होकर शुक्रवार 10 सितंबर की सुबह धनबाद पहुंचे थे। रविवार रात 8: 20 में राजधानी एक्सप्रेस पकड़कर नई दिल्ली रवाना हो गए। धनबाद रेलवे स्टेशन पर क्षेत्र प्रचारक रामनवमी, प्रांत प्रचारक दिलीप प्रसाद, विभाग संघचालक केशव हड़ोदिया आदि ने उन्हें विदा किया। राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर में तीन दिनों तक उन्होंने संघ के नगर से क्षेत्र स्तर तक के प्रचारकों, आरएसएस की प्रांतीय कार्यकारिणी, महानगर के मुख्य शिक्षक, शाखा कार्यवाह, मिलन केंद्र प्रमुखों के साथ बैठक की। अंतिम दिन प्रबुद्ध जनों के साथ संगोष्ठी की और प्रवासी कार्यकर्ताओं को भी बौद्धिक दिया। संत की तरह बिना भेदभाव किए संघ कार्य को घर-घर पहुंचाने का संदेश देते हुए वे रविवार शाम को उन्होंने धनबाद को अलविदा कहा।

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आरएसएस चाहता शताब्दी वर्ष में भी केंद्र में बनी रहे भाजपा

अभी केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है। भाजपा अघोषित रूप से आरएसएस की ही राजनीतिक शाखा है। साल 2014 में केंद्र में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। नरेन्द्र मोदी सरकार बनने से पहले संघ का जो दायरा पूर्वोत्तर व दक्षिण में सीमित था, अब उसे ऊर्जा मिली है। असम और त्रिपुरा के बाद पश्चिम बंगाल में संघ द्वारा तैयार जमीन पर भाजपा मजबूत संगठन खड़ा करने में कामयाब भी रही। पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों में संघ की पैठ मजबूत हुई है। शताब्दी वर्ष से पहले संघ का लक्ष्य न्याय पंचायत स्तर तक लगने वाली शाखाओं को ग्राम पंचायत तक ले जाना है। शाखाओं में हिदू ही नहीं हर वर्ग के लोगों को जोड़ने का प्रयास होगा। इससे वहां होने वाली शारीरिक क्रियाओं के साथ बौद्धिक से राष्ट्र के प्रति समर्पण व निष्ठाभाव का विकास किया जा सकेगा। मंडली और उसके बाद मिलन शाखा से शुरुआत करके प्रात: और संध्या के कुछ अंतराल के बाद रात्रि शाखा संचालन का कार्य चरणबद्ध तरीके से किया जाना है। केंद्र में भाजपा की सरकार संघ के लिए मुफिद है। अभी लोकसभा चुनाव करीब 3 साल दूर है। इसके बावजूद भाजपा ने मिशन-2024 की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। 2024 के एक साल बाद आरएसएस की स्थापना के साै वर्ष पूरे होंगे। संघ चाहता है कि शताब्दी वर्ष में भी केंद्र में भाजपा की सरकार बनी रहे। आरएसएस की इस सोच से भाजपा के मिशन-2024 को उर्जा मिलेगी। 

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भाजपा नेताओं के साथ भी विचार-विमर्श

तीन दिवसीय बैठक में संघ प्रमुख ने सभी अनुषंगी इकाइयों के पदाधिकारियों से वृत निवेदन लिया। सूत्रों के अनुसार भाजपा के क्षेत्रीय ( बिहार-झारखंड) के संगठन मंत्री नागेंद्र त्रिपाठी और झारखंड भाजपा के संगठन महामंत्री धर्मपाल भी माैजदू थे। दोनों ने झारखंड और बिहार में भाजपा के क्रिया-कलापों और भविष्य की योजनाओं की जानकारी दी। इस दाैरान भाजपा के मिशन-2024 पर भी विचार-विमर्श हुआ। 

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