सड़क सुरक्षा अभियान : लोगों की जान जाए, नहीं रुकती खटारा

धनबाद सड़क पर चलने के दौरान आपने कई ऐसे वाहन भी देखें होंगे जो कराह-कराह कर चलत

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 03:14 AM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 03:14 AM (IST)
सड़क सुरक्षा अभियान : लोगों की जान जाए, नहीं रुकती खटारा
सड़क सुरक्षा अभियान : लोगों की जान जाए, नहीं रुकती खटारा

धनबाद : सड़क पर चलने के दौरान आपने कई ऐसे वाहन भी देखें होंगे जो कराह-कराह कर चलते हैं। उनके इंजन से निकलती अजीब तरह की आवाज यह बताने को काफी होते हैं कि गाड़ी की सेहत ठीक नहीं है। बावजूद उन्हें रोकने को यहां कोई व्यवस्था सक्रिय नहीं है। व्यवस्था की बदहाली के कारण कोयलांचल की सड़कों पर ऐसे हजारों वाहन फर्राटा भर रहे हैं जो अनफिट हो चुके हैं। दरअसल धनबाद में वाहनों के फिटनेस की जांच को बस उसका ऊपरी ढांचा ही देखा जाता है। बाहर से गाड़ी फिट तो अंदर से चाहें कितनी भी खराबी हो उसे चलाने की मनाही नहीं है। कोयलांचल में हर वर्ष सड़क हादसों का ग्राफ यदि तेज से बढ़ता जा रहा है तो इसकी एक वजह खटारा वाहन भी है। कहां ये चलते-चलते रूक जाए या अनियंत्रित हो जाए कोई नहीं जानता। ऐसे में दुर्घटना होना तय है। जिले में करीब 16 हजार ऐसे वाहन है जिनकी उम्र समाप्त हो गई है। अब वे अनफिट हो गए हैं, फिर भी सड़कों पर चल रहे हैं। वैसे वाहनों के फिटनेस की जांच के लिए प्रत्येक जिले में एक केंद्र होता है, पर यहां ऐसा कोई केंद्र नहीं है। यहां मोटर यान निरीक्षक अपने स्तर से जितना हो सकता है अनफिट वाहनों की उतनी जांच करते हैं। यहां के अनफिट वाहनों की जांच का बस यही तरीका है। ----------------------

खस्ता हाल सुस्त नियम

मोटर वाहन कानून 1989 के नियम 62 के तहत वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किए जाने का नियम है। इसके तहत फिटनेस प्रमाण पत्र तभी दिए जाए जब परीक्षण करने वाला अधिकारी वाहन की सुरक्षा से जुड़े सभी तरह का परीक्षण कर लें। लेकिन कोयलांचल में वाहनों के फिटनेस जांच की जहमत विभाग नहीं उठाता। इन परीक्षणों में ब्रेकिग सिस्टम, स्पीडोमीटर, स्टीयरिग सिस्टम, साइलेंशर, डैशबोर्ड, सेफ्टी ग्लास, हॉर्न, बल्ब रियर व्यू, मिरर सेफ्टी ग्लास, साप्रेशर कैप, हाइटेंशन केबल, हेड लैंप बीम व अन्य लाइटें, रिफलेक्टर के परीक्षण पर ज्यादा जोर डाला गया है।

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जुगाड़ तंत्र से अनफिट भी फिट

परिवहन विभाग ऑनलाइन हो गया है। पर अनफिट वाहनों के फिटनेस का तरीका आज भी वहीं पुराना है। यहां सड़कों पर काफी तादाद में ऐसे वाहन दौड़ रहे हैं जिनकी उम्र बर्षों पहले समाप्त हो चुकी है। बावजूद ऐसे अनफिट वाहन जुगाड़ तंत्र से फिट होकर सड़कों पर काल बनकर दौड़ रहे हैं।

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नियमों का अभाव, जुगाड़ का बढ़ रहा प्रभाव

सड़क हादसों के कारण की फेहरिस्त में जुगाड़ गाड़ी भी पीछे नहीं है। जुगाड़ पर अंकुश लगाने के लिए परिवहन विभाग और यातायात पुलिस के पास न तो कोई नियम है और न ही कोई कानून। कौन सा वाहन किस श्रेणी का है इसकी जानकारी तक ट्रैफिक पुलिस को नहीं है। जुगाड़ गाड़ी की तादाद आए दिन बढ़ती जा रही है और हादसे भी। जिला परिवहन पदाधिकारी के अनुसार जुगाड़ गाड़ी पूरी तरह अवैध है। ठेला की शक्ल में अब इस गाड़ी ने ऑटो का भी रूप ले लिया है।

ट्रैक्टर को नहीं भा रही है खेती, शहर की सैर

ट्रैक्टर का प्रयोग केवल कृषि कार्य में ही किया जाना है। इसलिए इसका टैक्स भी कम है। वहीं मोटर अधिनियम भी टैक्टर को केवल कृषि कार्य की ही इजाजत देता है। लेकिन यहां अधिकतर ट्रैक्टर को खेती रास नहीं आ रही है। अब ये गांव छोड़कर शहरों में बालू, ईंट, गिट्टी ढोकर मोटी कमाई की फसल काट रहे हैं। यहां ट्रैक्टरों की जांच नहीं होती जो मूल कार्य को छोड़कर अन्य कार्य में जुटे हुए हैं। जबकि नियम कहता है कि इन ट्रैक्टरों की हमेशा जांच होनी चाहिए।

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