Jharkhand Rice: पौष्टिक गुणों से भरपूर संताल परगना का चावल, पहली बार दक्षिण अफ्रीका में हो रहा निर्यात

दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले पहली बार दुमका में तैयार चावल का स्वाद चखेंगे। दक्षिण अफ्रीका की मांग पर जामा के मांगूडीह की पीएस एग्रो इंडस्ट्रीज ने रेलवे स्टेशन से एक मिनी रैक चावल को विशाखापतनम के लिए रवाना किया। यहां से चावल समुद्री जहाज से अफ्रीका भेजा जाएगा।

By MritunjayEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 10:22 AM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 10:22 AM (IST)
Jharkhand Rice: पौष्टिक गुणों से भरपूर संताल परगना का चावल, पहली बार दक्षिण अफ्रीका में हो रहा निर्यात
झारखंड के संताल परगना इलाके के चावल पाैष्टिक गुणों से भरपूर ( फाइल फोटो)।

दुमका [ अनूप श्रीवास्तव ]। Nutritious rice of jharkhand झारखंड के संताल परगना इलाके में होने वाले मोटे चावल को आम लोग पसंद नहीं करते हैं। इसका रूप-रंग ही ऐसा होता है कि देखने में अच्छा नहीं लगता है। लेकिन पाैष्टिकता की कसाैटी पर इस चावल का जोड़ नहीं है। स्थानीय लोग खासताैर पर जनजाति समाज इस चालव को खूब पसंद करता है। इसका माड़-भात खाकर मस्त रहता है। इसकी खासियत की बात विदेशों तक पहुंच गई है। अब वहां के लोग इस चालव को खाकर पाैष्टिक आहार के रूप में लेना चाहते हैं। दक्षिण अफ्रिका से डिमांड के बाद चालव की आपूर्ति शुरू की गई है। पहली बार एक मिनी रैक चावल ( 25, 400 बोरा) भेजा जा रहा है। शनिवार को दुमका रेलवे स्टेशन से चावल लोड रैक विशाखापतनम के लिए रवाना किया गया। वहां से समुद्री जहाज पर चावल लोड कर दक्षिण अफ्रीका भेजा जाएगा।

भविष्य में सीधे अफ्रीका भेजने की तैयारी

दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले पहली बार दुमका में तैयार चावल का स्वाद चखेंगे। शनिवार को दक्षिण अफ्रीका की मांग पर जामा के मांगूडीह की पीएस एग्रो इंडस्ट्रीज ने रेलवे स्टेशन से एक मिनी रैक चावल को विशाखापतनम के लिए रवाना किया। यहां से चावल समुद्री जहाज से अफ्रीका भेजा जाएगा। अभी तो चावल एक निर्यातक के माध्यम से भेजा गया है लेकिन भविष्य में सीधे अफ्रीका भेजने का प्रयास किया जाएगा। शनिवार को दुमका रेलवे स्टेशन से विशाखापतनम के लिए 25,400 बोरी को रवाना करने वाले मिल के मालिक पवन भालोटिया व साझेदार सुनील कोठरीवाल ने बताया कि उनकी मिल में रत्ना नामक चावल रैकेट ब्रांडस से बिकता है। अभी तक इसकी खपत दुमका के अलावा आसपास के जिलों में हआ करती थी। अधिकांश मिल का चावल जिला या फिर राज्य से बाहर नहीं जाता था।

 

झारखंड के संताल परगना के लिए अवसर

संथाल परगना के लिए यह पहला अवसर है कि जब यहां का चावल विदेश जा रहा है। रत्ना चावल काफी चमकदार के साथ हर गुणवत्ता पर खरा है। बीस दिन पहले विशाखापतनम के एक निर्यातक ने उनके अलावा संथाल परगना के कई मिल के चावल का सैंपल लिया था। सैंपल में उनका चावल सबसे बेहतर साबित हुआ। अफ्रीका ने भी इसे मंजूद कर लिया। निर्यातक के कहने पर ही एक मिनी रैक को रवाना किया गया है। वहां से पानी के जहाज से चावल को अफ्रीका भेजा जाएगा। चावल के निर्यात होने से कई मजदूरों को रोजगार भी मिला है। बताया कि आने वाले समय में प्रयास रहेगा कि सारा किसी माध्यम की बजाय सीधे दक्षिण अफ्रीका भेजा जा सके। साफ्टवेयर इंजीनियर बेटे श्रेयांस भालोटिया ने इसके लिए सारा प्रयास किया था। रैक रवानगी के मौके पर श्रेयांस भालोटिया, रैक इंचार्ज बीके सिंह, कन्हैया भालोटिया, साकेत भालोटिया, नारायण दास आदि मौजूद थे।

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