Shaharnama Dhanbad: जनता राज में लंबी छलांग, साहब राज में ठिठक गया विकास

पहले साल धनबाद देशभर में सबसे गंदा शहर माना गया था। चंद्रशेखर अग्रवाल के मेयर बनने के बाद धनबाद ने लंबी छलांग लगायी। 33वें स्थान पर पहुंच गया था। इस साल नगर निकायों के प्रदर्शन के परिणाम आए तो मायूसी हुई।

By MritunjayEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 08:38 AM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 08:38 AM (IST)
Shaharnama Dhanbad: जनता राज में लंबी छलांग, साहब राज में ठिठक गया विकास
साफ-सफाई का निरीक्षण करते धनबाद नगर निगम के आयुक्त सत्येंद्र कुमार ( फाइल फोटो)।

अश्विनी रघुवंशी, धनबाद। मोदी सरकार बनने के बाद कई मानकों के आधार पर देशभर के नगर निकायों के बीच प्रतिस्पद्र्धा शुरू की गई। पहले साल धनबाद देशभर में सबसे गंदा शहर माना गया था। चंद्रशेखर अग्रवाल के मेयर बनने के बाद धनबाद ने लंबी छलांग लगायी। 33वें स्थान पर पहुंच गया था। इस साल नगर निकायों के प्रदर्शन के परिणाम आए तो मायूसी हुई। पिछले साल की तुलना में एक पायदान भी आगे नहीं बढ़ सका है। कुछ महीने पहले तक नगर निकाय में जनता की चुनी हुई सरकार थी। कार्यकाल खत्म हुआ तो 'साहब राजÓ आ गया। सतेंद्र कुमार नगर आयुक्त हैैं। सीधे सरकार से सरोकार है। विकास में किसी तरह की बाधा नहीं। इसके बावजूद धनबाद नगर निगम आगे नहीं बढ़ा तो पीड़ा होगी ही। सतेंद्र का अर्थ है, जो सत्य का पालन करता है वही सत्य का राजा होता है। सत्य सामने है। कड़वा है।

कीर्ति के लिए चाहिए ममता

किसी जमाने के नामी क्रिकेटर कीर्ति आजाद राजनीति की पिच पर नित नए पैतरे आजमा रहे हैैं। कमल फूल की सुगंध लेने के बाद कांग्रेस का पंजा पकड़ा था। बीते लोकसभा चुनाव में धनबाद में बुरी तरह हार गए थे। भाजपा के पशुपतिनाथ सिंह ने उन्हें पराजय का स्वाद चखाया था। कीर्ति को अब तृणमूल का जोड़ा फूल और पत्ता अच्छा लगने लगा है। ममता दीदी की ममता का आसरा है। पशुपतिनाथ कैसे चुप रहते। बोल गए कि बंगाल के विधानसभा चुनाव के वक्त यशवंत सिन्हा भी तृणमूल गए थे। राज्यसभा का टिकट नहीं मिला। कीर्ति आजाद भी राज्यसभा के रास्ते सांसद बनने की चाहत में तृणमूल में गए हैैं। उनकी भी आकांक्षा कतई पूरी नहीं होगी। हां, जरूरत पडऩे पर किसी बड़े मंच पर बोलने का मौका जरूर मिल जाएगा। लगता है कि लोकसभा चुनाव में हुई लड़ाई अभी पूरी तरह थमी नहीं है।

कृपया, खोज लीजिए कुलपति

कुछ साल पहले तक धनबाद और बोकारो के कालेजों का संचालन बिनोवा भावे विश्वविद्यालय से होता था जिसका मुख्यालय हजारीबाग था। पिछली भाजपा सरकार में विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। वही विनोद बिहारी महतो जिन्होंने झामुमो की स्थापना और झारखंड आंदोलन में महती भूमिका निभायी थी। खैर, विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के जरिए कामकाज व्यवस्थित होने लगा था। तीन महीने कुलपति डाक्टर अंजनी श्रीवास्तव का कार्यकाल समाप्त हो गया। हजारीबाग आयुक्त कमल जॉन लकड़ा को प्रभारी कुलपति बना दिया गया। आयुक्त के पास अपने बहुत काम है। सप्ताह में एक या दो दिन निकाल कर विश्वविद्यालय मुख्यालय आ जाय तो बड़ी बात है। सो, विश्वविद्यालय की फाइलें हजारीबाग भेजी जा रही हैैं। तीन महीने से सिंडिकेट की बैठक तक नहीं हुई है। छात्र संघ चुनाव पर चर्चा तक नहीं है। न जाने पूर्णकालिक कुलपति की खोज कब खत्म होगी। इंतजार कीजिए।

देखिए, गैैंग्स आफ वासेपुर भाग तीन

गैैंग्स आफ वासेपुर के नाम से भाग एक और दो मूवी बन चुकी है। देशभर में लोगों ने खूब सराहा। अब वासेपुर में वास्तव में भाग तीन का सजीव प्रसारण हो रहा है। फहीम खान को लोग डान कहकर पुकारते हैैं। कुछ लोग प्यार से कहते हैैं, कुछ भय से। फहीम घाघीडीह जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैैं। कभी भांजे उनका दाहिना और बांया हाथ होते थे। साल भर से वही भांजे अब उनकी सल्तनत को उखाडऩे में लगे हैैं। भांजों को परदे के पीछे से सत्ता में बैठे कुछ लोगों का भी साथ मिल रहा है। मामा और भांजे की लड़ाई में लाला खान, नन्हे जैसे लोग मारे भी जा चुके हैैं। फहीम के पुत्र और भाई मोर्चा संभाले हुए हैैं। मशहूर डायलाग है, जब बड़े-बड़े लोग टकरायेंगे तो छोटे-छोटे लोग मारे जाएंगे। अपने लड़ते हैैं तो खून बहता ही है।

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