रिफाइंड तेल में अचानक हुई 10 से 20 रुपये की वृद्धि, व्यापारी बता रहे यह कारण Dhanbad News

खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी आने का एक कारण कोरोना संक्रमण को माना जा रहा है। इसके अलावा अल निनो के कारण मौसम में हुए परिवर्तन का असर पर उत्पादन पर दिखा है। बाहर से भारत पहुंचने वाला सोयाबीन भी नहीं आ रहा है।

By MritunjayEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 11:58 AM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 11:58 AM (IST)
रिफाइंड तेल में अचानक हुई 10 से 20 रुपये की वृद्धि, व्यापारी बता रहे यह कारण Dhanbad News
धनबाद के बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि।

धनबाद, जेएनएन। बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। सरसों तेल में जहां पांच रूपये का उछल देखने को मिला है। वहीं रिफाइंड तेल में 10 से 20 रुपये तक की बढोत्तरी दर्ज की गई है। ऐसे में धनबाद के खुदरा बाजार में सरसों तेल जहां 140 से 155 रुये प्रति लीटर बिक रहा है, वहीं रिफाइंड तेल की कीमत 120 से 130 रुपये तक पहुंच गई है। ऐसे में ये दोनों खाद्य तेल रसोई का जायका और बजट बिगाड़ रहे हैं।

खाद्य तेलों की कीमतों को लेकर करकेंद के रासन कारोबारी विकास गुप्ता ने बताया कि फरवरी के शुरूआती दिनों में खाद्य तेलों की कीमतें कम होने का अनुमान था, लेकिन जो स्थिति सामने आयी है उसमें इनके दामों में लगातार बढ़त देखने को मिली है. सरसों तेल के दाम थोड़े स्थिर जरुर हैं, लेकिन रिफाइंड तेल मेें तेजी दिख रही है. उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से पाम ऑयल पर इंपोर्ट ड्यूटी दस फीसद कम कर दिया गया है. इसके बावजूद भी इसकी कीमत कम नहीं हो रही है. क्रुड पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल आदि पर आयात शुल्क कम किया गया, लेकिन कृषि विकास सेस लागू कर दिया गया। गुप्ता ने बताया कि दो फरवरी से पाम तेल पर मूल्य आयात शुल्क 15 फीसद और कृषि वकास सेस 17.50 फीसद लागू किया गया है। इसके अलावा दस फीसद का समाज कल्याण सेस भी लगाया गया है। यानी कुल 35.75 फीसद का शुल्क लगा है।

कोविड का दिखा असर

खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी आने का एक कारण कोरोना संक्रमण को माना जा रहा है। इसके अलावा अल निनो के कारण मौसम में हुए परिवर्तन का असर पर उत्पादन पर दिखा है। बाहर से भारत पहुंचने वाला सोयाबीन भी नहीं आ रहा है। यही कारण है कि तेल की कीमतों में बढ़ोत्तर देखी जा रही है। कीमतों में कमी करने को लेकर खाद्य तेल उत्पादन से जुड़े संगठनों ने केंद्र सरकार से पांच फीसद जीएसटी समाप्त करने की मांग भी की है।

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