Dhanbad: राजा तालाब के नाम पर होता आ रहा है पैसों का बंदरबांट, लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी तालाब की हालत बदहाल

हरिया का एकमात्र ऐतिहासिक राजातालाब इन दिनों फिर से त्यौहार के दस्तक के साथ राजनीति का मोहरा बन गया है कब कौन नेता यहां दस्तक देगा यह कोई नहीं जानता वहां रह रहे लोगों को आश्वासन तो सब देते हैं पर पूरा करने में असमर्थ है।

By Atul SinghEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 05:44 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 05:44 PM (IST)
Dhanbad: राजा तालाब के नाम पर होता आ रहा है पैसों का बंदरबांट, लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी तालाब की हालत बदहाल
राजा तालाब की स्थिति जस की तस बनी हुई है।

सुमित राज अरोड़ा, झरिया : झरिया का एक मात्र ऐतिहासिक राजा तालाब इन दिनों फिर से त्यौहार के दस्तक के साथ राजनीति का मोहरा बन गया है। कब कौन नेता यहां दस्तक देगा यह कोई नही जानता है। वहां रह रहे लोगों को आश्वासन तो सब देता है पर उसे पूरा करने में असमर्थ हो जाते है। तालाब के सौंदर्यकरण के नाम पर करोड़ों रुपये का बंदरबांट हो चुका है। परंतु तालाब की स्थिति जस की तस बनी हुई है। अब इस तालाब में भैंसे भी नहाने से कतराते है। क्यूकि तालाब इतना दलदलीय हो गया है कि भैंस भी जाना नही चाहते है। लोगों की माने तो राजा तालाब राजाओं ने बनाया था। जिसकी खूबसूरती देखने के लिए आसपास के लोग शाम होते ही पहुंच जाते थे। समय के साथ साथ इसकी खूबसूरती बदहाली में बदल गई। करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी इसकी खूबसूरती लौट कर वापस नही आई। उक्त पैसा कहां गया इसकी जानकारी आज तक ना किसी अधिकारियों को है ना ही किसी जनप्रतिनिधि को है। लोगों ने बताया कि इस वर्ष फिर एक करोड़ 90 लाख रुपये से तालाब का सौंदर्यकरण के नाम पर टेंडर पास हुआ है। पर तालाब की खूबसूरती दुबारा बनेगी की नही यह किसी को नही पता है।

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छठ पूजा को लेकर निगम की ओर से शुरू हुआ सफाई अभियान

लोगों ने बताया कि प्रतिवर्ष छठ पूजा के दौरान ही तालाब की सफाई होती है। जिसके बाद फिर वह जस का तस बना रहता है। लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी तलाब का पूर्ण रूप से सौंदर्यकरण नहीं हो सका है। यदि सुचारू रूप से तालाब का सौंदर्यकरण हो जाए तो श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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टापू बना खंडर :

लोगों ने बताया कि राजा महाराजाओं ने तालाब का निर्माण के दौरान तालाब के बीच एक टापू बनाया था। जहां राजा व उसके परिवार के लोग सूर्य अस्त के बाद वहां जाते थे। उस टापू की सुंदरता तालाब को चांद चांद लगा देती थी। पर आज वह टापू खंडर बन कर रह गई है। ना किसी ने उसके बारे सोचा ना ही उसकी मरम्मति हुई धीरे धीरे टापू लुप्त होता जा रहा है।

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सौंदर्यकरण के नाम पर हो चुका है लाखों रुपये का बंदरबांट :

लोगों ने बताया कि तालाब की सौंदर्यकरण का टेंडर सूरज कंस्ट्रक्शन नामक कंपनी को दिया गया। कुछ काम तो हुआ पर वह भी कुछ ही दिन में बदहाल हो गया है। तालाब में ना ही स्ट्रीट लाइट लगा और ना ही टीचिंग रोड का निर्माण किया गया। आज भी तालाब में दलदल बना हुआ है। जिसके बाद आज तक उसकी मरम्मत नही हुई है। पूर्व पार्षद अनूप साव ने बताया कि सूरज कंस्ट्रक्शन नामक कंपनी को कई बार टेंडर पास हुआ पर काम कुछ नही हुआ है। जो काम हुआ वह भी कुछ दिनों में खराब हो गया है। राजा तालाब की स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है।

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प्रथम राशि 2009 - 2010 

24 लाख 67 हजार 380 रुपये तलाब में स्ट्रीट लाइट टीचिंग रोड के लिए आवंटन किया गया था।

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दूसरा राशि 2010 - 2011

24 लाख 8 हजार 870 रुपये का आवंटन हुआ था

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तीसरा राशि 2013-2014 

48 लाख 5 हजार 900 रुपये तलाब में बने दलदल वाले स्थल की कटाई के लिए आवंटन किया गया था।

कुल राशि96 लाख 82 हजार 150 रुपये का आवंटन किया जा चुका है।

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तालाब के नाम पर होता है राजनीति दांवपेच :

राजा तालाब झरिया का एकमात्र ऐतिहासिक तालाब है। तालाब की सौंदर्यकरण को लेकर हर बार त्यौहार आने से पहले राजनीति दांवपेच शुरू हो जाता है। सब अपने स्तर से तलाब की साफ सफाई का जिम्मा उठाने का दिलासा लोगों को जरूर देते हैं पर लोगों को दिलासा के अलावा कुछ नहीं मिलता है। वही लोगों ने बताया कि महापर्व छठ त्यौहार को लेकर किसी तरह तालाब की सफाई अवश्य होती है। परंतु कुछ ही दिनों में वह फिर से अपने पुराने रंग रूप में आ जाता है। जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

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