Shaharnama: सचमुच में हदस गए माननीय, डीसी-एसएसपी में लॉकडाउन; पढ़ें धनबाद के अंदरखाने की खरी-खरी
Shaharnama Dhanbad कोरोना से जूझने के बाद राज सिन्हा भी ठीक हुए हैं। सांसद पीएन सिंह के स्वजन अंगरक्षक समेत कई करीबी कोरोना से संक्रमित हुए तो उनके भी कदम ठिठक गए। बाकी माननीय भी सावधान हैं। यह संदेश सब आत्मसात कर चुके हैं जान है तो जहान है।
धनबाद [अश्विनी रघुवंशी ]। Shaharnama Dhanbad कोरोना के वायरस से माननीय हदस गए हैं। पहली लहर में सारे माननीय जनता के बीच थे। टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो को कोरोना ने जकड़ा तो उन्हेंंं टाटा स्टील के टीएमएच अस्पताल में ले जाना पड़ा। ठीक हुए तो चिकित्सकीय सलाह पर लोगों के बीच जाना कम हो गया। भाजपा विधायक इंद्रजीत महतो और राज सिन्हा मधुपुर उपचुनाव में प्रचार के लिए गए थे। इंद्रजीत पर कोरोना के वायरस ने ऐसा हमला किया कि जान बचाने के लिए हैदराबाद जाना पड़ा। गला में छेद कर ऑक्सीजन की पाइप लगानी पड़ी। आज भी उनकी जान खतरे में है। कोरोना से जूझने के बाद राज सिन्हा भी ठीक हुए हैं। सांसद पीएन सिंह के स्वजन, अंगरक्षक समेत कई करीबी कोरोना से संक्रमित हुए तो उनके भी कदम ठिठक गए। बाकी माननीय भी सावधान हैं। यह संदेश सब आत्मसात कर चुके हैं, जान है तो जहान है।
देख तमाशा लकड़ी का
इंसान के जन्म से मरण तक हर मौके पर लकड़ी चाहिए। बच्चे ने जन्म लिया तो पालना के लिए लकड़ी, विवाह हुआ तो गृहस्थी में हर जगह लकड़ी और अंतिम यात्रा हुई तो उस वक्त भी लकड़ी। यहां अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी की महत्ता और ज्यादा है। र्पाथिव शरीर को जलाने के लिए कहीं विद्युत शवदाह गृह नहीं है। मोहलबनी घाट में विद्युत शवदाह गृह बनाया गया। तीन बार उदघाटन हुआ। फिर भी बेकार। कोरोना काल में मौतों का सिलसिला इतना तेज हो चुका है कि बनी बनाई अर्थी बेची जा रही है। रह-रहकर बाजार से लकड़ी गायब हो जा रही है। वन विभाग के पास लकडिय़ों का अंबार पड़ा है। नीलामी भी करते हैं, लेकिन, वन अधिकारियों को भी लकड़ी के लिए हो रहे तमाशा देखने में आनंद आ रहा है। भइया, कोरोना किसी का सगा नहीं है। जो परोपकार करोगे, वही साथ जाएगा।
आखिरकार रुक गया शीतयुद्ध
जिलाधिकारी उमाशंकर सिंह एवं पुलिस कप्तान असीम विक्रांत मिंज के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। प्रशासन की मनाही के बावजूद सीटी चेस्ट करने वाले को जिलाधिकारी ने खुद पकड़ा। बैंक मोड़ थानेदार ने थाना से ही उन्हेंं जमानत दे दी। साफ संदेश गया कि जिलाधिकारी की सारी बातें पुलिस कप्तान को कुबूल नहीं। भला हो कोरोना का जिसने शीतयुद्ध पर विराम लगा दिया। पुलिस कप्तान खुद खांसने लगे तो कोरोना की भयावहता से रूबरू हुए। इसी बीच जिलाधिकारी ने बीसीसीएल समेत और कंपनियों पर दबाव बना कर सदर अस्पताल में ऑक्सीजन एवं वेंटिलेटर युक्त 80 बेड की सेवा चालू करा दी। पुलिस वालों के लिए कुछ बिस्तर आरक्षित कर दिए गए। पुलिस वालों पर वायरस ने हमला किया तो तुरंत इलाज हुआ। इससे बर्फ पिघलने लगी। जिले के शीर्ष अधिकारियों के बीच तल्खी खत्म होने की ओर है। अंत भला तो सब भला।
जन के लिए जवानों का खून
सेना हो या अद्र्धसैनिक बल, इनके जवानों का खून देश और लोगों के काम आता रहा है। बीसीसीएल की खदानों में तैनात सीआइएसएफ के जवानों ने बंगाल समेत कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में योगदान दिया। ड्यूटी के दौरान जवानों पर भी कोरोना ने हमला बोला। इसके बाद जवानों ने तय किया कि प्लाज्मा या खून की कमी के कारण किसी व्यक्ति की जान जाने नहीं देंगे। डीआइजी विनय काजला ने साफ संदेश दिया कि देश पर कोरोना ने हमला बोला है तो हम लोग अपने हिस्से का कर्तव्य निभाएं। कंपनी कमांडर आर भगत जवानों को लेकर चल दिए एसएनएमएमसीएच की तरफ। बीते दो महीने में सीआइएसएफ अधिकारी एवं जवानों ने डेढ़ सौ यूनिट रक्त दिया है। 47 जवानों ने प्लाज्मा दान किया है। कंपनी कमांडर आर भगत कहते हैं, प्लाज्मा नहीं मिलने के कारण किसी की जान जाने नहीं देंगे। संकल्प है हमारा।