Jharkhand की स्वास्थ्य व्यवस्था खाट पर, इलाज के अभाव में जच्चा-बच्चा दोनों की माैत

गिरिडीह जिले में चिकित्सा व्यवस्था की पोल एक बार फिर खुल गई है। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के गृह प्रखंड तिसरी के मंडेसर पहाड़ पर बसे लक्ष्मीबथान गांव की एक गर्भवती ने खटिया से अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में एक नवजात को जन्म दिया।

By Atul SinghEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 09:09 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 08:24 PM (IST)
Jharkhand की स्वास्थ्य व्यवस्था खाट पर, इलाज के अभाव में जच्चा-बच्चा दोनों की माैत
प्रसव पीड़ा के बाद महिला को खाट पर अस्पताल ले जाते स्वजन ( फोटो जागरण)।

गावां (गिरिडीह), जेएनएन। गिरिडीह जिले के गावां तिसरी स्थित भंडेश्वर पहाड़ की लक्ष्मी बथान गांव की 20 वर्षीय सूरजी मरांडी दुनिया में नहीं रही। उसकी मौत से लगभग घंटे भर पूर्व उसकी नवजात बच्ची ने भी दम तोड़ दिया। सूरजी जिस गांव से आती है, वह पगडंडियों से होकर नदी-नाला, जंगल, पहाड़ को लांघती हुई जाती है। शुक्रवार को जब उसे प्रसव पीड़ा हुआ, पति सुनील टुडू अपने कुछ मित्रों के सहयोग से खाट में रस्सी बांधकर उसकी बहंगी बनाई, फिर उसपर सूरजी को लिटाया और कंधे पर लादकर लगभग सात किलोमीटर दूर अस्पताल की ओर बढ़ गया। सुनील ने करीब चार किलोमीटर की यात्रा पूरी की होगी कि सूरजी का प्रसव हो गया। जन्म के साथ ही उसकी बच्ची ने दम तोड़ दिया। सुनील भारी मन से आगे बढ़ा। इस बीच उसकी पत्नी कई बार बेहोश हुई, जिसे सूरज किसी तरह होश में लाता और फिर आगे बढ़ जाता। तमाम जद्दोजहद के बीच वह पौने पांच के करीब जब अस्पताल पहुंचा तो चिकित्सक नदारद मिले। अंतत: उचित चिकित्सा के अभाव में सूरजी ने भी दम तोड़ दिया।

पत्नी और नवजात की मौत से दुखी सुनील के अनुसार गांव से तीन बजे निकला। इस बीच रास्ते में ही सूरजी का प्रसव हुआ और नवजात की मौत हो गई। सूरजी की जान किसी तरह बच जाए, इस उम्मीद में वह हांफता-भागता पौने पांच बजे के करीब गावां अस्पताल पहुंचा तो वहां सिर्फ एक नर्स कुमारी मंजुला मिली। डा. काजिम खान की ड्यूटी थे, पर वे मौके पर नहीं मिले। सूरजी की हालत देख नर्स भी घबड़ा गई। उसने कई बार चिकित्सक को फोन किया, परंतु उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। इस बीच सूरजी ने भी दम तोड़ दिया। उसकी मौत के कुछ देर बाद गिरिडीह से बैठक कर गावां अस्पताल के प्रभारी डा. अरविंद कुमार आए। सूरजी की जांच के बाद उन्होंने उसे मृत घोषित कर दिया। सुनील रो-रोकर कहता है कि अगर सही समय पर उसका इलाज होता तो शायद मां-बच्ची दोनों साथ होती।

मैं गिरिडीह में आयोजित जरूरी पर बैठक में था। अस्पताल में डा. काजिम खान की ड्यूटी थी। वे चार बजे के आसपास कहीं निकल गए थे। उनसे संपर्क करने का प्रयास किया, परंतु उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। जब तक मैं अस्पताल पहुंचा महिला व नवजात की मौत हो चुकी थी। इस मामले की जांच कराई जाएगी।

-डा. अरविंद कुमार, प्रभारी, गावां अस्पताल

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