Dhanbad: दिवाली नजदीक आते ही तेज चलने लगी कुम्हारों की चाक इस बार अच्छे कारोबार की उम्मीद

जिस तरह से देश भर में चाइनीस सामानों का विरोध हो रहा है उससे कुम्हारों में इस बार अच्छे कारोबार की उम्मीद जगी है। दिवाली के नजदीक आते ही उनकी चार्ट भी तेज गति से घूमने लगी है।

By Atul SinghEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 11:03 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 11:03 AM (IST)
Dhanbad: दिवाली नजदीक आते ही तेज चलने लगी कुम्हारों की चाक इस बार अच्छे कारोबार की उम्मीद
तेज गति से घूमने लगी है कुम्हारों की चाक। (जागरण)

जागरण संवाददाता, धनबाद : दीपावली पर धन लक्ष्मी को प्रसन्न करने मिट्टी के दीपक बनाने वाले कुम्हारों की चाक अब तेजी से चलने लगी है। पूरा परिवार मिट्टी के दीपक बनाने में लगा है। उन्हें इस बार अच्छी बिक्री की उम्मीद है। कुम्हारों की बस्ती में उनका परिवार मिट्टी का सामान तैयार करने में व्यस्त हैं। कुम्हारों ने बताया कि मिट्टी के दीपक बनाने में मेहनत लगती है। रोजाना 100 से 200 दीपक बना रहे हैं।

पूरा परिवार बनाता है मिट्टी के दीपक व बर्तन

धनबाद में कई कुम्हार परिवार मिट्टी के बर्तन, दीपक बनाते हैं। वर्तमान में इन कुम्हारों के घरों में मिट्टी के दीपक, मटकी आदि बनाने माता-पिता के साथ उनके बच्चे भी हाथ बंटा रहे हैं। कोई मिट्टी गूंथने में लगा है तो किसी के हाथ चाक पर बर्तनों को आकार दे रहे हैं।

मिट्टी के दीयों में छिपी इस कुम्हार परिवार की खुशियां,

कुम्हार का कहना है कि दीपावली व गर्मी के सीजन में मिट्टी से निर्मित बर्तनों की मांग जरूर बढ़ जाती है, लेकिन बाद के दिनों में वे मजदूरी करके ही परिवार का पेट पालते हैं। दूर से मिट्टी लाना, कोयला, महंगी लकड़ी खरीदकर दीपक पकाने में जो खर्च आता है, उसके बदले आमदनी लगातार घटती जा रही है।

घर के सदस्य दिन रात मेहनत करके एक दिन में एक सैकड़ा दीपक बना पाते हैं, वहीं दूसरी ओर बाजारों में इलेक्ट्रानिक्स झालरों की चमकदमक के बीच मिट्टी के दीपक की रोशनी धीमी पड़ती जा रही है, जिसके चलते लोग दीपकों का उपयोग महज पूजन के लिए ही करने लगे हैं।

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