इन्हें अब तक नहीं मिला सरकारी आशीर्वाद
धनबाद धनबाद प्रखंड का दामोदरपुर पंचायत। इसी पंचायत में है संथाल टोला। जाहिर है आदिवासियों का यह गांव है।
धनबाद : धनबाद प्रखंड का दामोदरपुर पंचायत। इसी पंचायत में है संथाल टोला। जाहिर है आदिवासियों का यह गांव है। रेल व बीसीसीएल के विकास में जमीन जाने की वजह से कुछ लोगों को नौकरी मिली। अब उनका परिवार भी पढ़ा लिखा है। कुछ नौकरी और कुछ व्यवसाय में हाथ आजमा रहे हैं। बावजूद इसके गांव की अधिकांश आबादी अभी भी खेती पर निर्भर हैं।
आश्चर्य की बात यह है कि इस गांव के एक भी व्यक्ति को न पीएम किसान सम्मान निधि लाभ मिला है न ही मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना का। गांव पहुंची दैनिक जागरण की टीम को ग्रामीणों ने बताया कि एक बार मुखिया आए थे आवेदन मांगने। सबने आवेदन जमा किया लेकिन आज तक किसी को कुछ नहीं मिला। किसी के खाते में मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना की एक किस्त तक नहीं आई। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक भी आवास नहीं बना है। एक-दो मकान बना भी है तो वह काफी पहले इंदिरा आवास के तहत। कुछ बीपीएल महिलाओं को गैस सिलिंडर और कुछ लोगों को शौचालय योजना का लाभ जरूर मिला है। हालांकि ग्रामीण इससे खुश नहीं हैं। वजह यह कि शौचालय इतना छोटा है कि आदमी उसमें बैठ नहीं सकता। पानी की भी सुविधा नहीं दी गई है।
शहर की सीमा पर ही होने की वजह से बिजली दशकों पहले आ चुकी है। ग्रामीण परेशान हैं कि इसके पुराने पड़ चुके कंडक्टर को क्यों नहीं बदला जा रहा। कार्यपालक अभियंता को तीन बार आवेदन देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पीसीसी सड़क बनी है तो उसका स्तर घर से ऊपर हो चुका है। हर किसी के आंगन में पानी जम जाता है। ग्रामीण बताते हैं कि सड़क निर्माण के दौरान इसका विरोध किया गया। अभियंता ने ठेकेदार से इसे ठीक करने को कहा लेकिन किया नहीं गया। सब मिलीभगत है।
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यहां विकास लोगों की जरूरत के लिए नहीं बल्कि ठेकेदारी करने और कमीशन लेने के लिए किया जाता है। देखिए सड़क ऊपर हो गई है और आंगन नीचे। पानी जम जाता है। शिक्षा का मतलब खिचड़ी खाओ और घर को जाओ हो गया है। यह स्थिति सुधरनी चाहिए।
रूपलाल किस्कू, सेवानिवृत्त बीसीसीएलकर्मी
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इस गांव में एक व्यक्ति को भी मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना, पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। मुखिया ने एक बार आवेदन लिया था लेनिक उसका क्या हुआ यह किसी को नहीं बताया गया। यह हाल तब है जब हम शहर के बिल्कुल किनारे में हैं।
कालीचरण हेंब्रम, सेवानिवृत्त रेलकर्मी
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धनबाद प्रखंड कार्यालय में यहां का कोई रिकॉर्ड नहीं है। बिजली विभाग भी हमारी नहीं सुनता। हम हैं तो पंचायत क्षेत्र में बावजूद इसके हमारी न विभाग सुनता है न नगर निगम ही हम पर ध्यान देता है। ग्रामीण पशोपेश में हैं कि क्या करें।
अंजय हांसदा, ग्रामीण