PMCH Dhanbad: पीएमसीएच में जेनेटिक वार्ड की जगह शिशु रोग वार्ड में रखे जा रहे थैलेसीमिया मरीज

थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को जेनेटिक वार्ड की जगह एसएनएमएमसीएच के सामान्य शिशु रोग वार्ड में भर्ती कराया जा रहा है। शिशु रोग वार्ड में शौचालय पर ताला लगा है। वार्ड में नाम के डॉक्टर आकर बच्चों की जांच कर रहे हैं। इससे थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे और

By Atul SinghEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 09:28 AM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 09:32 AM (IST)
PMCH Dhanbad: पीएमसीएच में जेनेटिक वार्ड की जगह  शिशु रोग वार्ड में रखे जा रहे थैलेसीमिया मरीज
थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को जेनेटिक वार्ड की जगह एसएनएमएमसीएच

जागरण संवाददाता, धनबाद : थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को जेनेटिक वार्ड की जगह एसएनएमएमसीएच के सामान्य शिशु रोग वार्ड में भर्ती कराया जा रहा है। शिशु रोग वार्ड में शौचालय पर ताला लगा है। वार्ड में नाम के डॉक्टर आकर बच्चों की जांच कर रहे हैं। इससे थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे और उनके स्वजन को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। कई स्वजनों ने इसकी शिकायत अस्पताल के प्रबंधन से की है।

25 लाख में बनकर बेकार हुआ जेनेटिक वार्ड

अस्पताल में वर्ष 2017 में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों और सिकल सेल एनीमिया के बच्चों के लिए जेनेटिक वार्ड बनाया गया था। इसके लिए 25 लाख रुपए खर्च किए गए। लेकिन अब वार्ड में मरीज नहीं रखे जा रहे हैं। जेनेटिक वार्ड के पीछे खुलने का उद्देश्य थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों और सिकल सेल एनीमिया के बच्चों को जेनेटिक जांच करनी थी। बगल में लैब की स्थापना की गई, लेकिन लैब भी अभी तक नहीं खुल पाई।

थैलेसीमिया के एक सौ बच्चे ब्लड बैंक से हैं जुड़े

थैलेसीमिया से पीड़ित एक सौ बच्चे ब्लड बैंक से जुड़े हैं। खून की कमी होने के बाद बच्चों को यह लाया जाता है। बच्चों को ब्लड की उपलब्धता तो हो जाती है। लेकिन उनकी इलाज की कोई व्यवस्था अस्पताल प्रबंधन की ओर से अब तक नहीं की गई है, ना ही दवाई की कोई व्यवस्था है। लिहाजा दवाई के लिए भी मरीज को बाहर से खरीदनी पड़ती है।

वर्जन

थैलेसीमिया के बच्चों का इलाज जेनेटिक वार्ड में ही होनी है। इसके लिए संबंधित विभागाध्यक्ष को निर्देश भी दिए गए हैं। मरीजों को कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी।

डॉ. एके चौधरी अधीक्षक, एसएनएमएमसीएच

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