International Olympic Day 2021: मेलबोर्न व रोम ओलंपिक में पीटर ने बिखेरा था जलवा; Bokaro सेल के रह चुके खेल अधिकारी
भारतीय फुटबॉल टीम आज भले ही ओलंपिक गेम्स में क्वालीफाई करने के लिए संघर्ष कर रही है लेकिन इतिहास इतना बुरा नहीं है भारतीय फुटबॉल टीम 1956 मेलबर्न ओलंपिक गेम में चौथे स्थान पर रही थी। 1960 में रोम ओलंपिक गेम में भारतीय फुटबॉल टीम ने शानदार प्रदर्शन किया था।
बोकारो, राममूर्ति प्रसाद। भारतीय फुटबॉल टीम आज भले ही ओलंपिक गेम्स में क्वालीफाई करने के लिए संघर्ष कर रही है लेकिन इतिहास इतना बुरा नहीं है भारतीय फुटबॉल टीम 1956 मेलबर्न ओलंपिक गेम में चौथे स्थान पर रही थी। 1960 में रोम ओलंपिक गेम में भी भारतीय फुटबॉल टीम ने शानदार प्रदर्शन किया था। एशियाई खेलों में भी भारतीय फुटबॉल टीम की तूती बोलती थी। 1962 बैंकाक एशियाई खेल में भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक हासिल किया था। इस दौर में बोकारो इस्पात संयंत्र की पूर्व खेल अधिकारी पीटर थंगराज भारतीय टीम के गोलकीपर थे। गोल बचाने के लिए फुटबॉल पर इनकी चीते सी फुर्ती देखते ही बनती थी। पीटर थंगराज ने मेलबोर्न रोम ओलंपिक में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा बटोरी थी। इन्होंने बोकारो शहर के साथ आसपास के गांवों में भी फुटबॉल का माहौल बनाया था। आज भी इस्पात नगरी के युवा फुटबॉलर के लिए रोल मॉडल है।
मद्रास रेजिमेंटल सेंटर से की करियर की शुरुआत
पीटर थंगराज हैदराबाद के अलार्म बाजार निवासी थे। 1953 में भारतीय सेना में शामिल हुए। फुटबॉल से लगाव था। मद्रास रेजिमेंटल सेंटर से फुटबॉल खेलना प्रारंभ किया। पहले सेंटर फॉरवर्ड खिलाड़ी के रूप में खेलते थे।बाद में प्रशिक्षक ने गोलकीपर बनाया इनके नेतृत्व में मद्रास रेजिमेंटल सेंटर में 1955 व 1958 में डूरंड कप जीता था। पीटरसन राज ने मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब की ओर से 1963 एवं 1971-72, मोहन बागान की ओर से 1965 से 1975 तक फुटबॉल खेला है।
देश के और भी कई क्लबों के साथ जुड़े रहे। अपने दम पर कई बार टीम को जिताया पीटर थंगराज ने 1958 में टोक्यो, 1962 में जकार्ता और 1966 में बैंकाक एशियाई खेलों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। लगातार 18 साल तक और गोलकीपर खेलते रहे। एशिया ऑल स्टार फुटबॉल टीम के लिए 2 बार खेले थे। 1958 में उन्हें एशिया के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर का अवार्ड दिया गया था 1967 में भारत सरकार ने इन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया। 2002 में भारत में सहस्त्राब्दी के गोलकीपर अवार्ड दिया गया।
बोकारो से रहा खास लगाव, यही ली अंंतिम सांस
थंगराज ने 1976 में बोकारो इस्पात संयंत्र में खेल अधिकारी बने थे इनकी देखरेख में खेलकूद की सुविधाएं बढ़ी 1985 में बीएसएल के सेवानिवृत्त हुए 2002 से 2008 तक सेल फुटबॉल अकैडमी में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देते रहे 25 नवंबर 2008 को बोकारो में ही अंतिम सांस ली।
पीटर थंगराज पवेलियन के जरिए सम्मान
सेक्टर तीन बी में पीटर थंगराज की पत्नी अल्फोंंसिया पीटर, पुत्र हैरी एंथाेनी पीटर रहते है। हैरी एंथाेनी पीटर भी राष्ट्रीय स्तर के फुटबाल खिलाड़ी है। कहा कि बीएसएल प्रबंधन ने पिता के सम्मान में मोहन कुमार मंगलम स्टेडियम में पवेलियन का नाम पीटर थंगराज रखा। पवेलियन के जरिए संवाद सेक्टर थंगराज की पत्नी पुत्र एंथोनी पीटर रहते हैं अंतरराष्ट्रीय स्तर के फुटबॉल खिलाड़ी हैं कि बीएसएल प्रबंधन ने पिता के सम्मान में मोहन कुमार मंगलम स्टेडियम में पवेलियन का नाम फिटर थंगराज रखा