पानी के लिए तेतुलमारी के लोगों को प्रतिदिन करनी पड़ती है मशक्कत
तीन सौ रुपये प्रति टैंकर मिलनेवाला पानी पिछले चार माह से साढे़ छह सौ रुपये में खरीदने को विवश है। सीम कालोनी व उसके आसपास के ग्रामीण सिर्फ इतना ही नहीं अगर किसी दिन टैंकर का पानी उपलब्ध नहीं हुआ दूरी साइकिल के माध्यम से पानी लाना पड़ता है।
संस. तेतुलमारी: तीन सौ रुपये प्रति टैंकर मिलनेवाला पानी पिछले चार माह से साढे छह सौ रुपये मे खरीदने को विवश है तेतुलमारी के जीरो सीम कालोनी व उसके आसपास के ग्रामीण सिर्फ इतना ही नहीं अगर किसी दिन टैंकर का पानी उपलब्ध नहीं हुआ तो उसे एक किलोमीटर की दूरी तय कर साइकिल के माध्यम से पानी लाना पडता है, जिससे ड्यूटी के अलावा अन्य काम के लिए लोगो को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, यह स्थिति पिछले चार माह पूर्व एमएपी तीन नंबर भूमिगत खदान में लगे मोटर पंप सहीत उसका केबल डूब जाने से हुई है, पीने के लिए लोगो को झमाडा का पानी उपलब्ध हो जाता है लेकिन अन्य कार्यों के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है, विशेषकर गृहणियों को काफी परेशानी झेलना पड रहा है। कालोनी के बच्चे बूढ़े व लोग भी साइकिल बाइक सहित अपने सिर पर डेगची से पानी लाने को विवश है। बच्चे को पठन-पाठन में भी परेशानी होती है। उन लोगों ने पानी की समस्या समाधान कराने की मांग को लेकर तेतुलमारी व वेस्ट मोदीडीह पीओ के साथ कई बार बार वार्ता किया लेकिन वे लोग पानी की समस्या समाधान करने के बजाय शीघ्र पानी देने का आश्वासन देकर टालमटोल कर दिया। नतीजा चार माह बीत जाने के बाद भी लोगों को पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है।
इस संबंध मे क्या कहते हैं ग्रामीणों पिछले चार माह से पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है, घरेलू कार्य के लिए प्रतिदिन सुबह साइकिल में गैलन बांधकर एक किलोमीटर दूरी सफर कर पानी लाना पड़ता है, अब बुढ़ापा अवस्था में यह संभव नहीं हो पाता है। देव कुमार सिंह आज तक ऐसी समस्या उत्पन्न नहीं हुई थी, सर्दियों के दिन में भी पानी की समस्या काफी परेशानी में डाल रहा है।
संतोष यादव
हमलोग मजदूर वर्ग के लोग हैं, तीन सौ प्रति टैंकर मिलने वाला पानी साढे छह सौ से लेकर सात सौ रुपये तक इलाके में बिक रहा है, हम लोग मजदूरी करते हैं इतना पैसा नहीं है कि इतनी महंगी पानी खरीद सके मणिलाल केवट परिवार के सदस्यों से सुबह शाम पानी की समस्या सुनना पड़ता है, अपनी ड्यूटी से आने के बाद पानी की तलाश में लग जाते हैं तब जाकर कहीं घरेलू काम को पता है।मधुसूदन पंडित