जमीन के नीचे धधकती आग, ऊपर जिंदगी की जद्दोजहद

जमीन के नीचे धधकती आग गैस रिसाव से जिंदगी मुश््िकल हो गई है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 11:13 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 11:13 PM (IST)
जमीन के नीचे धधकती आग, ऊपर जिंदगी की जद्दोजहद
जमीन के नीचे धधकती आग, ऊपर जिंदगी की जद्दोजहद

तरुण कांति घोष, सिजुआ: जमीन के नीचे धधकती आग, गैस रिसाव, आग की तपिश से हवा में गर्माहट और इनके बीच सिसकती इंसानी जिदगी। कुछ ऐसा ही है तेतुलमुड़ी 22/12 बस्ती के लोगों का जीवन। बुधवार रात बस्ती की जामा मस्जिद भरभरा कर गिर गया। इस घटना से लोग सहमे हुए हैं। ग्रामीणों के मन में कई सवाल कौंध रहे हैं। इस बस्ती की कुल आबादी करीब पंद्रह सौ है, जिसमें 45 घर रैयत व शेष गैर रैयत है। वर्ष 1980 में बीसीसीएल के द्वारा मोदीडीह 6-10 से करीब 80 गैर रैयत परिवार को यहां बसाया गया था। इनलोगों को माइनर्स क्वार्टर व हर्टमेंट क्वार्टर आवंटित किया गया था। माइनर्स में 60 व हर्टमेंट में 20 परिवार रहा करते थे। 20 परिवार अन्यत्र चले गए है। शेष बचे लोगों के दिल में एक बार फिर से विस्थापन का दर्द समा गया है। चेहरे पर चिता की लकीरें झलकने लगी है। घर के आसपास से निकलता धुआं यहां के वाशिदों को हमेशा भय की गिरफ्त में रखता है। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या करें। कहां जाएं। इसी क्षेत्र के आसपास मजदूरी कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ होता है। लोगों का एक ही स्वर में कहना है, कि प्रबंधन हमें ऐसी जगह बसा दें, जहां हमारी रोजी-रोटी प्रभावित न हो।

गांव के रैयत मो. मनीर, गृहिणी संजीदा बाने, मो. हसामुद्दीन ने कहा कि यहां इंसानी जिदगी का भी कोई मोल नहीं। भू धंसान क्षेत्र में रहनेवालों का कब होगा पुनर्वास। यहां के घरों में दरार, गैस रिसाव आम बात है। बारिश के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है। सुरक्षित तरीके से रात गुजर गई तो समझो पुनर्जन्म हो गया। फिर दूसरे दिन वही कहानी।

केंद्र सरकार भू धंसान क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए करोड़ों रुपए खर्च करती है। मकान की व्यवस्था करने के लिए पैसे देती है फिर भी हम लोगों का अब तक पुनर्वास नहीं हो पाया।

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तेतुलमुड़ी की घटनाओं पर एक नजर

19 जुलाई 2013 को आवास ढहे।

7 अगस्त 2013 को पौराणिक काली मंदिर में दरार।

1 फरवरी 2014 को भू धंसान से आवासों में दरार।

6 फरवरी 2014 को आंदोलन पर उतरे भू धंसान प्रभावित, खदान का काम ठप।

19 अप्रैल 2014 को विशेषज्ञों ने मापा फायर एरिया का तापमान।

4 जून 14 को धरना पर बैठे तेतुलमुड़ी के ग्रामीण।

19 अक्टूबर 14 को गोफ से दहशत।

17 दिसंबर 14 को गोफ के विरोध में धरना।

6 फरवरी 15 को जामा मस्जिद की जमीन में विस्फोट।

15 मई 15 को बना गोफ।

30 जुलाई 15 को पुनर्वास के लिए जरेडा की बैठक।

19 सितंबर 16 को पूर्व मंत्री स्व. ओपी लाल के नेतृत्व में सिजुआ क्षेत्रीय कार्यालय के सामने बेमियादी धरना शुरू।

21 सितंबर 16 को पूर्व मंत्री मथुरा महतो, जलेश्वर महतो, मन्नान मल्लिक ने दिया धरना

23 सितंबर 16 को तत्कालीन एसडीएम ने लिया जायजा।

24 सितंबर 16 को तत्कालीन राज्यसभा सांसद संजीव कुमार पहुंचे।

25 सितंबर 16 को कागजात की जांच

25 सितंबर 16 को सरफराज अहमद पहुंचे

29 सितंबर 16 को गैस रिसाव से एक की मौत

31 जनवरी 17 को 135 दिनों के बाद धरना समाप्त

31 जुलाई 17 को जोगता 11 नंबर में शौचालय जमींदोज

18 जुलाई 21 को अंसारूल का दो मंजिला मकान ढहा

1 अक्टूबर 21 को जोगता मैदान में गोफ

17 अक्टूबर 21 को तेतुलमुड़ी बस्ती के पास बना गोफ

6 नवंबर 21 को तेतुलमुड़ी में फिर बना गोफ

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