दीपावली की काली रात को याद कर आज भी सिहर उठते झरियावासी

वर्ष 1992 दीपावली के दिन 25 अक्टूबर को झरिया बाजार की सिदुरिया पट्टी में लगी भीषण आग से जो नुकसान हुआ उसे याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 06:49 AM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 06:49 AM (IST)
दीपावली की काली रात को याद कर आज भी सिहर उठते झरियावासी
दीपावली की काली रात को याद कर आज भी सिहर उठते झरियावासी

गोविन्द नाथ शर्मा, झरिया : वर्ष 1992 दीपावली के दिन 25 अक्टूबर को झरिया बाजार की सिदुरिया पट्टी में हुए भीषण पटाखा कांड में दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। एक सौ से अधिक लोग आग, बारूद व गैस की चपेट में आकर जख्मी हो गए थे। 28 वर्ष पूर्व यहां हुए पटाखा कांड को याद कर आज भी यहां के लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। शाम चार बजे अचानक कल्लू पटाखा दुकान-भंडार में आग लगने से बाजार में अफरातफरी मच गई थी। सकरी गली में स्थित सिदुरिया पट्टी में उस समय सैकड़ों लोगों की भीड़ दीपावली की खरीदारी में थी। दर्जनों लोग पटाखा दुकान से भी खरीदारी कर रहे थे। तभी एक चिगारी से भड़की आग ने देखते देखते पूरे क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया। हालांकि यहां के लोगों का कहना है कि पटाखा कांड में 50 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। घटना के बाद तत्कालीन बिहार सरकार की ओर से पीड़ितों को सरकारी नौकरी व मुआवजा दिया गया। लेकिन कई लोग आज भी सरकारी नौकरी से वंचित हैं। झरिया में 28 साल पूर्व हुए पटाखा कांड के बाद आज भी झरिया के शहर के कई क्षेत्रों में अवैध रूप से पटाखे की बिक्री की जा रही है। लेकिन प्रशासन मूकदर्शक है।

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पटाखा कांड में इन लोगों की हुई थी मौत

झरिया पटाखा कांड में शहर के अलावा आसपास के कई लोगों की भी आग की चपेट में आने से मौत हो गई थी। मृतकों में कल्लू पटाखा दुकान के लोगों के अलावा आनंद स्वरूप जायसवाल, राजकुमार जायसवाल, फूलचंद जायसवाल, रामस्वरूप मोदी, दीपक मोदी, प्रदीप कुमार साह, मो मुख्तार आलम, जितेंद्र स्वर्णकार, मोहम्मद रफीक, बैजनाथ साव, अनूप केसरी, संजय केसरी, सोनू कनोडिया, प्रिस साहू, रंजन सिंह, राजू सोनकर, प्रतिमा कुमारी, नुनूवती देवी, सुमित भास्कर, रोहित सिन्हा, मो इसराइल, मो रियाज, विकास गुप्ता, तनवीर आलम थे।

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पांच दिनों तक प्रशासन ने सिदुरिया पट्टी को कर दिया था सील

पटाखा कांड में पास के जख्मी दुकानदार छेदी जायसवाल, विजय जायसवाल, भोला साव, श्याम सुंदर स्वर्णकार, अरुण गोस्वामी ने कहा कि घटना को याद कर आज भी सिहर उठते हैं। पटाखा कांड के बाद जिला प्रशासन और अग्निशमन विभाग की ओर से राहत कार्य चलाया गया। पांच दिनों तक सिदुरिया पट्टी को प्रशासन ने सील कर दिया। इस दौरान जले शवों को दुकानों व घरों से निकालने का काम किया गया। लगभग चार साल तक कल्लू पटाखा दुकान बंद रही। बाद में इसे अशोक साव ने खरीद लिया।

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