मजदूरों के मसीहा एसके बक्शी की शव यात्रा में उमड़े लोग
जासं झरिया बिहार कोलियरी कामगार यूनियन के अध्यक्ष सीटू के वरीय नेता एसके बक्शी के निध
जासं, झरिया : बिहार कोलियरी कामगार यूनियन के अध्यक्ष सीटू के वरीय नेता एसके बक्शी के निधन पर उनके अमलापाड़ा झरिया आवास के बाहर मजदूरों की भीड़ उमड़ पड़ी। मजदूरों ने रोते हुए मजदूर मसीहा को श्रद्धांजलि दी। यूनियन के अनेक लोग उनकी शव यात्रा में शामिल हुए। माकपा के राज्य सचिव गोपीकांत बक्शी ने उनके शव पर पार्टी का झंडा ओढ़ाकर सम्मान दिया। घर में पत्नी संध्या बक्शी व परिवार के लोगों की ओर से अंतिम विदाई देने के बाद दिन के तीन बजे शव यात्रा निकली। लक्षमिनिया मोड़, सब्जी पट्टी, बाटा मोड़, मेन रोड चार नंबर इंदिरा चौक तक सैकड़ों लोग पैदल शव यात्रा में शामिल हुए। इसके बाद वाहन से सभी मोहलबनी मुक्तिधाम को प्रस्थान किए। शव यात्रा में पूर्व विधायक आनंद महतो, सुरेश गुप्ता, मानस चटर्जी, शिवबालक पासवान, हलधर महतो, हरि प्रसाद पप्पू, सबुर गोराई, शिव कुमार सिंह, कंचन महतो, एएम पाल, सुंदर लाल महतो आदि थे।
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मजदूर आंदोलन को अपूरणीय क्षति : पूर्णिमा
जासं, झरिया : झरिया की कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने एसके बक्शी के निधन को मजदूरों व ट्रेड यूनियन के लिए अपूरणीय क्षति बताया। कहा कि जीवन के अंतिम समय तक वे मजदूरों के हक के लिए लड़ते रहे। तीन माह पूर्व चासनाला में उनसे मिले थे। उस उम्र में भी उनके हौसले को देखकर दंग रह गई। जमसं बच्चा गुट के संयुक्त सचिव योगेंद्र प्रताप सिंह, विधायक प्रतिनिधि केडी पांडेय व केएन सिंह ने कहा कि वे अभिभावक के समान थे। उनके निधन से गहरा आघात लगा है।
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चासनाला के ग्रामीणों को दिलाया था नियोजन : सुंदरलाल
चासनाला : एसके बक्शी ने मजदूर आंदोलन के साथ चासनाला, कांड्रा गांव के ग्रामीणों की आवाज बन सेल प्रबंधन से उनका हक दिलाया था। उक्त बातें बीसीकेयू के केंद्रीय सचिव सुंदरलाल महतो ने कही। कहा कि चासनाला में चासनाला में वर्ष 1975 में हृदयविदारक जल प्लावन खान दुर्घटना हुई थी। सैकड़ों मजदूरों की मौत हो गई थी। खान दुर्घटना के बाद खदान पूरी तरह से बंद हो गया था। प्रबंधन खदान को चालू करने के पक्ष में नहीं था। एसके बख्शी ने ही चासनाला व कांड्रा के ग्रामीणों के सहयोग व प्रबंधन से बात कर ईस्ट व वेस्ट ओपन कास्ट क्वायरी को चालू कराया था। इसके अलावा प्रबंधन पर दबाव बनाकर नियोजन दिलाया था। 1975 में कोयलांचल में गुंडागर्दी के राज का खुलकर विरोध किया था। 18 जनवरी 1978 को माफिया व ग्रामीणों के बीच लड़ाई में सुरेंद्र महतो शहीद हो गया था। उनके निधन से यहां के लोगों को अपूरणीय क्षति हुई है।
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पंचतत्व में विलीन हुए कामरेड बक्शी : चासनाला : मजदूर मसीहा एसके बख्शी रविवार की शाम पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका शव शाम साढ़े चार बजे पार्टी के लाल झंडे में लिपटा व लाल सलाम के नारों से गूंजता हुआ सुदामडीह मोहलबनी मुक्तिधाम दामोदर नदी घाट पहुंचा। आखिरी सलाम देने के लिए बीसीकेयू, मासस, माकपा के दर्जनों लोग शामिल हुए। रीति-रिवाज से साढ़े पांच बजे शव का अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि बड़े सुपुत्र जय बख्शी ने दी। दामाद शुभा मुखर्जी, सुंदरलाल महतो, योगेंद्र महतो, जितेंद्र मिश्रा, अरुण यादव, सुरेंद्र कुमार, अखिलेश साहू, निताई महतो, सबूर गोराई, चंदन महतो, अनूप साव, सेल के अधिकारी अजय कुमार, सुरेश प्रसाद गुप्ता, संजय माथुर, समीर मंडल, चंदन घोष, अमरजीत पासवान, बदरुद्दीन सिद्दीकी, मानस चटर्जी, कृष्णबल्लभ पासवान, रामप्रवेश आदि थे।