छाताकुल्ही अंडरपास को लेकर रेल और धनबाद प्रशासन में फेंका-फेंकी, चार साल पहले शुरू हुआ था निर्माण

छाताकुल्ही अंडरपास पुल को बनाने का काम करीब चार साल पहले शुरू किया गया। एक साल तो इससे जुड़ डीपीआर और अन्य तकनीकी पहलुओं को पूरा कर निविदा निकालने में ही बीत गए। काफी जद्दोजहद के बाद 29 अक्टूबर 2019 को इसका शिलान्यास किसी तरह से पूरा हुआ।

By MritunjayEdited By: Publish:Tue, 05 Oct 2021 09:43 AM (IST) Updated:Tue, 05 Oct 2021 09:43 AM (IST)
छाताकुल्ही अंडरपास को लेकर रेल और धनबाद प्रशासन में फेंका-फेंकी, चार साल पहले शुरू हुआ था निर्माण
प्रधान खांटा रेलवे स्टेशन ( फाइल फोटो)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। एक तरफ शहर में गया पुल अंडरपास के समानांतर पुल बना कर यातायात को नियमित करने की हायतौबा मची हुई है तो दूसरी तरफ जिले की यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाने की कई योजनाएं फाइलों में ही धूल फांक रही हैं। इसको लेकर एक विभाग के अधिकारी दूसरे विभाग के अधिकारियों को जवाबदेह बता अपना पल्ला झाड़ने में लगे हैं। इसकी एक बानगी है प्रधानखंता-सिंदरी रेलमार्ग पर छाताकुल्ही के पास बनने वाला रेलअंडरपास।

रेलअंडरपास पुल को बनाने का काम करीब चार साल पहले शुरू किया गया। एक साल तो इससे जुड़ डीपीआर और अन्य तकनीकी पहलुओं को पूरा कर निविदा निकालने में ही बीत गए। काफी जद्दोजहद के बाद 29 अक्टूबर 2019 को इसका शिलान्यास किसी तरह से पूरा हुआ। तो इस इलाके से होकर नियमित गुजरनेवालों की उम्मीद जगी कि चलो अब तो जाम की समस्या एक दो सालों में समाप्त हो जाएगी। लेकिन उनकी दुश्वारियों अब भी जस की तस बनी हुई हैं। वजह है शिलान्यास के बाद पुल बनाने के नाम पर मिट्टी का एक धेला तक नहीं निकालना।

इसकी जानकारी थी तब सामने आई जब शहर के एक आरटीआई कार्यकर्ता रमेश राही ने इसको लेकर रेलवे के डीआरएम कार्यालय में एक आवेदन डाला। इस बारे में रमेश राही बताते हैं कि आवेदन पर जवाब देते हुए रेलवे के अधिकारियों ने काम में देरी का सारा ठिकरा जिला प्रशासन पर फोड़ते हुए लिखा है कि इसके लिए धनबाद उपायुक्त को दो दो बार पत्र लिखकर उनकीे सहमति लेने की कोशिश की गई। लेकिन आज तक उपायुक्त कार्यालय से कोई जवाब नहीं मिल पाया है। इस कारण काम रूका पड़ा है। वहीं इस बाबत उपायुक्त कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार रेलवे की तरफ से अभी तक कोई औपचारिक सूचना इस संबंध में नहीं दी गई है। जब पत्र ही नहीं मिला तो फिर सहमति देने का कोई औचित्य ही नहीं बनता।

गौरतलब है कि इस पुल को बनााने के लिए 2018 में ही निविदा निकाल कर इसे बनाने का जिम्मा मेसर्स शिवशैल कंस्ट्रकशन प्राइवेट लिमिटेड को दिया जा चुका है। साथ ही उसे कार्यादेश भी उपलब्ध करा दिया गया है। लेकिन काम आज तक शुरू नहीं हो पाया है। फिलहाल लोगों को इस रूट पर परेशानियां झेलते हुए सफर करना उनकी मजबूरी है।

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