India Lockdown: बदली आबोहवा और थमा शोर तो कोलियरी में दिखने लगे मोर, कोयल की कुहू-कुहू से ह्रदय के तार हो रहे झंकृत Dhanbad News
लॉकडाउन ने पक्षियों को खुला माैहाल दिया है। वे इंसानों से घुल-मिल रहे हैं। इसका नजारा जमुनिया नदी के किनारे बसे जीतपुर गांव में देखने को मिला। घर की छप्पर पर मोर आ बैठा। फोटो-मनोज।
धनबाद [ तापस बनर्जी ]। शोर और भीड़भाड़ वाले धनबाद कोयलांचल में आमताैर पर मोर का नाच, कोयल की कूक और गौरैया की चहचहाहट कम ही सुनाई देती हैं। न जाने ऐसे कितने पक्षी हैं, जिनकी आवाज शहर के शोर में गुम हो जाती हैं। लेकिन इन दिनों परिस्थितियां काफी बदल गयी है। लॉकडाउन के कारण इंसान घरों में कैद हैं। कल-कारखाने बंद हैं। कोलियरी इलाकों में खनन के लिए विस्फोट कम हो रहे हैं। नतीजतन, पंछियों का कलरव एक बार फिर सुनने को मिल रहा है। कोयिलरी इलाकों में सुबह-शाम घरों के छत और छान्ह पर मोर के दर्शन हो रहे हैं। कानों तक कोयल की कुहू-कुहू सुनाई नहीं देती थी। अब कोयल की कुहू-कुहू से ह्रदय के तार झंकृत हो रहे हैं।
पक्षी विशेषज्ञ का मानना है कि हाल के दिनों में शहरी क्षेत्रों में पक्षियों की संख्या में इजाफा दर्ज किया गया है। ऐसे मेहमान पंछी भी दिखने लगे हैं, जो आबादी से दूर रहते हैं।
सन्नाटे ने दिया पंछियों को न्योता
पक्षियों के जानकार पीके राय मेमोरियल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. बीके सिन्हा कहते हैं, लॉक डाउन की वजह से भीड़ और शोर काफी कम हो गया है। कोलाहल वाली जगहों पर भी सन्नाटा है। यह परिवेश पक्षियों को आकर्षित कर रहा है। यही वजह है कि स्थानीय पक्षियों के साथ शहर में काफी कम दिखाई देने वाले पक्षी भी आ रहे हैं। दूसरी ओर, लॉक डाउन के कारण पक्षी पकडऩे वाले भी नहीं हैं। इस कारण भी पक्षियों का डर कम हुआ है।
इन मेहमान पंछियों ने दी शहर में दस्तक
कई वर्षों से पक्षियों पर अध्ययन कर रहे डॉ. बीके सिन्हा के मुताबिक इन दिनों झारखंड में आमतौर पर पाए जाने वाले पक्षियों के साथ साथ ब्राह्मणी मैना, लाल मुनिया, ऑरिओल, व्हाइट आई जैसे प्रवासी पक्षी बालकनी से दिख रहे हैं।