Indian Railways IRCTC: सेकेंड एसी में भी चैन की नींद की गारंटी नहीं, महसूस करें यात्री की पीड़ा

Indian Railways IRCTC अगर आप रेल के सेकेंड एसी डिब्बे में सफर कर रहे हैं तो चैन से नींद की कोई गारंटी नहीं है। इसे डिब्बे में भी जनरल श्रेणी के डिब्बे की तरह वेंडर दुकान लगा रहे हैं। विरोध करने पर वेंडर यात्रियों को आंख भी दिखाते हैं।

By MritunjayEdited By: Publish:Sun, 12 Sep 2021 09:54 AM (IST) Updated:Sun, 12 Sep 2021 10:05 AM (IST)
Indian Railways IRCTC: सेकेंड एसी में भी चैन की नींद की गारंटी नहीं, महसूस करें यात्री की पीड़ा
वेंडर यात्रियों की नींद में डाल रहे खलल ( सांकेतिक फोटो)।

तापस बनर्जी, धनबाद। अगर सेकेंड एसी में सफर कर रहे हैं तो ऐसा कदापि नहीं सोचें कि वेंडर आपको चैन से सफर करने देंगे। उन्हें बेफिक्र कोच में फेरी लगाने दें। रोक-टोक की तो फजीहत तय है। हद तो तब है जब वेंडर कहे, थोड़ा खिसकिए, सामान रखेंगे। यात्री को उसकी ही सीट से हटाकर अपनी दुकान सजा दे। 27 अगस्त को दरभंगा से सिकंदराबाद जानेवाली ट्रेन में कुछ ऐसा ही वाकया हुआ। वेंडर सेकेंड एसी में आया। लोअर सीट पर बैठे यात्री को हटने को कहा, उसने विरोध की कोशिश की तो आंखें लाल कर टकटकी बांध दी। यात्री ने भी सोचा, सफर है, झेल लो। फिर वेंडर ने आराम से सामान रखा, जब तक मर्जी हुई, कारोबार किया। इसके बाद चलता बना। सेकेंड एसी के यात्री रत्नेश कुमार को नागवार गुजरा। शिकायत की तो आरपीएफ ने पीएनआर और मोबाइल नंबर मांग लिया। कहा, शिकायत दर्ज हो जाएगी।

ट्रेन में मुर्दे का सफर

जरा सोचिए, आप ट्रेन में बैठे हैं। एकाएक आपके साथ एक मुर्दा सफर करने लगे तो क्या करेंगे। अगर उससे बदबू भी आ रही हो तो...। होश तो उड़ ही गए होंगे जनाब। मगर ऐसा हुआ, हटिया से इस्लामपुर जा रही ट्रेन में। ट्रेन धनबाद रेल मंडल के हीरोडीह स्टेशन पर जब रुकी, एस-6 कोच में चार शख्स शव के साथ आए। सीट के बीच शव रख दिया। यह देख कोच के अन्य यात्रियों के तिरपन कांप गए। शव पुराना था तो कोच में बदबू फैलने लगी। दिमाग भन्ना गया तो यात्रियों ने टिकट चेकिंग स्टाफ और सुरक्षा बलों से फरियाद की। मगर किसी के कान पर जूं न रेंगी। मुर्दा सफर करता रहा। तब मामला ट्विटर पर पहुंचा, रेलवे सक्रिय हुई। ट्रेन के कोडरमा पहुंचने पर जीआरपी ने शव उतरवाया। मगर जो शव ले जा रहे थे, वे मंथन करें, क्या यह उचित था।

नीचे रेल पटरी, ऊपर मोहल्ला

बरमसिया, रांगाटांड़ और वासेपुर में तो आप सिर्फ रेलवे की जमीन पर बसे खटाल, गोदाम और दुकान देख सकते हैं। रेल पटरी के ऊपर बसे मोहल्ले देखना हो तो टेलीफोन एक्सचेंज रोड आ जाइए। 2002 में धनबाद-झरिया रेल लाइन बंद होने के बाद उसके ऊपर मोहल्ले बसने शुरू हुए। पहले दर्जन भर घर बने। फिर सैंकड़ों और अब हजारों में। पटरी के आसपास से लेकर उसके ऊपर भी मकान खड़े हो गए। ऊंची अट्टालिकाओं तक पहुंचने की राह भी पटरी के ऊपर ही बन गई। नए मकान तो अब भी बन रहे हैं, बदस्तूर। कुछ साल पहले रेलवे ने नगर निगम के साथ मिलकर रामकृष्णा कालोनी से जोड़ाफाटक तक ग्रीन पैच के लिए एनओसी दिया था। मगर मामला उच्च न्यायालय पहुंचा तो योजना अटक गई। अरसा गुजर गया। रेल अधिकारी कभी वहां झांकने तक नहीं गए हैं। उस पर तुर्रा ये कि अतिक्रमण कैसे हटाएं।

एसी वेटिंग हाल, कुर्सियां बेहाल

धनबाद रेलवे स्टेशन के बाहरी लुक को देखकर हर कोई तारीफ किए बगैर नहीं रह पाता। अगर कोई लंबे समय बाद धनबाद लौटा तो खड़े होकर सल्फी भी जरूर लेगा। सेल्फी प्वाइंट भी बना है। मगर ट्रेन लेट है और वेटिंग हाल में गए तो मायूसी मिलेगी। जंक्शन के एसी वेटिंग हाल में मेहमाननवाजी करने वाली कुर्सियां लंगड़ी हो गई हैं। धनबाद के रेल मंडल मुख्यालय होने के बाद भी अधिकारियों की नजर-ए-इनायत इन पर नहीं हुई, तब वेटिंग हाल में बैठे एक यात्री ने रेलवे को आइना दिखा दिया। रेलमंत्री से लेकर डीआरएम तक को टैग कर ट्वीट किया। लिखा एसी हाल में एसी चल नहीं रहा, क्षतिग्रस्त कुर्सियां यात्रियों का स्वागत कर रही हैं। रेलवे तुरंत हरकत में। जवाब दिया संबंधित विभाग को सूचना दे दी गई है। जल्द आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। देखना है कि रेलवे का आश्वासन पूरा कब होता है।

chat bot
आपका साथी