DVC Panchet Dam: प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्र को किया था समर्पित, 61 साल बाद हो रहा Renovation

पंचेत में 40 गुणा दो यानी 80 मेगावाट उत्पादन की मशीन है। पिछले 61 सालों से लागतार कार्य करने वाली मशीन ह्रास होने के कारण अब क्षमता के अनुरूप बिजली उत्पादन करने में असमर्थ है। लंबे समय से हाइडल के यूनिट एक टरबाइन को बदलने की मांग उठ रही थी।

By MritunjayEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 01:59 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 02:03 PM (IST)
DVC Panchet Dam: प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्र को किया था समर्पित, 61 साल बाद हो रहा Renovation
डीवीसी के पंचेत हाइडल का होगा नवीकरण ( फाइल फोटो)।

मैथन/पंचेत, जेएनएन। देश की पहली बहुद्देश्यीय परियोजना-दामोदर घाटी निगम ( DVC)  की पंचेत इकाई की हाइडल यूनिट में जनरेटर टरबाइन को 62 साल बाद बदलने की तैयारी चल रही है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 6 दिसंबर 1959 को पंचेत हाइडिल का उद्घाटन किया था। हाइडल का जनरेटर टरबाइन लागतार देश को सेवा देने के कारण अब क्षमता के अनुरूप कार्य नहीं कर रहा है। इसके कारण दामोदर घाटी निगम प्रबंधन ने इसे बदलने का निर्णय लिया है। टरबाइन को बदलने में 150 करोड़ खर्च का खर्च आएगा। इसके लिए डीवीसी प्रबंधन द्वारा निविदा निकाली गई है।

पंचेत हाइडल की उत्पादन क्षमता 80 मेगावाट

पंचेत में 40 गुणा दो यानी 80 मेगावाट उत्पादन की मशीन है। पिछले 61 सालों से लागतार कार्य करने वाली मशीन ह्रास होने के कारण अब क्षमता के अनुरूप बिजली उत्पादन करने में असमर्थ है। इस वजह से लंबे समय से हाइडल के यूनिट एक टरबाइन को बदलने की मांग उठ रही थी। डीवीसी की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण प्रबंधन मरम्मत कर चला रहा था । वर्तमान प्रबंधन ने हाइडल के यूनिट एक को पूर्ण रूप से नवीनीकरण, आधुनिकीकरण के लिए ई-निविदा निकाल कर बदलने का निर्णय लिया है। निविदा शर्तो के तहत टरबाइन और जनरेटर यूनिट के निर्माण, परीक्षण और कमीशनिंग का पर्यवेक्षण के साथ यदि आउट सोर्सिंग कंपनी हो तो उसके संचालन बोलीदाता को निर्माता से सहमति पत्र (एलओसी) जमा करना होगा । निविदा लेने वाले को गारंटी रकम 92,85,898 जमा करनी होगी।

झारखंड-पश्चिम बंगाल की सीमा पर आकर्षण का केंद्र

पंचेत डैम झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा पर दामोदर नदी के ऊपर बना हुआ है। पंचेत डैम का इलाका झारखंड में है जबकि टरबाइन पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला में पड़ता है। डैम के चारों तरफ पहाड़ और जंगल हैं। यह इलाका पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

नेहरू और बुधनी का किस्सा आज भी मशहूर

इस डैम से देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू के कई किस्से जुड़े हुए हैं। नेहरू ने डैम का उद्घाटन स्थानीय आदिवासी महिला बुधनी मझियाइन के हाथों कराया। इसके बाद उन्होंने बुधनी को माला पहनाया। इससे बुधनी का पति नाराज हो गया। कहा-नेहरू ने माला पहनाया है। अब तुम उनकी पत्नी हो गई। पति ने बुधनी का परित्याग कर दिया। 

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