सिंदरी में भूख से अनाथ महिला ने तोड़ा दम, चार साल से नवीकरण के लिए जमा था राशन कार्ड Dhanbad News

सिंदरी में 70 साल की अनाथ बूढ़ी महिला मंजू देवी ने भूख से दम तोड़ दिया। महिला का राशन कार्ड चार साल पहले से जन वितरण प्रणाली के दुकानदार के पास नवीकरण के लिए जमा था।

By Sagar SinghEdited By: Publish:Thu, 12 Dec 2019 11:02 AM (IST) Updated:Thu, 12 Dec 2019 02:15 PM (IST)
सिंदरी में भूख से अनाथ महिला ने तोड़ा दम, चार साल से नवीकरण के लिए जमा था राशन कार्ड Dhanbad News
सिंदरी में भूख से अनाथ महिला ने तोड़ा दम, चार साल से नवीकरण के लिए जमा था राशन कार्ड Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। दावे और वायदे के सियासी शोर के बीच बुधवार को सिंदरी में 70 साल की अनाथ बूढ़ी महिला मंजू देवी ने दम तोड़ दिया। धनबाद नगर निगम के वार्ड नंबर 54 में अवस्थित सिंदरी बस्ती के मल्लिक टोला में वो रहती थी। चार साल पहले से सरकारी राशन कार्ड जन वितरण प्रणाली के दुकानदार के पास नवीकरण के नाम पर जमा था। महिला को विधवा पेंशन भी मिलना बंद हो गया था।

बताया जा रहा है कि महिला की कोई औलाद नहीं थी और पति सूचान मल्लिक पहले ही गुजर चुके हैं। वह आर्थिक तंगी से भी गुजर रही थी। पेट में अन्न दाना नहीं जा रहा था। ऊपर से कड़कड़ाती ठंड। धनबाद नगर निगम की वार्ड पार्षद सुमित्रा देवी ने मंजू देवी के भूख से मरने की पुष्टि की। सवालिया लहजे में बोली कि बूढ़ी भूख से आखिर कब तक लड़ती।

बस्ती के लोग कुछ दिए तो पेट भरा, वरना पानी पीकर सो जाती थी महिला

सिंदरी बस्ती की मंजू देवी लंबे समय से चलने फिरने और बोलने में असमर्थ थी। ममेरी बहन मीलू के साथ किसी तरह जिंदगी काट रही थी। बस्ती के लोग कुछ दे दिए तो पेट भर लिया वरना पानी पीकर सो गई। मंजू की मृत्यु के बाद आसपास के लोग इकट्ठा हुए। बताया कि विधवा पेंशन के पैसे से जन वितरण प्रणाली की दुकान से चावल ले लेती थी। बताती थी कि नवीकरण के लिए चार साल पहले जन वितरण प्रणाली के दुकानदार को राशन कार्ड दी थी। फिर नया राशन कार्ड से नहीं मिला। विधवा पेंशन की रकम भी कई सालों से मिलनी बंद हो गई थी।

मंजू की जुबान क्या बंद हुई सरकारी तंत्र भी गूंगा और बहरा हो गया

सामाजिक कार्यकर्ता छोटन चटर्जी ने बताया कि गांव के लोग सहयोग नहीं करते तो बहुत पहले भूख से मंजू की जान चली गई होती। स्थानीय लोगों ने विधवा पेंशन चालू कराने के लिए सरकारी बाबुओं से कई बार कहा था। मंजू की जुबान बंद हो गई थी तो उसके साथ सरकारी तंत्र भी गूंगा और बहरा हो गया। छोटनी कहते हैं, भूख से मौत की चिकित्सकीय जांच के पैमाने ऐसे हैं कि सरकारी तंत्र के लोग खुद को बचाने का रास्ता तलाश लेते हैं।

सरकारी तंत्र की उदासीन ने ली महिला की जान : धनबाद नगर निगम के वार्ड नंबर 54 की पार्षद सुमित्रा देवी ने कहा कि बूढ़ी विधवा मंजू की मौत दुखद है। सरकारी तंत्र उदासीन नहीं होता तो भूख से उसकी जान नहीं जाती। समय रहते सरकारी अफसर उसकी दशा पर गौर कर लेते तो ऐसा नहीं होता। 

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