संसार में दो ही सत्य, भगवान व मृत्यु
जब सृष्टि की रचना नहीं थी तब भी भगवान थे। सृष्टि है तब भी भगवान हैं और जब सृष्टि नहीं रहेगी तब भी भगवान रहेंगे। इसलिए भगवान राम में दिल लगाने के साथ भागवत कथा सुनने भर से आदमी मोक्ष को प्राप्त करता है। संसार में दो ही सत्य है एक भगवान का नाम दूसरा मृत्यु।
संवाद सहयोगी, केंदुआ : जब सृष्टि की रचना नहीं थी तब भी भगवान थे। सृष्टि है तब भी भगवान हैं और जब सृष्टि नहीं रहेगी तब भी भगवान रहेंगे। इसलिए भगवान राम में दिल लगाने के साथ भागवत कथा सुनने भर से आदमी मोक्ष को प्राप्त करता है। संसार में दो ही सत्य है, एक भगवान का नाम दूसरा मृत्यु। भगवान से प्रेम करोगे तो संसार के सारे कष्ट और पाप धुल जाएंगे। केंदुआ हनुमानगढ़ी बजरंग बली मंदिर प्रांगण में शनिवार से प्रारंभ सप्त दिवसीय संगीतमयी ज्ञान गंगा यज्ञ में प्रवचन करती हुई, अयोध्या से पधारी मां आदिशक्ति सेवा ट्रस्ट की संस्थापिका कथावाचक पं. गौरांगी गौरी ने यह बात कही।
पं. गौरांगी गौरी ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा सुनने मात्र से जीव को विश्राम मिल जाता है। उन्होंने कहा कि ''गंगा अवनी यल तीन बड़ेरे'' अर्थात गंगा हर जगह नहीं मिलेगी।
भागवत कथा रूपी गंगा प्रत्येक स्थान और जगह पर मिलेगी। भागवत की उत्पति को समझाते हुए गौरांगी गौरी ने कहा कि भागवत पहले चतुश्लोकि भागवत थी। नारायण भगवान की नाभि से कमल निकला। उस कमल से ब्रह्मा जी प्रकट हुए। उसके बाद नारायण ने ब्रह्मा जी को आदेश दिया कि सृष्टि बनाईये। उसी समय भगवान नारायण ने ब्रह्मा जी को चतुश्लोकी भागवत कथा सुनाई। भागवत कथा में इतनी शक्ति है कि भागवत कथा सुनने से मनुष्य चाहे कितना भी पाप किया हो, उसे मुक्ति मिल जाती है। गौरी ने बताया कि धुंधकारी नाम का एक व्यक्ति था। उसने जीवन भर पाप किया और उसे अकाल मृत्यु हुई। उसके अकाल मृत्यु के बाद भगवान गोकर्ण ने उसे भागवत कथा सुनाई और धुंधकारी नामक प्रेत भागवत कथा सुनने के सातवें दिन बाद स्वस्थ और सुंदर रूप में प्रकट हो गया। उसे भगवान के पार्षद बैकुंठ धाम ले गये। इसलिए लोगों को भागवत और भगवान से प्रेम कर भगवान की कथा सुननी चाहिए।
भागवत ज्ञान गंगा यज्ञ का शुभारंभ सुबह बजरंगबली के रुद्राभिषेक से किया गया। इस मौके पर हनुमान गढ़ी मंदिर में बजरंगबली की भव्य प्रतिमा को पं. अनिरुद्ध पाण्डेय और रवींद्र पाण्डेय की देखरेख में दूध दही, घी, मधु और अयोध्या सरयू नदी जल से जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की गई। शाम में सप्त दिवसीय भागवत कथा शुरू किया गया। भागवत कथा का आयोजन रवींद्र गुप्ता की देखरेख में 27 फरवरी शनिवार से आगामी पांच मार्च शुक्रवार तक किया गया है। आयोजन में रविद्र गुप्ता, विजय अग्रवाल, गोविद राउत, रवींद्र गुप्ता, विमल किशोर वर्मा, नंदकिशोर पांडेय, चंदन कर्मकार, बिरजू साव, दीपक साव, अजय साव, विकास साव, रॉकी साव आदि शामिल थे।