किस अधिकार से नगर आयुक्त ने बढ़ाया विवाह भवनों का किराया Dhanbad News
नियमानुसार नगर निगम की ओर से लिए गए निर्णय को पांच साल से पहले नहीं बदला जा सकता। यदि बदलना हो तो निगम अथवा सरकार से अनुमति लेनी होगी। नगर आयुक्त ने किस अधिकार के तहत विवाह भवनों का किराया ₹35000 प्रतिदिन से बढ़ाकर ₹51000 प्रतिदिन कर दिया है।
जागरण संवाददाता, धनबाद : नियमानुसार नगर निगम की ओर से लिए गए निर्णय को पांच साल से पहले नहीं बदला जा सकता। यदि बदलना हो तो निगम अथवा सरकार से अनुमति लेनी होगी। फिर बिना इन दोनों से अनुमति लिए नगर आयुक्त ने किस अधिकार के तहत विवाह भवनों का किराया ₹35000 प्रतिदिन से बढ़ाकर ₹51000 प्रतिदिन कर दिया है। यह प्रश्न मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखे गए पत्र में पूर्व पार्षद निर्मल कुमार मुखर्जी ने किया है। उन्होंने कहा है कि धनबाद शहर में विवाह भवनों का निर्माण 14वें वित्त आयोग से प्राप्त राशि से किया गया था। उद्देश्य था इस शहर के आम लोगों को रियायती दर में विवाह जैसे कार्य संपादित करने के लिए स्थान मुहैया कराना। लेकिन नगर आयुक्त ने इसे विशुद्ध व्यावसायिक संस्था बना दिया है। मजेदार बात कि यह इनके अधिकार क्षेत्र में भी नहीं आता है। नगर पालिका एक्ट कहता है कि यदि नगर निगम का चुनाव 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद नहीं हो पाता तो राज्य सरकार किसी अधिकारी या अधिकारियों के परिषद को नियुक्त करती है, उसका कामकाज देखने के लिए। यदि उसे कोई नीतिगत निर्णय लेना हो तो सरकार से परामर्श के बाद ही वह ऐसा कर सकता है। जबकि वर्तमान नगर आयुक्त ने बिना किसी से परामर्श लिए स्वयं यह निर्णय ले लिया है जो गलत है। पूर्व पार्षद ने मुख्यमंत्री से नगर आयुक्त के निर्णयों को रद्द करते हुए उन पर कार्रवाई करने की मांग की। साथ ही पार्षद ने सीएम से नगर विकास विभाग कि भी शिकायत की है। कहा है कि वह जिस व्यक्ति के विषय में शिकायत करते हैं, विभाग उसी को जांच का अधिकार दे देता है। ऐसे में किस तरह की जांच होती होगी समझा जा सकता है।