अब इलाज के साथ मरीजों की होगी जेनेटिक काउंसेलिग

दुर्लभ मानी जाने वाली हीमोफीलिया स्किल सेल एनिमिया व थैलेसिमिया पीड़ितों के लिए एसएनएमएमसीएच में इलाज के साथ अब जेनेटिक काउंसलिंग भी की जाएगी। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन जेनेटिक वार्ड को विकसित करने में जुट गया है। तीनों बीमारियां अनुवांशिकी से जुड़ी है। ऐसे में जेनेटिक काउंसलिंग से यह कोशिश की जाएगी कि एक से दूसरी पीढ़ी में बीमारी का प्रभाव नहीं अथवा कम हो पाए।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 06:39 AM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 06:39 AM (IST)
अब इलाज के साथ मरीजों की होगी जेनेटिक काउंसेलिग
अब इलाज के साथ मरीजों की होगी जेनेटिक काउंसेलिग

मोहन गोप, धनबाद : दुर्लभ मानी जाने वाली हीमोफीलिया, स्किल सेल एनिमिया व थैलेसिमिया पीड़ितों के लिए एसएनएमएमसीएच में इलाज के साथ अब जेनेटिक काउंसलिंग भी की जाएगी। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन जेनेटिक वार्ड को विकसित करने में जुट गया है। तीनों बीमारियां अनुवांशिकी से जुड़ी है। ऐसे में जेनेटिक काउंसलिंग से यह कोशिश की जाएगी कि एक से दूसरी पीढ़ी में बीमारी का प्रभाव नहीं अथवा कम हो पाए। एसएनएमएमसीएच के अधीक्षक डा. एके वर्णवाल ने बताया कि जेनेटिक वार्ड के लिए चिकित्सक व विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम तैनात की जा रही है। इसके लिए तैयारी शुरू की गई है। अभी जेनेटिक वार्ड के नोडल शिशु रोग विशेषज्ञ डा. अविनाश कुमार है। आदिवासी समाज में यह अनुवांशिक बीमारी सबसे ज्यादा होती है। शादी-विवाह से पहले जेनेटिक काउंसलिंग होगा बेहद कारगर

अनुवांशिकी बीमारियों से ग्रसित मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी शादी-विवाह को लेकर होती है। दरअसल, एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में यह बीमारी नहीं फैले, इसको लेकर सरकार यह तैयारी कर रही है। काउंसलिंग में मरीजों को जीन को दूसरे मरीज के जीन के साथ लैब में डेटा तैयार की जाएगी। डेटा में रिसर्च के बाद यह तय किया जाएगा कि संबंधित अनुवांशिकी बीमारी से ग्रसित मरीज को दूसरे अनुवांशिकी से ग्रसित मरीज के साथ बेहतर रिश्ता हो सकता है या नहीं, जिससे उनकी आने वाली पीढ़ी को अनुवांशिकी बीमारी से निजात मिल पाए या इसे कम किया जा सके। यह तैयारी अस्पताल में हो रही है। हीमोफीलिया की दवा आई, 100 मरीज जुड़े

फिलहाल एसएनएमएमसीएच के जेनेटिव वार्ड में हीमोफिलिया की वैक्सीन व दवा आ गई है। बाजार में बिकने वाली डीएनए फैक्टर की दवा यहां निश्शुल्क दी जा रही है। जबकि बाजार में इस दवा की कीमत 18 से 20 हजार रुपये के आसपास है। वहीं, हीमोफीलिया के 100 मरीज जेनेटिक वार्ड से जुड़े हैं। इसमें 60 मरीज पूरी तरह से ठीक हो गए है। इसमें सबसे ज्यादा मरीज संताल परगना क्षेत्र के हैं। अस्पताल में 2017 में ही 25 लाख रुपए से जेनेटिक वार्ड का निर्माण कराया गया था। लेकिन दवा सहित अन्य जरूरी सामानों के लिए कोई आवंटन नहीं थे। इस वजह से यहां आने वाले मरीजों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ रही थी। जेनेटिक वार्ड को विकसित किया जा रहा है। अब अनुवांशिकी को रोकने के लिए जेनेटिक काउंसलिंग की व्यवस्था की जा रही है। इससे मरीजों को राहत मिलेगी।

डा. एके वर्णवाल, अधीक्षक, एसएनएमएमसीएच।

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