अब सर्टिफाइड कॉपी के लिए रजिस्ट्री ऑफिस का लगाना पड़ रहा है चक्कर

जमीन की रजिस्ट्री के कागजात डीड अब पब्लिक डोमेन में नहीं दिख रहा है। न तो डीड को सर्च कर पा रहे हैं। केवल इतना ही नहीं इसकी सर्टिफाइड (सत्यापित प्रतिलिपि) कॉपी हासिल कर पा रहे हैं। दोनों कामों के लिए रजिस्ट्री ऑफिस की दौड़ लगानी पड़ रही है।

By Atul SinghEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 11:49 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 05:34 PM (IST)
अब सर्टिफाइड कॉपी के लिए रजिस्ट्री ऑफिस का लगाना पड़ रहा है चक्कर
यह है कि अब दोनों कामों के लिए रजिस्ट्री ऑफिस की दौड़ लगानी पड़ रही है।

जागरण संवाददाता धनबाद : जमीन की रजिस्ट्री के कागजात डीड अब पब्लिक डोमेन में नहीं दिख रहा है। न तो डीड को सर्च कर पा रहे हैं। केवल इतना ही नहीं इसकी सर्टिफाइड (सत्यापित प्रतिलिपि) कॉपी हासिल कर पा रहे हैं। मतलब यह है कि अब दोनों कामों के लिए रजिस्ट्री ऑफिस की दौड़ लगानी पड़ रही है। अभी कुछ दिन पहले ही तक नेशनल जेनेरिक डिजिटल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एनजेडीआरएस) के पोर्टल पर जिले भर की सभी जमीनों की डेट दिखती थी और इसका सर्टिफिकेट कॉपी या प्रिंट भी हासिल किया जा सकता था। जिसको कोई भी ले सकता था, या जानकारी प्राप्त कर सकता था। जिले भर में रजिस्टर्ड जमीन के कागजात (डीड) कि कोई भी व्यक्ति जांच कर सकता था। जरूरत पडने पर इसका प्रिंट भी हासिल किया जा सकता था। दरअसल एनजेडीआरएस का उद्देश्य व्यवस्था को पारदर्शी बनाना था। इस व्यवस्था से जमीन की खरीद बिक्री मैं होने वाली गड़बड़ी पर भी नियंत्रण किया जा सकता था। अब यह मांग उठने लगी है की पुरानी व्यवस्था को फिर से कायम किया जाए। इससे लोगों को परेशानी नहीं होगी।

प्रत्येक पेज के लिए 30 रुपए का शुल्क था। निर्धारित डीड की सत्यापित प्रतिलिपि हासिल करने के लिए प्रति पेज 30 रुपए निर्धारित है। सत्यापित प्रतिलिपि की कानूनी मान्यता भी है।

2018 के दिसंबर महीने में इसकी शुरुआत हुई थी। केंद्र सरकार ने इसे विकसित किया है। इससे पहले राज्य सरकार की ओर से विकसित पोर्टल झारनेट पर सभी डीड को ऑनलाइन किया जाता था। इसकी शुरुआत वर्ष 2008 में हुई थी।

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