पाठ्य पुस्तकों पर जीएसटी नहीं, बिन ना मिले तो करें उपभोक्ता फोरम में शिकायत

निजी स्कूलों की पाठ्य पुस्तकों की कीमतें काफी अधिक है। एनसीइआरटी के मुकाबले इनकी कीमतें दोगुनी से तिगुनी इसके बावजूद भी जिले के निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों को छोड़ निजी पब्लिकेशन की पुस्तकों का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। ऐसे में इन किताबों की कीमतें अभिभावकों पर भारी बोझ बन रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 11:00 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 11:00 PM (IST)
पाठ्य पुस्तकों पर जीएसटी नहीं, बिन ना मिले तो करें उपभोक्ता फोरम में शिकायत
पाठ्य पुस्तकों पर जीएसटी नहीं, बिन ना मिले तो करें उपभोक्ता फोरम में शिकायत

जागरण संवाददाता, धनबाद : निजी स्कूलों की पाठ्य पुस्तकों की कीमतें काफी अधिक है। एनसीइआरटी के मुकाबले इनकी कीमतें दोगुनी से तिगुनी इसके बावजूद भी जिले के निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों को छोड़ निजी पब्लिकेशन की पुस्तकों का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। ऐसे में इन किताबों की कीमतें अभिभावकों पर भारी बोझ बन रही हैं। वहीं अभिभावकों की शिकायत है कि दुकानदार किताबों की खरीदारी का बिल भी नहीं दे रहे हैं। बच्चों के भविष्य का सवाल है, ऐसे में अभिभावक भी चुप हैं।

किताबों पर जीएसटी नहीं : पाठ्य पुस्तकों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। ऐसे में पाठ्य पुस्तकों की खरीद बिक्री करने वाले दुकानदारों को इसके लिए जीएसटी नहीं देनी होती है। पाठ्य पुस्तकें जरुरी हैं भी या नहीं इसके बावजूद भी कक्षा तीसरी और चौथी की किताबों की कीमत 300 रुपये से अधिक है। वाणिज्य कर विभाग के संयुक्त आयुक्त प्रशासन प्रवीण कुमार ने बताया कि सरकार ने पाठ्य पुस्तकों को जीएसटी से बाहर रखा है। इसके बावजूद भी दुकानदार को बिल देना अनिवार्य है।

बिल ना मिलने पर उपभोक्ता फोरम में करें शिकायत : बिल ना मिलने की स्थिति में ग्राहक सीधे तौर पर अपनी शिकायत जिला उपभोक्ता फोरम में कर सकते हैं। फोरम की मानें तो यह किसी भी ग्राहक का अधिकार है कि वह संबंधित खरीदारी को लेकर बिल मांग सकता है। दुकानदार को भी हर हाल में बिल देना ही होगा। यदि दुकानदार ऐसा नहीं करते हैं तो वे कार्रवाई की दायरे में आते हैं।

chat bot
आपका साथी