उपायुक्त ने दिया था कार्रवाई का आदेश, फिर भी भट्ठा संचालकों से उगाही मामले पर धनबाद पुलिस मौन
निरसा क्षेत्र में भट्ठा संचालकों से स्थानीय पुलिस पर लगे उगाही करने के आरोप पर धनबाद पुलिस मौन है। उपायुक्त उमाशंकर सिंह के आदेश के बावजूद भी ना तो थानेदार पर कोई कार्रवाई हुई और ना ही कोयला को अवैध कारोबार करने वालों पर।
जागरण संवाददाता, धनबाद: निरसा क्षेत्र में भट्ठा संचालकों से स्थानीय पुलिस पर लगे उगाही करने के आरोप पर धनबाद पुलिस मौन है। उपायुक्त उमाशंकर सिंह के आदेश के बावजूद भी ना तो थानेदार पर कोई कार्रवाई हुई और ना ही कोयला को अवैध कारोबार करने वालों पर। उपायुक्त को आदेश दिए हुए तीन माह का समय बीत चुका है।
निरसा थानेदार पर लगा था आरोप: दिसंबर 2020 में निरसा क्षेत्र के सॉफ्ट कोक उद्योग संचालकों से अवैध रूप से उगाही करने संबंधी आरोप निरसा थानेदार सुभाष सिंह पर लगे थे। इन आरोपों की जांच उपायुक्त उमाशंकर सिंह के आदेश पर गठित त्रिस्तरीय जांच समिति ने की थी। इस जांच समिति की अध्यक्षता अपर जिला दंडाधिकारी विधि व्यवस्था कर रहे थे। जांच में समिति ने पाया कि थाना प्रभारी सुभाष सिंह ने अपने कर्तव्य की अवहेलना की है। नियमों के विरुद्ध काम किया और निजी स्वार्थपूर्ति के लिए क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर उद्योग संचालकों का भयादोहन करने का काम किया। उपायुक्त ने साफ तौर पर माना कि प्रथम दृष्टया यह आरोप सही हैं। इस मामले को लेकर उपायुक्त ने वरीय पुलिस अधीक्षक असीम विक्रांत मिंज को पत्र देते हुए कहा कि सुभाष सिंह के खिलाफ अविलंब कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई की जाए।
डीएसपी की भूमिका भी संदिग्ध: उपायुक्त ने अपने पत्र में निरसा डीएसपी की भूमिका को भी संदिग्ध करार दिया था। जांच प्रतिवेदन में भी डीएसपी की कार्यशैली पर प्रश्न उठाए गए थे। बताया गया था कि डीएसपी निरसा की मौजूदगी में थाना प्रभारी ने नियमों एवं कानून का उल्लंघन किया है। उन्होंने सवाल किया था कि कहीं इन दोनों ने सुनियोजित तरीके से फैक्ट्री संचालकों का भयादोहन कर पैसे उगाही का प्रयास तो नहीं किया।