एनएमसी ने एसएनएमएमसीएच का आवेदन ठुकराया, पीजी के लिए बताया अयोग्य
एसएनएमएमसीएच को बड़ा झटका लगा है। नेशनल मेडिकल काउंसिल (पुराना नाम मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया) ने एसएनएमएमसीएच के पीजी के लिए किए गए आवेदन को ठुकरा दिया है। एनएमसी का कहना है मेडिकल कालेज के पास एमबीबीएस की मात्र 50 सीटें ही हैं। ऐसे में नियमानुसार वह पीजी कोर्स के लिए मान्यता नहीं दे सकते हैं। इसके साथ ही वर्ष 2014 से पीजी कोर्स के लिए तैयारी कर रही कालेज को झटका लगा है।
मोहन गोप, धनबाद
एसएनएमएमसीएच को बड़ा झटका लगा है। नेशनल मेडिकल काउंसिल (पुराना नाम मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया) ने एसएनएमएमसीएच के पीजी के लिए किए गए आवेदन को ठुकरा दिया है। एनएमसी का कहना है मेडिकल कालेज के पास एमबीबीएस की मात्र 50 सीटें ही हैं। ऐसे में नियमानुसार वह पीजी कोर्स के लिए मान्यता नहीं दे सकते हैं। इसके साथ ही वर्ष 2014 से पीजी कोर्स के लिए तैयारी कर रही कालेज को झटका लगा है। दरअसल, वर्ष 2021-22 के लिए मेडिकल कालेज प्रबंधन ने एनएमसी को आवेदन देकर एमबीबीएस की सीटों में बढ़ोतरी और पीजी की पढ़ाई के लिए आवेदन दिया था। एमबीबीएस सीटों के लिए आवेदन को एनएमसी में स्वीकार किया। लेकिन पीजी की कोर्स के आवेदन को ठुकरा दिया है। एमबीबीएस सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए कालेज ने दिए 3.56 लाख रुपये
मेडिकल कालेज प्रबंधन ने अस्पताल में एमबीबीएस की सीट 50 से ज्यादा बढ़ाने के लिए एनएमसी को निरीक्षण शुल्क जमा किया था। यह निरीक्षण शुल्क 3.56 लाख रुपये था। मेडिकल कालेज के प्राचार्य ज्योति रंजन ने बताया कि कालेज के मानव संसाधन और भौतिक सत्यापन के लिए एनएमसी की टीम निरीक्षण करने के लिए आएगी। इसके लिए निरीक्षण की राशि भेजी गई है। हालांकि पीजी के लिए उन्होंने कहा कि अभी कालेज को और तैयारी करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने नए एडमिशन पर फिलहाल लगाई है रोक
मेडिकल कालेज में नामांकन के लिए नीट की परीक्षा आयोजित की गई थी। इसकी काउंसलिग शुरू होने से पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कुछ कारणों से देश भर में नामांकन पर रोक लगा दी है। इस वजह से अब एसएनएमएमसीएच में भी नामांकन नहीं हो रहा है। प्राचार्य ने बताया कि आगे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद नामांकन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने उम्मीद जताई है कि एनएमसी के निरीक्षण के बाद मेडिकल कालेज एमबीबीएस सीटों की संख्या बढ़ सकती है। छह करोड़ रुपये में पीजी हास्टल बना, कोर्स की मान्यता का इंतजार
मेडिकल कालेज में वर्ष 2017 में पीजी की पढ़ाई के लिए लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग पीजी हास्टल बनाए गए हैं। इसके लिए सरकार की ओर से लगभग छह करोड रुपये खर्च किए गए हैं। लेकिन अब कोर्स शुरू होने के इंतजार में यह भवन शोभा की वस्तु बनकर रह गए हैं।
मेडिकल कालेज में शिक्षकों के 30 फीसद पद खाली
दरअसल मेडिकल कालेज में शिक्षकों के 30 प्रतिशत पद खाली हैं। यही वजह है कि मेडिकल कालेज में एक और एमबीबीएस की सीटों की संख्या नहीं बढ़ रही है, तो दूसरी और पीजी के लिए भी आवेदन स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं। कालेज में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, सीनियर रेजिडेंट, जूनियर रेजिडेंट ट्यूटर के 30 प्रतिशत पद खाली चल रहे हैं। कोट
पीजी के लिए आवेदन स्वीकार नहीं किए गए हैं। दरअसल इसके लिए कम से कम एमबीबीएस की 100 सीटें होनी जरूरी है। आगे कोशिश की जा रही है कि एमबीबीएस की सीटें बढ़ाई जाए।
डा. ज्योति रंजन, प्राचार्य, मेडिकल कालेज