हमले के विरोध में आईएमए का राष्ट्रव्यापी आंदोलन; काला बिल्ला लगाकर डॉक्टरों ने किया विरोध Dhanbad News
देशभर में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा का विरोध और सुरक्षा की मांग को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन के तहत धनबाद में भी डॉक्टरों ने काला बिल्ला लगाकर चिकित्सकीय सेवा प्रदान की। इसके तहत सरकारी और निजी अस्पतालों में चिकित्सकों ने काला बिल्ला लगाया।
धनबाद, जेएनएन: देशभर में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा का विरोध और सुरक्षा की मांग को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन के तहत धनबाद में भी डॉक्टरों ने काला बिल्ला लगाकर चिकित्सकीय सेवा प्रदान की। इसके तहत सरकारी और निजी अस्पतालों में चिकित्सकों ने काला बिल्ला लगाया।
इसके बाद अपनी अपनी सेवाएं शुरू की। आई एम ए के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार सिंह ने बताया कि केंद्रीय कमेटी के निर्देशानुसार धनबाद सहित झारखंड के तमाम जिलों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस एक दिवसीय प्रदर्शन में चिकित्सक समुदाय अपनी सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
इस आंदोलन से मरीजों को कोई परेशानी न हो इसका विशेष ख्याल रखा जा रहा है। डॉक्टरों ने इससे पहले अपने अपने कार्य क्षेत्र के पास एकत्र होकर प्रदर्शन किया साथ ही सेव द सेवियर और स्टॉप वायलेंस ऑन प्रोफेशन एंड प्रोफेशनल का नारा लगाया।
720 डॉक्टरों की हो गई है मौत लेकिन कब मिलेगी सुरक्षा
डॉ सिंह ने बताया कि पूरे देश में कोरोना मरीज के कारण मरीजों की जान बचाते हुए 720 डॉक्टरों की जान चली गई है। इसके बावजूद अभी तक डॉक्टरों को सुरक्षा प्रदान नहीं की गई है। आलम यह है कि आसाम बंगाल झारखंड बिहार सहित विभिन्न राज्यों में डॉक्टरों पर हमले हो रहे हैं। डॉ सिंह ने बताया कि डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर कठोर कानून बनाया जाए अथवा इसेसेंट्रल हॉस्पिटल एंड हेल्थ केयर प्रोफेशनल प्रोटेक्शन एक्ट को आईपीसी और सीआरपीसी के साथ जोड़ा जाय। इसके साथ ही स्वामी रामदेव के बयान को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया। झारखंड में भी 50 के आसपास डॉक्टर स्वास्थ्य कर्मियों की मौत हुई है।
कोरोनावायरस दुश्मन, तो चिकित्सक समुदाय योद्धा
जिला सचिव डॉ सुशील कुमार ने बताया कि कोरोना वायरस मानवता का दुश्मन है। जिस प्रकार सैनिक देश की सुरक्षा के लिए बॉर्डर पर रहते हैं। ठीक उसी प्रकार कोरोना महामारी से लड़ने के लिए चिकित्सक समुदाय और स्वास्थ्य कर्मचारी योद्धा की तरह मैदान में खड़े हैं, ताकि मानवता को बचाई जा सके। लेकिन इसके बाद भी अब तक केंद्र और राज्य सरकार की ओर से डॉक्टरों की लगातार उपेक्षा की जा रही है। दोनों सरकारी डॉक्टरों को सम्मान तो दूर सुरक्षा प्रदान करने में भी नाकाम है। महामारी में डॉक्टरों की भी मौत हुई, उनके अपने भी इस दुनिया से छोड़ कर चले गए इस विकट परिस्थिति में भी चिकित्सक समुदाय समाज को बचाने की मुहिम में है।