नगर निगम से पिंड छुड़ाने को ढूंढा अनोखा तरीका, खाते में रकम नहीं और दे रहे हैं पोस्टडेटेड चेक

नगर निगम क्षेत्र में भवन निर्माण के लिए निगम में नक्शे के लिए आवेदन करना होता है। इसके लिए पोस्ट डेटेड चेक की दरकार होती है। यही पोस्ट डेटेड चेक इन दिनों सिरदर्द बनते जा रहे हैं। हर महीने आठ से 10 पोस्ट डेटेड चेक बाउंस हो रहे हैं।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 09:58 AM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 09:58 AM (IST)
नगर निगम से पिंड छुड़ाने को ढूंढा अनोखा तरीका, खाते में रकम नहीं और दे रहे हैं पोस्टडेटेड चेक
नगर निगम अब इनके मालिकों की तलाश कर रहा है।

जागरण संवाददाता, धनबाद: नगर निगम क्षेत्र में भवन निर्माण के लिए निगम में नक्शे के लिए आवेदन करना होता है। इसके लिए पोस्ट डेटेड चेक की दरकार होती है। यही पोस्ट डेटेड चेक इन दिनों निगम के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। कोई महीना ऐसा नहीं बीत रहा, जिस महीने आठ से 10 पोस्ट डेटेड चेक बाउंस ना हो जा रहे हों। पिछले एक वर्ष में 150 से अधिक पोस्ट डेटेड चेक बाउंस हुए हैं। चेक बाउंस होने का सबसे बड़ा कारण खाते में राशि का ना होना है। निगम का तर्क है कि लोग जानबूझकर खाते में पैसा ना होने के बाद भी पोस्ट डेटेड चेक दे देते हैं।

चेक जब बैंक में जमा किया जाता है तब पता चलता है कि अकाउंट में तो पैसा ही नहीं है। इसी महीने नगर निगम की ओर से बैंक में जमा किए गए 45 पोस्ट डेटेड चेक बाउंस हो गए। नगर निगम अब इनके मालिकों की तलाश कर रहा है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि चेक बाउंस मामले को अब निगम गंभीरता से लेगा और अब जिनका भी चेक बाउंस होगा उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल मामले की गंभीरता को देखते हुए निगम ने 16 लाइसेंसी टेक्निकल पर्सन यानी एलटीपी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। निगम से नक्शा पास कराने के लिए एलटीपी के जरिए ही ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इसलिए प्रथम दृष्टया इनकी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।

यहां बता दें कि सभी जरूरी कागजात के साथ नक्शा पास कराने का शुल्क और लेबर सेस की राशि भी चेक से जमा होती है। लेबर सेस की राशि 14 रुपये प्रति वर्ग फीट की दर से निर्धारित है। निगम ने इसे तीन किस्तों में जमा करने का प्रावधान किया है। मसलन यदि 1000 हजार फीट में भवन निर्माण हो रहा है तो इसके लिए 14000 रुपये लेबर सेस चुकाने होंगे। ऑनलाइन आवेदन करने के समय इसकी पहली किस्त चेक के साथ जमा करनी है। दूसरी और तीसरी किस्त पोस्ट डेटेड चेक के तौर पर ली जाती है। यही साल की समय सीमा के साथ होता है। अधिकतर बाउंस होने वाले चेक लेबर सेस के पोस्ट डेटेड चेक हैं। संभावना जताई जा रही है कि इससे निजात पाने के लिए निगम कई ठोस निर्णय लेने वाला है। इसमें पोस्ट डेटेड चेक संबंधी नियम को और कड़ा किया जा सकता है।

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