मोतियाबिद पीड़ितों के जीवन में उजाला ला रहा मोबाइल सर्जिकल यूनिट

जासं सिजुआ सुदूर गांवों में मोतियाबिंद से परेशान लोगों के जीवन में उजाला लाने के लिए टाटा स्

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 06:16 AM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 06:16 AM (IST)
मोतियाबिद पीड़ितों के जीवन में उजाला ला रहा मोबाइल सर्जिकल यूनिट
मोतियाबिद पीड़ितों के जीवन में उजाला ला रहा मोबाइल सर्जिकल यूनिट

जासं, सिजुआ: सुदूर गांवों में मोतियाबिंद से परेशान लोगों के जीवन में उजाला लाने के लिए टाटा स्टील और शंकर नेत्रालय चेन्नई की मोबाइल सर्जिकल यूनिट लगातार प्रयास कर रही है। टाटा ट्रस्ट व शंकर नेत्रालय के सौजन्य से पेमिया-ऋषिकेश मेमोरियल पब्लिक स्कूल बांसकपुरिया में 25 फरवरी से चल रहे मोतियाबिद ऑपरेशन शिविर में चिकित्सक जरूरतमंदों की आंखों का इलाज कर उनकी जिदगी में उजाला ला रहे हैं। दो मार्च तक चलने वाले शिविर में 153 लोगों का ऑपरेशन होना है। 21 से 24 फरवरी तक 444 लोगों की आंखों की जांच हुई थी, जिसमें 153 का चयन ऑपरेशन के लिए किया गया है। कंपनी की सिजुआ समूह में पहली बार आयोजित शिविर में मालकेरा, भेलाटांड बस्ती, सिजुआ 6 नंबर व 12 नंबर, रामपुर 1 व 2 नंबर, शहरपुरा, देवग्राम, कंचनपुर, दुखीतडीह, कपुरिया, बांस कपुरिया के बुर्जुग महिला-पुरुष आए थे। आपरेशन के लिए चयनित लोगों में से 71 पीड़ित सिजुआ क्षेत्र से हैं।

क्या है मोबाइल सर्जिकल यूनिट: टाटा ट्रस्ट और शंकर नेत्रालय के बीच हुए एमओयू के तहत इस अत्याधुनिक उपकरणों से लैस इस चलता फिरता आपरेशन थियेटर में ग्रामीणों का नि:शुल्क मोतियाबिद आपरेशन व जांच होता है। ऑपरेशन चैंबर में बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित है। बीते पांच साल में 42 सौ से अधिक मरीजों की जांच के बाद 1483 लोगों की आंखों का आपरेशनमोबाइल सर्जिकल यूनिट में हो चुका है। यूनिट में दो विशेषज्ञ चिकित्सक शंकर नेत्रालय के सीनियर कंसलटेंट डॉ. गजेंद्र कुमार वर्मा व डॉ. दिलीप रेड्डी अपने 19 पैरामेडिकल कर्मियों की टीम के साथ पूरी शिद्दत से लोगों की सेवा में लगी है। मोबाइल सर्जिकल यूनिट में आए मरीजों की आंखों के मोतियाबिद, ग्लूकोमा, कॉर्निया समेत अन्य परेशानियों की जांच कर निश्शुल्क उपचार व आपरेशन किए जाते हैं। लैंस से लेकर चश्मा और दवाइयां भी निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाती है। फिलहाल यह मोबाइल यूनिट सिजुआ क्षेत्र के बांसकपुरिया में मौजूद है।

आइआइटी मद्रास के सहयोग से तैयार हुआ वाहन: यूनिट की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी। करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित इस यूनिट को आइआइटी मद्रास की तकनीकी सहायता से तैयार किया गया है। तमिलनाडु में इसके सफल प्रयोग के बाद शंकर नेत्रालय ने इस प्रोजेक्ट को टाटा ट्रस्ट के सहयोग के साथ साथ टाटा स्टील के लॉजिस्टिक एवं ग्राउंड सपोर्ट के साथ झारखंड में लागू किया गया है।

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