मोबाइल एप्लीकेशन बताएगा, स्कूल में आज कितने बच्‍चों ने खाना खाया और कितना बचा है अनाज

स्कूल में बच्चों के लिए कितना अनाज बचा हुआ है आज कितने बच्चों ने खाना खायाए बच्चों को कुकिंग कॉस्ट की राशि मिली या नहीं उसकी वस्तुस्थिति क्या है आदि तमाम चीजों की निगरानी अब मोबाइल फोन से होगी।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 09:52 AM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 09:52 AM (IST)
मोबाइल एप्लीकेशन बताएगा, स्कूल में आज कितने बच्‍चों ने खाना खाया और कितना बचा है अनाज
यह योजना प्रयोग के रूप में जल्द ही पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगी।

जागरण संवाददाता, धनबाद: स्कूल में बच्चों के लिए कितना अनाज बचा हुआ है, आज कितने बच्चों ने खाना खायाए बच्चों को कुकिंग कॉस्ट की राशि मिली या नहीं, उसकी वस्तुस्थिति क्या है आदि तमाम चीजों की निगरानी अब मोबाइल फोन से होगी। सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना (एमडीएम) से जुड़ी सारी सूचनाएं अब एप के जरिए दी जाएंगी। शिक्षकों को हर दिन का ब्योरा; जैसे स्कूल में कितना अनाज बचा हुआ है, कितना खर्च हुआ, कितने बच्चों ने एमडीएम किया आदि सभी चीजों की जानकारी मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए मध्याह्न भोजन योजना प्राधिकरण को देनी होगी।

मध्याह्न भोजन योजना प्राधिकरण की आरे से इसके लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन तैयार किया गया है। यह योजना प्रयोग के रूप में जल्द ही पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगी। इसके लिए मध्याह्न भोजन योजना प्राधिकरण की ओर से पत्र जारी किया गया है। जारी पत्र में राज्य परियोजना निदेशक ने कहा है कि ई-विद्यावाहिनी के तहत मध्याह्न भोजन योजना के सफल संचालन एवं अनुश्रवण के लिए प्राधिकरण से विमर्श एवं प्राप्त सुझावों को समाहित करते हुए मोबाइल एप्लीकेशन तैयार किया है, जिसके बाद अब इस मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से सूखे खाद्यान्न का वितरण, कुकिंग काॅस्ट राशि का वितरण, फूड पैकेट वितरण की भी छात्रवार मॉनीटरिंग की जा सकेगी।

प्राधिकरण के पदाधिकारियों को किया गया है प्रशिक्षित: मोबाइल एप्लीकेशन के सफल संचालन के लिए मध्याहन भोजन योजना प्राधिकरण के पदाधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है। अब इस एप्लीकेशन को विद्यालयों में शुरू कराया जा सकता है। इस योजना के तहत शिक्षा विभाग मोबाइल से एमडीएम योजना की मॉनीटरिंग करेगा। सभी मैसेज खास कोडवर्ड में करने होंगे। स्कूलों में एमडीएम का काम देखने वाले शिक्षकों को रोज रिपोर्ट एसएमएस करनी होगी। उसके बाद कोड अंक दर्ज होगा। विभाग का मानना है कि इस व्‍यवस्‍था से एमडीएम योजना की मॉनीटरिंग करना आसान हो जाएगा।

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