MGNREGA wages: झारखंड में बढ़ाई गई मनरेगा मजदूरी, जानें किस राज्य में कितना न्यूनतम मेहनताना
MGNREGA wages झारखंड की हेमंत सरकार ने मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की है। अब 194 रुपये के स्थान पर प्रतिदिन 225 रुपये का भुगतान किया जाएगा। यह पड़ोसी राज्य बिहार में 194 और पश्चिम बंगाल के 204 रुपये से ज्यादा है।
धनबाद, जेएनएन। झारखंड सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (MNREGA) के तहत राज्य में काम करने वाले मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी बढ़ा दी है। मनरेगा में 194 रुपये के स्थान पर 225 रुपये न्यूनतम मजदूरी कर दी गई है। यह निर्णय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में लिया गया। इसका फायदा झारखंड में सक्रिय 42 लाख मजदूरों को मिलेगा। लेकिन मनरेगा मजदूरों को मजदूरी न्यूनतम मजदूरी भुगतान के मामले में अब भी बहुत पीछे है। देश में सबसे ज्यादा भाजपा शासित हरियाणा राज्य में मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी मिलती है। यहां 309 रुपये की दर से भुगतान किया जाता है।
मनरेगा योजना अंतर्गत श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी दर में बढ़ोतरी करने हेतु राज्य योजना से अतिरिक्त व्यय की स्वीकृति एवं तदनुरूप बजटीय उपबंध करने की स्वीकृति मंत्रिपरिषद की बैठक में दी गई। मनरेगा की मजदूरी दर 194 से बढ़ कर 225 रुपये हुई।
— Office of Chief Minister, Jharkhand (@JharkhandCMO) February 25, 2021
झारखंड में एक नजर में मनरेगा
देश में मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी एक समान नहीं
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार मुहैया कराने के लिए केंद्र की तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने काम के बदले आनाज योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत गांव में होने वाले काम में स्थानीय मजदूरों को समाहित किया जाता था और उन्हें मजदूरी के बदल अनाज दिया जाता था। 2 अक्टूबर, 2005 में केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत मनरेगा शुरू की। लेकिन केंद्रीय योजना होने के बाद भी इसके तहत काम करने वाले मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी एक समान नहीं है। देश के प्रत्येक राज्यों में अलग-अलग न्यूनतम मजदूरी दी जाती है। आइए, टेबल के माध्यम से समझते हैं कि इस समय ( वर्ष 2020-21) किस राज्य में कितनी न्यूनतम मजदूरी दी जा रही है।
राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र के नाम -प्रतिदिन मजदूरी की दर रुपये में झारखंड-194 ( अब 225 रुपये करने का निर्णय) आंध्र प्रदेश- 237 अरुणाचल प्रदेश-205 असम-213 बिहार-194 छत्तीसगढ़-190 गोवा- 280 गुजरात-224 हरियाणा-309 हिमाचल प्रदेश-गैर अनुसूचित क्षेत्र 198 और अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र 248 जम्मू और कश्मीर-204 लद्दाख-204 कर्नाटक-275 केरल-291 मध्य प्रदेश-190 महाराष्ट्र-238 मणिपुर-238 मेघालय-203 मिजोरम-225 नागालैंड-205 उड़ीसा-207 पंजाब-263 राजस्थान-220 सिक्किम-205 तमिलनाडु-259 तेलंगाना-237 त्रिपुरा-205 उत्तर प्रदेश-201 उत्तराखंड-201 पश्चिम बंगाल-204 अंडमान और निकोबार-267 दादरा और नगर हवेली-258 दमन और दीव- 227 लक्ष्यदीप-266 पांडुचेरी-256
सरकार के फैसले से बढ़ेगा मनरेगा के प्रति आकर्षण
भारत ज्ञान-विज्ञान समिति के राष्ट्रीय महासचिव व मनरेगा सह रोजी-रोजगार विशेषज्ञ डॉ. काशीनाथ चटर्जी ने झारखंड सरकार के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है-महंगाई के इस जमाने में 31 रुपये की वृद्धि कुछ नहीं है। लेकिन कुछ तो वृद्धि हुई। इसलिए फैसला स्वागत योग्य है। अब 194 के साथ पर मनरेगा में काम करने वालों को प्रतिदिन 225 रुपये का भुगतान होगा। इससे झारखंड के गांव-देहात में मनरेगा के प्रति मजदूरों का आकर्षण बढ़ेगा। चटर्जी का कहना है कि मनरेगा की असल समस्या फंड का अभाव है। कोविड-19 के कारण गांव-देहात में मजदूरों की संख्या बढ़ी है। मजदूर विभिन्न शहरों से लाैट कर अपने गांव-घर में हैं। उन्हें रोजी-रोजगार की मजरूरत है। वे मनरेगा में काम करने को तैयार हैं। लेकिन अब भी मनरेगा के तहत 100 दिन की रोजगार नहीं मिल रही है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सरकार की तरफ से फंड मुहैया नहीं कराया जा रहा है। सरकार को फंड मुहैया कराने में पर ध्यान देना होगा। इससे कोविड काल में गांव-देहात मजदूरों को रोजगार मिलेगा।